गाजियाबाद। शास्त्रीनगर ई ब्लाक के पीछे 1900 वर्गमीटर जमीन को लेकर बृहस्पतिवार को एक बार फिर बवाल हुआ, जब नगर निगम की टीम इसकी चारदीवारी कराने पहुंची। इसे अंत्येष्टि स्थल बता हरसांव के ग्रामीणों ने विरोध कर कार्य रुकवाने का प्रयास किया।
पुलिस ने लोगों को तितर-बितर करने की कोशिश की, लेकिन हंगामा बढ़ा तो हल्का बल प्रयोग कर पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में लिया। पुलिस ने छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है। देर शाम तक चारदीवारी का कार्य जारी था।
क्या है मामला
हरसांव के लोगों के मुताबिक अभिलेखों में जमीन अंत्येष्टि स्थल के नाम से दर्ज है और लोग यहां पर 60 साल से अंतिम संस्कार कर रहे हैं। जीडीए ने शास्त्रीनगर बसाया, जिसके बाद अंतिम संस्कार को लेकर विवाद शुरू हुआ। तभी से अंतिम संस्कार बंद हैं।
कोरोना काल में यहां लोगों ने दोबारा अंतिम संस्कार करना शुरू कर दिया, जिसके बाद ग्रामीणों और शास्त्रीनगर के लोगों में विवाद बढ़ गया। कई बार हंगामे के साथ दोनों ओर से रिपोर्ट भी दर्ज की गईं। हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि करीब 20 साल से अंतिम संस्कार नहीं हुए।
नगर निगम ने बताई अपनी जमीन
जिलाधिकारी ने नगर निगम को जांच सौंपी, जिसमें जमीन नगर निगम की बताई गई। कहा गया कि यहां अंत्येष्टि स्थल था और जमीन ग्राम समाज की थी। जीडीए द्वारा शास्त्रीनगर बसाने के बाद यहां अंतिम संस्कार होने बंद हो गए और नगर निगम के गठन के बाद यह जमीन नगर निगम के अधीन आ गई।
बुलानी पड़ी कई थानों की फोर्स
बुधवार को अपर नगर आयुक्त अरुण यादव के साथ पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी पहुंचे और कार्य शुरू कराते ही ग्रामीण आ गए। हंगामा बढ़ने पर कई थानों की फोर्स बुलाई गई। सतपाल बुलडोजर के सामने खड़े हो गए। आरोप है कि पुलिस के समझाने पर खींचतान की गई, जिसके बाद पुलिस ने महिलाओं को समझाकर अलग किया और प्रदर्शनकारियों को घसीटकर कार में बैठाया और थाने ले गए।
एसएचओ (कविनगर) अमित कुमार ने बताया कि दारोगा अनुज ग्रेवाल की तहरीर पर सतपाल, सुभाष, सुखबीर, लवकुश, आशु और रविंद्र व 40 अन्य के खिलाफ बलवा, सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने व मारपीट की धाराओं में केस दर्ज कर नामजद आरोपितों को गिरफ्तार किया है। वीडियो के आधार पर अन्य की पहचान कर आगे की कार्रवाई करेंगे।
अपर नगर आयुक्त अरुण यादव ने बताया कि यह जमीन नगर निगम के अधीन है और लंबे समय से यहां अंतिम संस्कार नहीं होते। आसपास घनी आबादी होने के कारण इस पर रोक लगाकर लोगों को हिंडन घाट पर जाने के लिए कहा गया था। लगातार प्रयास के बाद भी लोग नहीं माने तो चारदीवारी के लिए पुलिस व प्रशासन का सहयोग लिया गया।