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सड़क सुरक्षा पर परिवहन आयुक्त, उत्तर प्रदेश श्री बी.एन. सिंह द्वारा मिशन कर्मयोगी और सड़क सुरक्षा कार्यशाला का आयोजन

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तकनीक की प्रभावी भूमिका पर विशेष जोर, एक हजार से अधिक लोग हुये शामिल।

गौतमबुद्ध नगर , 26 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश के परिवहन आयुक्त श्री बी.एन. सिंह की गौरवमयी उपस्थिति मे गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय ग्रेटर नोयडा में “मिशन कर्मयोगी और सड़क सुरक्षा” पर एक महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने में तकनीक की प्रभावी भूमिका को रेखांकित करना और इस दिशा में ठोस कदम उठाना था। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव श्री एल. वेंकटेश्वर लू, माननीय मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री अवनीश अवस्थी, आरटीओ गाजियाबाद श्री पी.के. सिंह, एआरटीओ (प्रशासन) श्री सियाराम वर्मा, एआरटीओ (प्रवर्तन) डॉ. उदित नारायण पाण्डेय सहित विभिन्न गैर- सरकारी संगठन (एनजीओ), शिक्षा विभाग के अधिकारी, विद्यार्थी, अध्यापक, और सड़क सुरक्षा नोडल शिक्षक उपस्थित रहे। इस आयोजन में एक हजार से अधिक लोगों ने भाग लिया।

सड़क सुरक्षा में तकनीक की भूमिका

परिवहन आयुक्त श्री बी.एन. सिंह ने अपने भाषण में सड़क सुरक्षा को एक सामाजिक और राष्ट्रीय प्राथमिकता बताते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए तकनीक का उपयोग एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार सड़क सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है और इसके लिए परिवहन विभाग निरंतर नवीन तकनीकों को अपनाने की दिशा में कार्य कर रहा है। श्री सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि सड़क सुरक्षा केवल नियमों का पालन कराने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके लिए जागरूकता, शिक्षा, और तकनीकी हस्तक्षेप की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, “सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए हमें डेटा-आधारित नीतियां बनानी होंगी। इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस), और अन्य आधुनिक तकनीकों का उपयोग अनिवार्य है। उन्होने बताया कि नो हेल्मेट, नो फ्यूल और नो हेल्मेट, नो सीट बेल्ट नो अटेन्डेन्स के माध्यम से हमारा लक्ष्य न केवल दुर्घटनाओं को कम करना है, बल्कि हर नागरिक को सुरक्षित यात्रा का अधिकार सुनिश्चित करना है।”

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तकनीकी पहल और उनके प्रभाव

कार्यशाला में सड़क सुरक्षा से संबंधित कई तकनीकी पहलों पर विस्तार से चर्चा की गई। इनमें से कुछ प्रमुख पहल निम्नलिखित हैं:
इंस्टीट्यूट ऑफ ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड रिसर्च (आईडीटीआर): श्री सिंह ने रायबरेली में स्थापित आईडीटीआर को सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में एक उत्कृष्टता केंद्र (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस) के रूप में विकसित करने की योजना पर प्रकाश डाला साथ ही गौतमबुद्ध नगर मे भी शीघ्र आई डी टी आर स्थापित कराये जाने की योजना की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आईडीटीआर में वाहन चालकों लिए आधुनिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिसमें ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल), वाहन फिटनेस, और सड़क सुरक्षा नियमों के प्रवर्तन से संबंधित नवीनतम तकनीकों पर ध्यान दिया जाएगा। यह केंद्र न केवल चालकों और अधिकारियों को प्रशिक्षित करेगा, बल्कि आम जनता के लिए भी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करेगा।

एटीएस (ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन): वाहनों की फिटनेस जांच के लिए ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन की स्थापना पर जोर देते हुए श्री सिंह ने कहा कि यह तकनीक वाहनों की स्थिति को पारदर्शी और त्रुटिरहित तरीके से जांचने में सक्षम है। इससे सड़कों पर चलने वाले अनफिट वाहनों की संख्या में कमी आएगी, जो दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण हैं।

इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस): ट्रैफिक प्रबंधन के लिए आईटीएमएस के उपयोग पर बल देते हुए उन्होंने बताया कि यह सिस्टम रियल-टाइम डेटा के आधार पर ट्रैफिक को नियंत्रित करने में सक्षम है। इससे जाम की स्थिति को कम किया जा सकता है और दुर्घटनाओं की संभावना को न्यूनतम किया जा सकता है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई): एआई तकनीक का उपयोग ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन को ट्रैक करने, ओवरस्पीडिंग और नशे में वाहन चलाने जैसे अपराधों पर नजर रखने के लिए किया जा रहा है। श्री सिंह ने बताया कि एआई-आधारित कैमरे और सेंसर सड़क सुरक्षा नियमों के उल्लंघन को तुरंत पकड़ सकते हैं, जिससे प्रवर्तन प्रक्रिया को और सख्त किया जा सकता है।

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ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) और वाहन फिटनेस: ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए ऑनलाइन सिस्टम को मजबूत किया जा रहा है। साथ ही, वाहन फिटनेस प्रमाणपत्रों की जांच के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग बढ़ाया जा रहा है, ताकि अनफिट वाहनों को सड़कों से हटाया जा सके।

कार्यशाला में सड़क सुरक्षा को एक सामुदायिक प्रयास के रूप में देखने पर जोर दिया गया। अपर मुख्य सचिव श्री एल. वेंकटेश्वर लू ने अपने संबोधन में कहा, “सड़क सुरक्षा केवल सरकार या परिवहन विभाग की जिम्मेदारी नहीं है। इसके लिए समाज के हर वर्ग, विशेष रूप से युवाओं और शिक्षकों को आगे आना होगा। स्कूलों में सड़क सुरक्षा नोडल शिक्षकों की नियुक्ति एक सकारात्मक कदम है, जो बच्चों को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।”

माननीय मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री अवनीश अवस्थी ने सड़क सुरक्षा को मुख्यमंत्री की प्राथमिकता बताते हुए कहा कि तकनीक और जागरूकता के संयोजन से ही इस दिशा में सकारात्मक परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा, “हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हर व्यक्ति सड़क पर सुरक्षित महसूस करे। इसके लिए हमें न केवल तकनीक को अपनाना होगा, बल्कि लोगों के व्यवहार में भी बदलाव लाना होगा।”

अपर परिवहन आयुक्त ( सड़क सुरक्षा) पी एस सत्यार्थी ने सड़क सुरक्षा नियमों के सख्त प्रवर्तन पर जोर देते हुए कहा कि ओवरस्पीडिंग, नशे में वाहन चलाने, और हेलमेट न पहनने जैसे उल्लंघनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने बताया कि तकनीक के उपयोग से प्रवर्तन प्रक्रिया को और प्रभावी बनाया जा रहा है।

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कार्यशाला में विभिन्न एनजीओ ने भी सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में अपने प्रयासों को साझा किया। कई संगठनों ने बताया कि वे ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चला रहे हैं और स्थानीय समुदायों को सड़क सुरक्षा के प्रति संवेदनशील बना रहे हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि सड़क सुरक्षा को एक सामाजिक आंदोलन के रूप में चलाया जाना चाहिए, जिसमें स्कूल और कॉलेज महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

समापन और संकल्प

कार्यशाला के समापन सत्र में परिवहन आयुक्त श्री बी.एन. सिंह ने सभी प्रतिभागियों से सड़क सुरक्षा के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने का संकल्प लेने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि तकनीक और जागरूकता के संयोजन से उत्तर प्रदेश को सड़क दुर्घटनाओं से मुक्त बनाने का सपना साकार किया जा सकता है। इस अवसर पर उपस्थित सभी लोगों ने सड़क सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और इस दिशा में मिलकर काम करने का संकल्प लिया।

यह कार्यशाला न केवल सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने में सफल रही, बल्कि तकनीक के उपयोग और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से इस क्षेत्र में ठोस प्रगति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।

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