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PAN की तरह Voter ID को भी Aadhaar से करना होगा लिंक? चुनाव आयोग ने उठाया ये कदम

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नई दिल्ली। मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोपों में विपक्ष के हमले झेल रहा चुनाव आयोग अब इसे दुरुस्त करने की कवायद में जुट गया है। इसके लिए मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने मंगलवार को यूआइडीएआई और केंद्र सरकार के उच्च अधिकारियों की बैठक बुलाई है।

माना जा रहा है कि बैठक में मतदाता सूची को आधार के साथ जोड़ने की राह की बाधाओं को दूर करने के लिए अहम फैसला लिया जा सकता है। चुनाव आयोग के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार बैठक में ज्ञानेश कुमार के साथ-साथ अन्य दोनों चुनाव आयुक्त, केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन, विधायी सचिव राजीव मणि और यूआइडीएआई के सीईओ भुवनेश कुमार मौजूद रहेंगे।

आधार से वोटर लिस्ट को जोड़ने पर होगी बात

भुवनेश कुमार की मौजूदगी मतदाता सूची को आधार के डाटाबेस से जोड़ने और राजीव मणि की उपस्थिति इसकी राह में आ रही कानूनी बाधाओं को दूर करने के लिए जरूरी कदम उठाने की ओर इशारा करती है।

ध्यान देने की बात है कि मुख्य चुनाव आयुक्त बनने के बाद ज्ञानेश कुमार ने तीन महीने के भीतर मतदाता सूची में गड़बड़ी को पूरी तरह से दूर करने का भरोसा दिया था। यह बैठक इसके लिए ही बुलाई गई है।

विपक्ष ने उठाया है मतदाता सूची में गड़बड़ी का मुद्दा

गौरतलब है कि 2024 के लोकसभा चुनाव तक ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाने वाली कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद मतदाता सूची में गड़बड़ी में बड़ा मुद्दा बना लिया है।

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने 2024 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच महाराष्ट्र में 39 लाख नए मतदाता जोड़ने को महाअघाड़ी गठबंधन की हार का कारण बताया और चुनाव आयोग से जवाब तलब किया। इस मुद्दे पर चुनाव आयोग सफाई दे चुकी है, लेकिन कांग्रेस का हमला जारी है।

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आप ने भी लगाए मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोप

वहीं, दिल्ली में अपनी हार के लिए आम आदमी पार्टी भी मतदाता सूची में गड़बड़ी का आरोप लगा रही है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने मतदाता सूची में डुप्लीकेट ईपीक नंबर का मुद्दा उठाते हुए केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर अगले साल होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव को प्रभावित करने की साजिश करार दिया।

मतदाता सूची में गड़बड़ी के विपक्ष के बढ़ते हमलों के बीच चुनाव आयोग को इसे मतदाता सूची से जोड़ना ही सटिक उपाय नजर आ रहा है। लेकिन इसमें सबसे बड़ी अड़चन कानूनी है।

सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी रोक

दरअसल 2015 में चुनाव आयोग ने मतदाता सूची को आधार डाटाबेस के साथ जोड़ने का काम शुरू किया था और तीन महीने में ही 30 करोड़ मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ दिया गया था। लेकिन आधार की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका को देखते सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी।

अभी स्वेच्छा से आधार और वोटर आई को जोड़ा जा सकता है

2018 में अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने आधार की वैधानिकता पर मुहर लगा दी। लेकिन इसके स्वैच्छिक इस्तेमाल की ही अनुमति दी। इस रास्ते की दूसरी कानूनी अड़चनों को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने 2022 में जनप्रतिनिधित्व कानून और चुनाव कानून में संशोधन कर इसका रास्ता साफ किया। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी सही ठहराया।

66 करोड़ मतदाताओं का पहचान पत्र आधार से जुड़ा

इसके बाद स्वैच्छिक रूप से मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने का काम चल रहा है और लगभग 66 करोड़ मतदाताओं का पहचान पत्र आधार से जोड़ा जा चुका है। लेकिन लगभग 33 करोड़ मतदाताओं का जोड़ा जाना बाकी है और विवाद की जड़ यही है।

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चुनाव आयोग ने पिछले दिनों मतदाता सूची को फुलप्रूफ बनाने के लिए आधार से जोड़ने और इसके लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का संकेत दिया था। मंगलवार की बैठक में इन्हीं कानूनी अड़चनों को दूर करने के लिए जरूरी कदमों पर फैसला होने की उम्मीद है।

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