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गांधी जी के जीवन से जुड़ी रोचक बातें, जानें कैसे बने भारत के राष्ट्रपिता

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नई दिल्ली। आज गांधी जयंती है। यह हर वर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। इस दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को याद किया जाता है। सत्य और अहिंसा के पुजारी मोहनदास करमचंद गांधी ने देश को अंग्रेजों की चंगुल से मुक्त कराने में अहम भूमिका निभाई थी। इतिहासकारों की मानें तो अंग्रेज भी उन्हें महात्मा कहकर पुकारते थे। दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने के पश्चात महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता संग्राम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। उनके अथक प्रयास के चलते ही देश को आजादी मिली। नेल्सन मंडेला समेत विश्व के कई बड़े नेताओं ने गांधीजी के पद चिन्हों पर चलकर प्रसिद्धि पाई है। आइए, गांधीजी के जीवन से जुडी कुछ रोचक बातें जानते हैं-

-महात्मा गांधी को सर्वप्रथम ‘राष्ट्रपिता’ सुभाष चंद्र बोस ने कहा था। उन्होंने ही पहली बार महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कह कर संबोधित किया था।

-इतिहासकारों की मानें तो गांधीजी ने 1934 में भागलपुर भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए अपने ऑटोग्राफ पांच ₹5-5 में बेचे थे।

-देश और विदेश में महात्मा गांधी के नाम पर कुल 101 बड़ी सड़कें हैं। इनमें 53 सड़कें देश में और 48 सड़कें विदेश में है।

-महात्मा गांधी को 5 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया गया था, लेकिन एक बार भी वे नोबेल पुरस्कार ले नहीं पाए थे। साल 1948 में पुरस्कार मिलने से पहले उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

-ऐसा कहा जाता है कि अपने जीवन काल में गांधीजी कभी भी फ्लाइट में नहीं चढ़े। जब कभी उन्होंने विदेश यात्रा की तो समुद्र मार्ग के जरिए की। इसके अलावा, गांधीजी अपने जीवन काल में एक बार भी अमेरिका नहीं गए।

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-एक बार की बात है, जब महात्मा गांधी रेल यात्रा कर रहे थे। उस दौरान महात्मा गांधी जी का एक जूता ट्रेन से गिर गया, तो गांधीजी ने दूसरा जूता भी बाहर फेंक दिया। यह देख रेल में बैठा एक व्यक्ति ने उनसे पूछा कि आपने दूसरे जूते क्यों फेंक दिए, तो गांधीजी ने कहा कि एक जूता मेरे काम नहीं आएगा। अगर यह जूता किसी को मिलता भी है, तो वह उसके काम नहीं आएगा। अगर उस व्यक्ति को दोनों जूते मिलते हैं, तो उसके काम आ सकता है।

-जानकारों की मानें तो महात्मा गांधी खाने वाली नकली दांत को अपने धोती में बांधकर रखा करते थे। जब वह खाना खाते थे, तो नकली दांत का इस्तेमाल करते थे। इसके पश्चात दांत को पुनः धोती में बांध लेते थे।

-30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उनकी सब यात्रा में 10 लाख लोग शामिल थे। वहीं, करीबन 15 लाख लोग श्रद्धांजलि देने हेतु रास्ते में खड़े थे।

-महात्मा गांधी को भगवान श्रीराम के प्रति अगाध श्रद्धा थी। जब उन्हें गोली मारी गई तो उनके मुख से अंतिम शब्द ‘हे राम’ ही निकला था।

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