नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआइसी के शेयरों में अपनी लिस्टिंग के एक साल के दौरान लगभग 40 प्रतिशत की गिरावट आई है। वहीं निवेशकों की संपत्ति 1.93 लाख करोड़ कम हुई है। एलआइसी का शेयर पिछले साल 17 मई को आठ प्रतिशत के डिस्काउंट पर सूचीबद्ध् हुआ था। इससे सरकार को 20,557 करोड़ रुपये मिले थे। कंपनी को शेयर बीएसई पर 872 रुपये और एनएसई पर 867.20 रुपये पर सूचीबद्ध हुआ था। उधर, एलआइसी की मार्केट कैप में गिरावट के साथ राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।
बीएसई पर एलआइसी का शेयर 570.10 रुपये पर हुआ बंद
कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने जहां इसको अदाणी समूह की कंपनियों के मार्केट कैप में आई गिरावट से जोड़ रहे हैं वहीं भाजपा ने उन पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया है। बीएसई पर 949 रुपये के निर्गम मूल्य के मुकाबले एलआइसी का शेयर 39.92 प्रतिशत नीचे है। वहीं एनएसई पर यह निर्गम मूल्य से 39.93 प्रतिशत नीचे है। बुधवार को बीएसई पर एलआइसी का शेयर 0.48 प्रतिशत की तेजी के साथ 570.10 रुपये पर बंद हुआ। एनएसई पर कंपनी का शेयर 0.44 प्रतिशत की बढ़त के साथ 570 रुपये पर बंद हुआ।
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कारोबार के पहले साल में कंपनी के शेयरों 52 हफ्ते के उच्चतम स्तर 920 रुपये और 52 सप्ताह के निचले स्तर 530.20 रुपये को छुआ है। पिछले एक साल के दौरान यह 949 रुपये के निर्गम मूल्य को पार करने में विफल रहा है। इसकी तुलना में 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स समीक्षाधीन अवधि के दौरान 7,242.17 अंक या 13.33 प्रतिशत उछला है, जबकि व्यापक एनएसई निफ्टी 1,922.45 अंक या 11.82 प्रतिशत बढ़ा है।
एलआइसी का मार्केट कैप 5.54 लाख करोड़ रुपये था
मार्केट कैप के मामले में कंपनी 13वें स्थान पर अपनी लिस्टिंग के दिन एलआइसी का मार्केट कैप 5.54 लाख करोड़ रुपये था और वह शीर्ष पांच मूल्यवान कंपनियों में शामिल हो गई थी। बुधवार को कारोबार के अंत में कंपनी का मार्केट कैप घटकर 3,60,588.12 करोड़ रुपये रह गया। यह लिस्टिंग के दिन के मार्केट कैप से 1,93,411.88 करोड़ रुपये कम है। कंपनी अब बाजार मूल्यांकन के आधार पर शीर्ष घरेलू कंपनियों की समग्र रैंकिंग में 13वें स्थान पर है।