बरेली: अधूरे निर्माण, उड़ती धूल में जूझने वाला वर्ष 2022 जाने से पहले नये अध्याय का आरंभ भी कर रहा है। स्मार्ट सिटी में बहुत से ऐसे परिवर्तन भी हो चुके, जिसकी आमजन को जानकारी ही नहीं है। नववर्ष के आगमन से पहले हम ऐसी हर सुविधा के बारे में बताएंगे, जिससे आमजन को फायदा मिल सके। इसके अलावा टीम ने आमजन बनकर उनका रियलिटी चेक भी किया ताकि सच्चाई जनता के सामने आए, क्योंकि यहां यह जानना महत्वपूर्ण है कि सुविधाएं जमीनी हैं कि नहीं।
पुलिस को नहीं पता क्या है ईसीबी
पड़ताल में अधिकतर लोग ईसीबी (इमरजेंसी काल बाक्स) की सेवा से अनजान थे, इसमें सेटेलाइट पुलिस चौकी के हेड कांस्टेबल सत्यप्रकाश, राजू व एसआइ संग्राम भी शामिल रहे। ईसीबी में किन-किन समस्याओं के लिए मदद मांगी जाए इसकी कोई जानकारी नहीं होने से लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा।
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सेफ सिटी योजना के तहत बढ़ सकती है संख्या
शहर को सेफ सिटी में शामिल किया गया है। इसके तहत आमजन को हर तरह की मदद के लिए किसी भी चौराहे व प्रमुख स्थानों पर इमरजेंसी में बटन दबाते ही मदद मिल सकेगी। इसके लिए ईसीबी की संख्या बढ़ाई जा सकती है। इसके लिए अधिकारियों की टीम सर्वे कर रही है।
कैसे काम करता है इमरजेंसी काल बाक्स
शहर के पांच स्थानों पर पीले कलर में लगे इमरजेंसी काल बाक्स (ईसीबी) के ऊपरी हिस्से पर लाल कलर का बटन लगा है। बटन को दबाते ही आपकी काल स्मार्ट सिटी कंट्रोल रूम में पहुंच जाती है। वहां से काल करने वाले व्यक्ति का नाम, समस्या व मोबाइल नंबर पूछने के बाद तुरंत ही मदद के लिए टीम भेजने का आश्वासन दिया जाता है।
कैसे मिलती है मदद
इमरजेंसी काल बाक्स की बटन दबाते ही काल करने वाले व्यक्ति की तस्वीर ईसीबी में लगे कैमरे के जरिये इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर में पहुंच जाती है। वहां से काल करने वाले व्यक्ति के गतिविधियों की निगरानी की जाती है। आपात स्थिति में होने पर कंट्रोल रूम से तत्काल पुलिस को सूचना दी जाती है और ईसीबी से काल करने वाले व्यक्ति को मदद पहुंचाई जाती है।
यहां लगे हैं इमरजेंसी काल बाक्स
बता दें बरेली शहर के अंदर गांधी उद्यान गेट, सेटेलाइट पुलिस चौकी के सामने, फीनिक्स माल के सामने, मिनी बाइपास और राजकीय गर्ल्स इंटर कालेज के सामने इमरजेंसी काल बाक्स लगे हैं।