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200 एकड़ जमीन पर बनेगा नया विधान भवन, नई संसद की तरह होगा भव्य और आधुनिक सुविधाओं से संपन्न

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नए संसद भवन की तर्ज पर राजधानी में नया और भव्य विधान भवन बनाने के लिए खुले क्षेत्र में कम से कम 200 एकड़ जमीन तलाशने का निर्देश दिया है। नए विधान भवन के लिए कई स्थान सुझाए गए हैं।

इनमें शहर के बीचोंबीच स्थित चिड़ियाघर की जमीन के अलावा वृंदावन योजना, सुल्तानपुर रोड और रायबरेली रोड पर भारतीय गन्ना अनुसंधान परिसर की भूमि शामिल हैं। दारुलशफा और आसपास के क्षेत्र में नया विधान भवन बनाने के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री ने खारिज कर दिया है।

मुख्यमंत्री के समक्ष रविवार को नए विधान भवन बनाने के प्रस्ताव को लेकर प्रस्तुतीकरण किया गया। इसमें बताया गया कि दारुलशफा और उसके अगल-बगल की जमीन पर नया विधान भवन बनाने से यातायात समेत कई तरह की समस्याएं आएंगी। कई भवनों को ध्वस्त करना पड़ेगा।

सीएम ने खुले स्थान पर दिया जमीन तलाशने का निर्देश

इस पर मुख्यमंत्री ने खुले स्थान पर जमीन तलाशने का निर्देश दिया, जहां पार्किंग और सुगम यातायात में किसी तरह की दिक्कत न आए। जमीन चिह्नित करने की जिम्मेदारी लखनऊ विकास प्राधिकरण को सौंपी गई है। नए विधान भवन के लिए चिड़ियाघर की जमीन पर भी विचार किया जा रहा है।

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यह जमीन शहर के बीच और पुराने विधान भवन के साथ ही मुख्यमंत्री के सरकारी आवास के भी पास है। इस जमीन का एक सिरा लोहिया पथ पर हैदर कैनाल के समानांतर है। यह माना जा रहा है कि यदि इस जमीन को नए विधान भवन के निर्माण के लिए चुना गया तो लोहिया पथ से लगने वाले सिरे की ओर विधान भवन का मुख्य द्वार बनाया जा सकता है।

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कुछ स्थानों पर सुझाए गए विकल्प

सरकार लखनऊ चिड़ियाघर को कुकरैल वन क्षेत्र में स्थानांतरित करने की योजना पर काम कर रही है। चिड़ियाघर के कुकरैल स्थानांतरित होने पर यह जमीन खाली हो जाएगी। नए विधान भवन के निर्माण के लिए कुछ और स्थानों के विकल्प भी सुझाये गए हैं। इनमें फन रिपब्लिक माल के पीछे एलडीए की जमीन के अलावा सुल्तानपुर रोड और वृंदावन योजना के रिक्त क्षेत्र भी शामिल हैं।

योगी आदित्यनाथ सरकार नए संसद भवन की तर्ज पर राजधानी में नया विधान भवन बनाना चाहती है। नए विधान भवन की अनुमानित लागत 3000 करोड़ रुपये है, लेकिन वर्तमान वित्तीय वर्ष के बजट में इसके लिए 50 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की गई है।

तीन वर्ष का समय लगेगा

नए विधान भवन का निर्माण पूरा होने में तीन वर्ष लगेंगे। सरकार चाहती है कि अठारहवीं विधानसभा का कम से कम एक सत्र नए विधानभवन में हो। सरकार की मंशा है कि जल्दी से जमीन चिह्नित कर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस 25 दिसंबर को नए विधानभवन का शिलान्यास कर दिया जाए।

गौरतलब यह भी है कि नया विधानभवन बनाने के लिए दारुलशफा सहित कुछ और स्थानों की मिट्टी की जांच का काम बीते दिनों शुरू किया गया था। इसके लिए कंसल्टेंट नियुक्त कर निर्माण कार्य शुरू करने से पहले मिट्टी की जांच केबीएम इंजीनियरिंग रिसर्च लेबोरेटरी से कराई जा रही थी।

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