नई दिल्ली। दिल्ली रेलवे स्टेशन परिसर में करंट लगने से हुई शिक्षिका साक्षी आहूजा की मौत मामले में रेलवे पुलिस की तरफ से आरोपपत्र लगभग तैयार कर लिया गया है। पुलिस दो सप्ताह के भीतर कोर्ट में आरोपपत्र दायर करेगी। जांच में सामने आया है कि रेलवे के बिजली विभाग के सात अधिकारी और कर्मचारियों की लापरवाही से हादसा हुआ।
पुलिस ने हादसे का कारण बिजली के खंभे पर तारों के रखरखाव में बरती गई लापरवाही को माना है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि रेलवे के दिल्ली डिवीजन के बिजली विभाग के वरिष्ठ सेक्शन इंजीनियर गोपाल कुमार, भरत कुमार, तकनीशियन जगदीश, सीता राम और वायरमैन मनीष कुमार, नारायण और दीपक स्टेशन परिसर में बिजली के खंभे के रखरखाव के जिम्मेदार थे।
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लेकिन इन्होंने आपने काम में लापरवाही बरती, जिससे हादसा हुआ। इन सभी को पुलिस की तरफ से नोटिस भेजा गया है और पुलिस ने सभी से पूछताछ भी की है। मामले में दर्ज की गई एफआइआर मशीनरी के संबंध में लापरवाही बरतने और लापरवाही से मौत की धारा में है, (जो कि जमानती धारा है) ऐसे में सभी जमानत पर हैं।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि रेलवे की तरफ से भी की गई जांच में उक्त सातों की भूमिका सामने आई है। जांच में पाया गया कि जहां पर हादसा हुआ था वहां लाइट के पोल के अंदर इन्सुलेशन की कमी और दोषपूर्ण विद्युत उपकरण व बेतरतीब तार लगे हुए थे। जांच में यह स्पष्ट हुआ है की बिजली के पोल में वायरिंग ठीक तरीके से नहीं की गई थी।
25 जून की सुबह दिल्ली रेलवे स्टेशन पर करंट लगने से शिक्षिका साक्षी आहूजा की हुई थी मौत
इससे करंट का प्रवाह वर्षा से जमे पानी में आ गया था। पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपपत्र में इन सभी तथ्यों को साक्ष्य के रूप में शामिल किया गया है। अभी फिलहाल कुछ तकनीकी पहलू हैं, जिनका विश्लेषण किया जा रहा है, इसके बाद जल्द ही आरोपपत्र दायर किया जाएगा। बता दें कि साक्षी परिवार के अन्य सदस्यों के साथ 25 जून की सुबह चंडीगढ़ जाने के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंची थीं।
यहां पर आटो स्टैंड के पास लाइट के पोल के संपर्क में आने से साक्षी की मौत हो गई थी। इस मामले में पीड़ित परिवार को रेलवे द्वारा 10 लाख रुपये का मुआवजा देने की बात कही जा रही है, लेकिन पीड़ित परिवार उसे लेने को तैयार नहीं है। सूत्रों का कहना है कि पीड़ित परिवार अधिक मुआवजा चाहता है।