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कोर्ट की अवमानना में जज ने सुनाई डिप्टी कमिश्नर को 7 दिन कैद की सजा, जानें पूरा मामला

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इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने इनकम टैक्स विभाग को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने इनकम टैक्स विभाग के डिप्टी कमिश्नर हरीश गड़वानी को कोर्ट के अवमानना के मामले में 7 दिन की जेल और 25000 का जुर्माना भी लगाया है. जहां हरीश गड़वानी को 22 दिसंबर तक कोर्ट में सरेंडर करना होगा. उसके बाद उनको 7 दिन की जेल होगी. ऐसे में जुर्माना नहीं चुकाने पर अफसर को एक अतिरिक्त दिन की जेल में बिताना होगा.

दरअसल, केस को देख रही एडवोकेट राधिका सिंह ने TV9 से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि यह आदेश जस्टिस इरशाद अली की बेंच में प्रशांत चंद्रा की ओर से दाखिल एक अवमानना याचिका पर दिया गया है. राधिका सिंह का कहना है कि लखनऊ में इनकम टैक्स विभाग ने साल 2011-2012 के करीब 52 लाख रुपए का मूल्यांकन नोटिस भेज दिया था, जबकि उन्होंने अपना आयकर दिल्ली से भरा था. इसको लेकर उन्होंने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.

क्या है मामला?

वहीं, राधिका सिंह ने कहा कि कोर्ट ने 31 मार्च 2015 को नोटिस और आदेश जो इनकम टैक्स के द्वारा दिए गए कोर्ट के आदेश के बावजूद इनकम टैक्स विभाग की वेबसाइट पर बकाया नोटिस 7 महीने तक चलता रहा, जिससे उनके सम्मान को तो काफी चोट पहुंची हुई थी. इसके साथ ही 52 लाख की रकम बढ़कर 90 लाख हो गई, जिसके कारण प्रशांत चंदा को बैंक से किसी भी तरीके का लोन नहीं मिला. ना ही कोई क्रेडिट कार्ड को यूज कर सके. क्योंकि उनका सिविल खराब हो गया.

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एडवोकेट राधिका सिंह ने यह भी कहा कि गड़वानी ने कोर्ट के आदेश के बावजूद प्रशांत चंद्रा को परेशान किया गया. प्रशांत चंद्रा को परेशान करने की नियत से इस नोटिस को वेबसाइट से नहीं हटाया गया.

प्रशांत चंद्रा ने IT ऑफिसर पर लगाए गम्भीर आरोप

इसके साथ ही TV9 ने केस के पीड़ित सीनियर वकील प्रशांत चंद्रा से बात की है. इन्ही की जूनियर वकील राधिका ने कोर्ट में बहस की थी, जिसके बाद कल एक्शन हुआ. पीड़ित वकील प्रशांत चंद्र ने TV9 से बात की तो उन्होंने कहा कि इनकम टैक्स के यह जो ऑफिसर है यह मुझे पर्सनली तौर पर काफी परेशान करते थे.

IT ऑफिसर करता था गाड़ी की मांग- प्रशांत चंद्रा

ऐसे में कभी गाड़ी कभी ड्राइवर की मांग की जाती थी. इसके अलावा भी कई तरीके की मांग की जाती थी. जब मेरे द्वारा यह सब चीजें पूरी नहीं की की गई तो उन्होंने मुझ पर झूठा नोटिस भेजा. जब यह नोटिस कोर्ट ने रिजेक्ट कर दिया. उसके बावजूद भी अपनी वेबसाइट पर इस नोटिस को नहीं हटाया जिससे मैं काफी आहत हुआ हूं.

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