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ग्रेटर नोएडा: नौकरी छोड़ लॉ की पढ़ाई की, खुद केस लड़कर पिता के हत्यारों को दिलाई उम्रकैद

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नोएडा। खनन माफिया द्वारा पिता की हत्या और उसके दस माह बाद भाई की मौत से पूरा परिवार दुखों के पहाड़ के नीचे दब गया था, लेकिन पिता की मौत के बाद घर के बड़े बेटे के पास मुखिया की भूमिका आई तो पूरे परिवार को संभाला।

प्राइवेट नौकरी छोड़ वकालत की और अपने पिता की हत्या मामले में बीते गुरुवार को दो आरोपितों को आजीवन कारावास की सजा भी दिलाई। यह कहानी नहीं, हकीकत है नोएडा के रायपुर गांव के आकाश चौहान की। हत्यारोपितों को सजा दिलाने में उन्हें दस वर्ष का लंबा समय लगा, लेकिन हत्यारोपित पिता-पुत्र को आजीवन कारावास की सजा दिलाकर पिता को श्रद्धांजलि दी है।

आकाश के खिलाफ रची गई साजिश

हालांकि यह सब कुछ आसान नहीं रहा। परिवार को संभालने के साथ ही उन पर भी फैसला करने का दबाव बनाया गया, जब दबाव काम न आया, तो आकाश के खिलाफ झूठा मुकदमा भी दर्ज कराया गया।

रेत माफिया देने लगे थे धमकी

आकाश चौहान के पिता पाले राम एक सामाजिक कार्यकर्ता थे। यमुना में अवैध रेत खनन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे। पुलिस और जिला प्रशासन में कई शिकायतें दर्ज कीं, लेकिन कुछ नहीं हो सका। उन्होंने 2012 में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। तभी रेत माफिया अधिक आक्रामक हो गए और उन्हें व परिवार को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी देने लगे।

पिता का सीना गोलियों से किया था छलनी

31 जुलाई 2013 को जब आकाश अपने कंपनी कार्यालय में थे, और उनके पिता घर के आंगन में लेटे हुए थे, तब एक बाइक पर सवार तीन लोगों ने उनके पिता को सिर, सीने और हाथ में छह गोलियां मारी थी। गंभीर रूप से घायल होने के कारण उनकी मौत हो गई थी। पिता की हत्या के बाद भी धमकियों का सिलसिला नहीं थमा।

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भाई का भी मिला शव

इसी दौरान 21 जून 2014 को आकाश के छोटे भाई का शव दिल्ली के नरेला इलाके में रेलवे ट्रैक के पास मिला। आकाश का आरोप है कि पुलिस ने मामले की गंभीरता से जांच नहीं की और मामले को बंद कर दिया। आरोप है कि उसके भाई को भी रेत माफिया ने मार डाला।

पिता के हत्या के बाद दर्ज कराया केस

आकाश चौहान ने अपने पिता की हत्या के लिए राजपाल चौहान और उनके तीन बेटों के खिलाफ पुलिस में नामजद शिकायत दर्ज कराई। 2013 की हत्या के बाद पाले राम के स्वजन ने पूर्व जिला सरकारी वकील केके सिंह से परामर्श किया था और उनसे मामला उठाने का आग्रह किया था।

रेत माफिया का था खौफ

उन्होंने दावा किया कि उस समय रेत माफिया से जबरदस्त खतरा था। पाले राम की हत्या एसडीएम दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन के कुछ दिनों के भीतर हुई। आकाश तब एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे। वह अपने पिता के हत्यारों को कड़ी से कड़ी सजा चाहता था, इसलिए केके सिंह ने आकाश को कानून की पढ़ाई करने की सलाह दी।

नोएडा के कॉलेज से किया किया लॉ

आकाश ने ग्रेटर नोएडा के एक कॉलेज से कानून में स्नातक की डिग्री हासिल की और वकील के रूप में जिला अदालत में केके सिंह के साथ मुकदमा लड़ा। जिसके परिणामस्वरूप हत्यारोपित राजपाल और उनके एक बेटे को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई, जबकि दो अन्य को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। आकाश का कहना है कि माफिया से उनकी कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं थी, लेकिन अब हम खुश हैं कि उनमें से दो को दोषी ठहराया गया है।

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