नई दिल्ली। तमाम कोशिशों के बाद भी दिल्ली की जेलों में कैदियों तक मोबाइल का पहुंचना जारी है। यही नहीं दूसरे कैदियों पर रौब झाड़ने के लिए कैदी जेल में धारदार हथियार भी बना रहे हैं। मंडोली स्थित जेल संख्या 13 में गुप्त सूचना के आधार पर की गई कार्रवाई में कैदियों के पास से चार स्मार्ट फोन सहित आठ मोबाइल व आठ चाकू मोबाइल बरामद हुए।
इतनी बड़ी संख्या में मोबाइल व चाकू की बरामदगी के मामले में जेल प्रशासन ने मंडोली जेल में कार्यरत दो जेल उपाधीक्षकों व चार हेड वार्डर को तत्काल निलंबित कर दिया है। विभागीय जांच में यदि इनकी संलिप्पता की पुष्टि होती है तो इन्हें बर्खास्त भी किया जाएगा।
कार्रवाई से इसलिए बच गए जेल अधीक्षक
जेल अधीक्षक इस मामले में कार्रवाई से इसलिए बच गए क्योंकि जिस रात छापेमारी हुई, उसी दिन उन्होंने पदभार ग्रहण किया था। जेल प्रशासन का कहना है कि गुप्त सूचना के आधार पर हुई कार्रवाई में इतनी बड़ी बरामदगी को देखते हुए अब सूचना तंत्र को मजबूत करने की कोशिश की जा रही है। अभी तक औचक निरीक्षण के दौरान मोबाइल या हथियार बरामद होते थे। गुप्त सूचना के आधार पर हाल फिलहाल हुई यह पहली कार्रवाई है।
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आखिर कहां और किस इरादे से होना था इस्तेमाल?
इतनी बड़ी तादाद में में चाकू बनाने के पीछे कैदियों का क्या इरादा था, यह अभी तफ्तीश का विषय है। आशंका जताई जा रही है कि कैदी चाकू का इस्तेमाल विरोधी गिरोह के बदमाश जो जेल में बंद हैं, उनपर हमला करने में करने वाले थे। इस बात की भी आशंका है कि ये जेल में धारदार हथियार के दम पर कैदियों पर रौब झाड़कर उनसे बेगार कराते या फिर उनसे वसूली की जाती।
मोबाइल बरामदी के पीछे का इरादा जेल से गिरोह के ऐसे बदमाश जो बाहर हैं, उन्हें निर्देश देना हो सकता है। जेल अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में जिन आरोपितों के पास से मोबाइल व चाकू की बरामदगी हुई है, उनमें तीन कुख्यात बदमाश हैं। इनमें रणदीप, गोलू व उमेश शामिल हैं।
रणदीप के पास चार मोबाइल बरामद हुए हैं। इस मामले में गोगी गिरोह के कुछ बदमाशों की संलिप्तता भी सामने आ रही है। क्या जेल के अंदर गिरोहों के बीच संघर्ष की यह आहट है, इसपर जेल प्रशासन अभी कुछ कहने की स्थिति में नहीं है।
टाइल के पीछे व पाइप के भीतर छिपाया था मोबाइल
कैदियों ने मोबाइल छिपाने के लिए कई तरकीब अपनाई थी। कुछ मोबाइल पानी की पाइपलाइन के भीतर तो कुछ मोबाइल को दीवार में टाइल्स के पीछे छिपाया गया था। टाइल्स के पीछे छिपाने की तरकीब के बाद जेल प्रशासन ने निर्णय लिया है कि अब जेल की दीवारों पर टाइल्स नहीं लगाई जाएंगी।
जैमर तंत्र को किया जाएगा मजबूत
जेल अधिकारियों का कहना है कि मोबाइल की बरामदगी से स्पष्ट है कि जेल में लगे जैमर टावर कारगर साबित नहीं हो पा रहे हैं। यह कारगर हो, इसके लिए नई तकनीक आधारित जैमर लगाए जाएंगे। कोशिश एक ब्लाक टावर के अलावा छोटे छोटे रेंज वाले जैमरों को लगाने की भी है। इनका रेंज छोटा होता है लेकिन ये कारगर साबित हो रहे हैं।
जेल महानिदेशक संजय बेनीवाल ने बताया जेलों में इस तरह की गैर कानूनी गतिविधि बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जो भी खामियां हैं, उन्हें चिन्हित कर दूर किया जाएगा। आने वाले समय में जेलों में कई बदलाव देखने को मिलेंगे। हम कई स्तरों पर कार्य कर रहे हैं।