Home Breaking News बिल्डरों सहित सभी को बहुत कुछ सबक दे गया नोएडा Twin Tower ध्वस्तीकरण का मामला, जानिए पूरी खबर
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बिल्डरों सहित सभी को बहुत कुछ सबक दे गया नोएडा Twin Tower ध्वस्तीकरण का मामला, जानिए पूरी खबर

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नोएडा में रविवार को ट्विन टावर गिराए जाने की घटना से नोएडा प्राधिकरण सहित कई सरकारी एजेंसियों पर सवाल खड़े होते हैं। सवाल यह भी है कि क्या नियमों की अनदेखी कर इसके निर्माण की अनुमति दी गई या नियमों में किसी कमी के कारण ऐसा हुआ? बहरहाल इसके जो कारण सामने आए हैं, उनमें अग्नि सुरक्षा से जुड़े नियमों का पालन नहीं किया जाना, नोटिस के बाद भी बिल्डिंग प्लान साझा नहीं किया जाना, दोनों टावरों के बीच कम से कम 16 मीटर की दूरी का नहीं होना, टावर बनाने का काम मंजूरी की प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही शुरू किया जाना रहा है। इस तरह की अनियमितता नियमों के होने के बावजूद की गई जो साबित करता है कि ऐसा करने वालों को कानून और प्राधिकरण का कोई भय नहीं है। इस मामले में जितना ही दोष निर्माण कंपनी का है उससे कम दोष नोएडा प्राधिकरण का नहीं है।

आज देश में सबसे ज्यादा धोखाधड़ी हो रही

हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार ने ट्विन टावर अनियमितता के मामले में संलिप्त रहे नोएडा प्राधिकरण के 26 अधिकारियों की सूची जारी की है। इनमें से छह अधिकारी कार्यरत हैं, जबकि एक की मृत्यु हो चुकी है और शेष 19 अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उम्मीद की जा रही है कि राज्य सरकार ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी। इस घटना के संबंध में देश भर में अब तक कई पहलू सामने आए हैं। सबसे पहला तो लोगों में न्यायपालिका के प्रति जो सम्मान और विश्वास है वह और मजबूत हुआ है। दूसरी तरफ प्रापर्टी के मामले में आज देश में सबसे ज्यादा धोखाधड़ी हो रही है। इसमें कई मामले तो सामने आ जाते हैं, जबकि बहुत सारे मामले सामने आते ही नहीं हैं। ऐसे में इस समस्या के प्रति अगर कुछ अच्छे निर्णय आते हैं तो यह एक बड़ा सबक है। यह निर्णय गुणवत्ता के साथ समझौता नहीं करने और पर्यावरण के लिए भी एक बड़ा संदेश है। आम नागरिक जो अपनी गाढ़ी मेहनत की कमाई से घर का सपना पूरा करना चाहता है, उसके लिए यह एक बड़ी राहत है।

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भविष्य में ऐसी इमारतें न बनें और ऐसी अनियमितता नहीं हो, इसका ध्यान रखा जाना बहुत ही आवश्यक है। साथ ही नियमों की अनदेखी करने वाले अधिकारियों के प्रति कठोर कदम उठाए जाने चाहिए। सर्वाधिक आवश्यक यह भी है कि ऐसी कंपनियों को काली सूची में डालते हुए उनके अन्य निर्माण कार्यों की भी गहन जांच कराई जाए। वैसे नोएडा प्राधिकरण के अनुसार, उन्होंने नियमों को संशोधित करने की कवायद शुरू की है जिसमें सहमति के मानदंडों को संशोधित किया गया है और भुगतान विधियों को सुव्यवस्थित करने के अलावा बिल्डरों को एफएआर के वितरण के नियमों को अधिक कठोर बनाया गया है। नोएडा प्राधिकरण ने अब एक नया प्रारूप तैयार किया है, जिसके तहत निर्माताओं को इस तरह के निर्माण के लिए खरीदारों की अनुमति भी लेनी होगी।

मानकों की अनदेखी

देश में ऐसी बहुत सी इमारतें हैं जिनके साथ न्याय नहीं किया जा सका है। ऐसे में आवश्यकता इस बात की है कि इन सभी को मानक की कसौटियों पर कसते हुए उनके साथ भी न्याय किया जाए। मानवीय सुरक्षा के साथ ही यह पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी उतना ही आवश्यक है। आज देश में शहरीकरण की प्रवृत्ति इस तरीके से बढ़ती जा रही है जिसमें पर्यावरण से जुड़ी की चिंताओं को सिरे से खारिज किया जा रहा है। आज दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों की स्थिति इतनी भयावह होती जा रही है, जहां घर खरीदने के पहले सबसे बड़ी चिंता धोखाधड़ी की है। उसके बाद की चिंता उस घर में रह पाने की भी है। रोटी, कपड़ा और मकान जैसी आधारभूत सुविधाओं के साथ ऐसी कंपनियां जो धोखाधड़ी और अनियमितता बरतती हैं, उनके लिए ट्विन टावर एक बड़ा सबक है जिसे देश भर में सराहा गया है।

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हमारी आवश्यकता के हिसाब से हमें घर मिले यह स्वाभाविक सोच है ंकतु इस आपाधापी और लोभ में हम अपनी प्रकृति का कितना विनाश कर रहे हैं, मानवीय सुरक्षा के साथ कितना खिलवाड़ कर रहे हैं, हमें इसकी भी चिंता करनी चाहिए। आज हम स्मार्ट सिटी की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। यह सत्य है कि महानगरों में आवास एक बड़ी समस्या है जिसका निदान सरकार की बहुत सारी योजनाओं के माध्यम से करने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन आवश्यकता के अनुरूप पूर्ति का असंतुलन पहले भी था और आज भी है। ऐसे में शहरीकरण की तीव्र प्रक्रिया के प्रबंधन की भी ठोस नीति बनाए जाने की आवश्यकता है। एक तरफ पर्यावरण और पारिस्थितिकी असंतुलन की समस्या और दूसरी तरफ बढ़ती जनसंख्या की संसाधनों पर अत्यधिक निर्भरता ने इस समस्या को और भी जटिल बना दिया है। आज हमारी जनसंख्या लगातार गुणात्मक रूप से बढ़ती जा रही है। जनसंख्या वृद्धि का सबसे बुरा परिणाम शहरों पर पड़ रहा है।

बढ़ता शहरीकरण

शहरीकरण की तीव्र प्रक्रिया को देखते हुए यह सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि भविष्य में इसकी संख्या में और बढ़ोतरी होगी। इन स्थितियों के बीच हम देख रहे हैं कि शहर तेजी से बढ़ते जा रहे हैं जिन पर कोई नियंत्रण नहीं है। औद्योगीकरण और रोजगार के नए अवसरों ने शहरों की ओर पलायन की प्रवृत्ति को और बढ़ाया है। नित्य नए उद्योगों की स्थापना व व्यापार बढ़ने के साथ ही शहरों का निरंतर विस्तार होता जा रहा है। इसके साथ ही कई तरह की समस्याएं भी पैदा हुई हैं। विविध प्रकार की सुविधाओं का विस्तार करने के लिए व्यापक स्तर पर जमीन का अधिग्रहण करके बड़े बड़े माल तथा आवासीय कांप्लेक्स बनाए जा रहे हैं। इसके लिए अधिगृहित जमीन में वैसी भूमि भी है जो कृषि कार्य के लिए है। दूसरी तरफभारत के अधिकांश शहर पानी, बिजली, स्वास्थ्य, परिवहन, आवास, स्वच्छता जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। यह कैसी विडंबना है कि एक तरफ लोग बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं तो दूसरी ओर इसी प्रकार के कई और शहरों को विकसित किया जा रहा है। इससे उपजी समस्याएं आने वाले दिनों में और जटिल होंगी। विचारणीय बिंदु यह है कि क्या इतनी आबादी और संसाधनों पर बढ़ते बोझ को ढोने के लिए हमारे शहर तैयार हैं?

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