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मरीजों को जंजीरों से बांध कर होती थी पिटाई, फर्जी अस्‍पताल पर पड़ा छापा, सिहर गए अफसर

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उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में हैरान करने वाला मामला सामने आया है. जिले के एक गांव में अवैध मानसिक अस्पताल चल रहा था. यहां मरीजों को जंजीरों में कैद कर उनका इलाज किया जाता था. अस्पताल में दवाई के नाम पर गैस की दवा मौजूद थी. इलाज के दौरान मरीजों के साथ मारपीट को जाती थी. इस फर्जी मानसिक अस्पताल का खुलासा तब हुआ जब दो दिन पहले यहां एक मरीज की मौत हो गई.

पीड़ित परिजनों ने शिकायत की थी कि सीना और गला दबाने से उनके मरीज की मौत हुई थी. जांच के लिए जब जिले के स्वास्थ्य अधिकारी अवैध मानसिक अस्पताल पहुंचे तो वहां 6 मरीज जंजीरों से बंधे हुए थे. उनकी देखरेख के लिए कोई स्टाफ नहीं था. वहां मौजूद मरीजों ने बताया कि वह पूरी तरह ठीक हैं फिर भी उन्हें बांध रखा है. उनके साथ मारपीट की जाती है. पुलिस ने अस्पताल संचालक पिता-पुत्र को गिरफ्तार किया है.

2 दिन पहले हुई थी बिहार के मरीज की मौत

जिले के जमानिया तहसील अंतर्गत गांव मदनपुरा में मानसिक इलाज के नाम पर अवैध अस्पताल खोल रखा था. विजय नारायण पाठक और उसके पुत्र सुनील पाठक अस्पताल का संचालक करते हैं. अस्पताल को एक एनजीओ के माध्यम से संचालित किया जा रहा था. अस्पताल में मरीजों के साथ होने वाली हैवानियत का खुलासा तब हुआ जब बिहार के एक मरीज की 2 दिन पहले यहां इलाज के दौरान मौत हो गई थी. मृतक मरीज के परिजनों ने इसकी शिकायत पुलिस से की थी. जानकारी जिले के स्वास्थ्य विभाग अधिकारीयों को दी गई.

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जंजीरों से बंधे थे मरीज, गैस की दवा हुई बरामद

शिकायत के बाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक डॉक्टर रवि रंजन अस्पताल पर पहुंचे. वहां उन्हें कोई भी स्वास्थ्यकर्मी और डॉक्टर नहीं मिला. मानसिक अस्पताल में जंजीरों में बंधे मरीज मौजूद थे. जांच टीम ने उनसे बात की तो वह स्वस्थ्य दिख रहे थे. पूरे अस्पताल की जांच में टीम को दवा के नाम पर गैस मी गोलियां मिलीं. सीएचसी प्रभारी डॉक्टर रवि रंजन ने बताया कि इलाज के नाम पर मरीजों से मोटी रकम वसूली जाती थी.

इलाज के 78 हजार, खाने के 6 हजार

मानसिक रोगियों को मारपीट और डरा धमका कर उन्हें यहां जंजीरों में कैद कर रखा जाता था. वहीं, एक मरीज के परिजन ने बताया कि वह बिहार के मोहनिया का रहने वाला है. उसका बेटा नशा करता था इसलिए यहां पर भर्ती कराया. इलाज के लिए उनसे 78 हजार रुपये लिया गया. इसके अलावा प्रति महीना भोजन के लिए 6 हजार रुपये भी लिया जाता है.

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