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विधानसभा में बैकडोर से नियुक्त करीब 50 कर्मचारियों को हटाया

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देहरादून: विधानसभा सचिवालय में हुए भर्ती घपले में निरस्त की गईं 228 नियुक्तियों के मामले में विधानसभा ने अब संबंधित कार्मिकों की सेवाएं समाप्त करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। इस कड़ी में सोमवार को 40 कार्मिकों की सेवा समाप्ति के आदेश जारी कर दिए गए। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने इसकी पुष्टि की।

विधानसभा में हुई नियुक्तियों का मामला तूल पकडऩे के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भेजकर इसकी जांच कराने और विवादित नियुक्तियों को निरस्त करने का आग्रह किया था। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने जांच के लिए सेवानिवृत्त आइएएस डीके कोटिया की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय विशेषज्ञ जांच समिति गठित की।

228 तदर्थ नियुक्तियां की गई हैं निरस्त

समिति से 22 सितंबर को जांच रिपोर्ट मिलने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने अगले दिन विधानसभा में हुई 228 तदर्थ नियुक्तियों को निरस्त करने का एलान किया। इनमें वर्ष 2016 की 150, वर्ष 2020 की छह और वर्ष 2021 की 72 नियुक्तियां शामिल हैं।

बताया गया कि समिति ने जांच में पाया कि इन नियुक्तियों में नियम-कानूनों का पालन नहीं किया गया। इसके अलावा विधानसभा में उपनल के माध्यम से रखे गए 22 आउटसोर्स कर्मियों को भी उपनल को वापस लौटा दिया गया था। साथ ही सचिव विधानसभा मुकेश सिंघल को निलंबित कर दिया गया था।

विधानसभा अध्यक्ष ने निरस्त की गई नियुक्तियों के संबंध में शासन को प्रस्ताव भेजा गयाा। मुख्यमंत्री ने 23 सितंबर की रात ही इसे अनुमोदित कर दिया था। शासन की ओर से विधानसभा को इस बारे में सूचित किया गया। अब इस मामले में विधानसभा सचिवालय द्वारा संबंधित कार्मिकों को सेवा समाप्ति के आदेश जारी किए जा रहे हैं।

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सोमवार को 40 आदेश जारी किए गए, जिन्हें मार्शल के माध्यम से संबंधित कर्मियों को हस्तगत कराया गया। बताया गया कि मंगलवार और बुधवार तक निरस्त की गई शेष नियुक्तियों के संबंध में भी आदेश जारी कर दिए जाएंगे।

सीबीआइ से कराई जाए भर्ती घोटालों की जांच

वहीं भर्ती घोटाले की जांच सीबीआइ से कराने समेत विभिन्न मांगों को लेकर अनशन पर बैठे विराट बजरंग दल के कार्यकर्त्ताओं ने आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है। सोमवार को गांधी पार्क के बाहर कार्यकर्त्ताओं का क्रमिक अनशन पांचवें दिन भी जारी रहा।

दल के प्रदेश अध्यक्ष ललित मोहन चंदोला ने कहा कि राज्य में भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है। विभिन्न विभागों में भर्ती घोटाले चर्चा में हैं। ऐसे में राज्य बनने के बाद से अब तक हुए भर्ती घोटाले की जांच सीबीआइ से करानी चाहिए। उन्होंने हिमाचल प्रदेश की भांति उत्तराखंड में भी भू-कानून लागू करने, अवैध मीट व्यापार पर पाबंदी लगाने और जन लोकपाल की नियुक्ति की भी सरकार से मांग की है।

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