नई दिल्ली। भारत ने 2022 की पहली छमाही में सौर ऊर्जा उत्पादन के जरिये ईंधन लागत में 4.2 अरब अमेरिकी डॉलर की बचत की है। गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, इस अवधि में 19.4 मिलियन टन कोयले की बचत हुई है।
एनर्जी थिंक टैंक सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर और इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस की रिपोर्ट में पिछले दशक से लेकर अब तक वैश्विक सौर ऊर्जा परिदृश्य का विश्लेषण किया गया है। अध्ययन में पता चला है कि सौर ऊर्जा के क्षेत्र में काम करने वाली 10 शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में से पांच एशिया में हैं। एशिया में चीन, जापान, भारत, दक्षिण कोरिया और वियतनाम सौर ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी बने हुए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सात प्रमुख एशियाई देशों- चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, फिलीपींस और थाईलैंड में सौर उत्पादन से जनवरी से जून 2022 तक लगभग 34 बिलियन डालर के ईंधन की बचत हुई है।
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भारत ने सौर ऊर्जा से बचाए अरबों रुपये
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में सौर उत्पादन के चलते पहली छमाही में ईंधन लागत में 4.2 बिलियन डालर की बचत हुई। इससे देश में 19.4 मिलियन टन कोयले की भी बचत हुई। सौर उत्पादन से होने वाली बचत का सबसे अधिक लाभ चीन को है। जापान दूसरा ऐसा देश है, जिसको अधिक फायदा हुआ है। जापान में सौर ऊर्जा के कारण ईंधन की लागत में 5.6 बिलियन डालर की बचत हुई।
वियतनाम में सौर ऊर्जा के चलते ईंधन लागत में 1.7 बिलियन डालर की बचत हुई। रिपोर्ट में बताया गया है कि थाईलैंड और फिलीपींस में सौर ऊर्जा की वृद्धि धीमी रही है। 2022 के पहले छह महीने में सौर ऊर्जा थाईलैंड के कुल ईंधन का 2 प्रतिशत है। फिलीपींस ने जीवाश्म ईंधन खर्च में 78 मिलियन डालर की बचत की है।
एशियाई देशों में उज्ज्वल है सौर ऊर्जा का भविष्य
रिपोर्ट में कहा गया है कि एशियाई देशों को महंगे और अत्यधिक प्रदूषणकारी जीवाश्म ईंधन से परहेज करने की जरूरत है और इसके लिए उन्हें अपनी विशाल सौर क्षमता का दोहन करने की आवश्यकता है। सौर ऊर्जा के अलावा पवन जैसे अन्य स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को भी बढ़ावा देने की बात रिपोर्ट में कही गई है।