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जस्टिस यशवंत वर्मा के घर के अंदर की तस्वीरें SC ने जारी की, 4-5 बोरियों में थे अधजले नोट

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नई दिल्ली। भारत के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से कथित तौर पर बड़ी मात्रा में नकदी मिलने के मामले में कड़ा रुख अख्तियार किया है। उन्होंने जस्टिस वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है।

रिपोर्ट मिलने के बाद आंतरिक जांच का आदेश

सीजेआइ ने दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय से रिपोर्ट मिलने के बाद आंतरिक जांच का आदेश दिया और उनसे जस्टिस वर्मा को कोई न्यायिक कार्य नहीं सौंपने के लिए कहा। यानी जस्टिस वर्मा के खिलाफ न सिर्फ तीन न्यायाधीशों की कमेटी जांच करेगी, बल्कि उनसे न्यायिक कार्य भी वापस ले लिया जाएगा।

जले नोटों की तस्वीरें भी जारी

शीर्ष अदालत ने जस्टिस उपाध्याय की जांच रिपोर्ट वेबसाइट पर डाल दी है, जिसमें जले नोटों की तस्वीरें देखी जा सकती हैं। दूसरी तरफ जस्टिस वर्मा ने कहा है कि घर के स्टोररूम में न तो मैंने और न ही मेरे परिवार के किसी सदस्य ने कभी नकदी रखी थी।

जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की जांच के लिए आंतरिक जांच प्रक्रिया अपनाते हुए सीजेआइ ने जो तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की है, उसमें पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल हैं।

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एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार देर रात अपनी वेबसाइट पर जस्टिस वर्मा के आवास पर कथित रूप से भारी मात्रा में नकदी मिलने की पूरी जांच रिपोर्ट अपलोड कर दी। जांच रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा के आवास पर होली की रात को आग बुझाने के अभियान के वीडियो और फोटो भी शामिल हैं, जिस दौरान नकदी मिली थी।

भारतीय मुद्रा के चार से पांच अधजले ढेर पाए गए थे

जस्टिस उपाध्याय द्वारा प्रस्तुत 25 पन्नों की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय मुद्रा के चार से पांच अधजले ढेर पाए गए थे।

घटना की रिपोर्ट, उपलब्ध सामग्री और जस्टिस वर्मा के जवाब की जांच करने पर मुझे पता चला कि पुलिस आयुक्त ने 16 मार्च को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसमें जस्टिस वर्मा के आवास पर तैनात गार्ड का हवाला देते हुए कहा गया कि जिस कमरे में आग लगी थी, वहां से मलबा और अन्य आंशिक रूप से जली हुई वस्तुएं 15 मार्च की सुबह हटा दी गई थीं।

पूरे मामले की गहन जांच की आवश्यकता

जस्टिस उपाध्याय ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मेरे द्वारा की गई जांच में प्रथम दृष्टया बंगले में रहने वाले लोगों, नौकरों, माली और सीपीडब्ल्यूडी कर्मियों के अलावा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा कमरे में प्रवेश की संभावना नहीं दिखती है। इसे देखते हुए मैं प्रथम दृष्टया इस राय पर हूं कि पूरे मामले की गहन जांच की आवश्यकता है। जस्टिस उपाध्याय ने घटना के संबंध में साक्ष्य और जानकारी एकत्र करने के लिए आंतरिक जांच की थी।

जले हुए नोट अगले दिन किसने हटाए- सुप्रीम कोर्ट ने पूछा सवाल

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जस्टिस उपाध्याय की ओर से जस्टिस वर्मा को लिखे पत्र में कहा गया कि वह पूरे प्रकरण के चलते न तो अपने मोबाइल से डाटा डिलीट करें और न ही मोबाइल नष्ट करें। 21 मार्च को लिखे गए इस पत्र में जस्टिस वर्मा से धन के स्त्रोत के बारे में जानकारी मांगी गई थी। साथ ही पूछा गया था कि जले हुए नोट अगले दिन किसने हटाए?

वर्मा को 22 मार्च को दोपहर 12 बजे तक यह जानकारी देने के लिए कहा गया था। बताते चलें, गत 14 मार्च को रात करीब साढ़े 11 बजे जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर आग लगने के बाद अग्निशमन विभाग आग बुझाने पहुंचा। तभी कथित तौर पर बड़ी मात्रा में नकदी मिलने की खबर सामने आई थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी तस्वीरों में बड़ी मात्रा में जले नोटों को देखा जा सकता है।

जस्टिस वर्मा ने कहा, नकदी से मेरा या मेरे परिवार का कोई संबंध नहीं

जस्टिस वर्मा ने कहा है कि घर के स्टोररूम से बरामद नकदी से उनका या परिवार का कोई संबंध नहीं है। स्टोररूम में न तो मैंने और न ही मेरे परिवार के किसी सदस्य ने कोई नकदी रखी थी। मैं इस बात का खंडन करता हूं कि नकदी हमारी थी। यह विचार या सुझाव कि यह नकदी हमारे द्वारा रखी गई होगी यह पूरी तरह से बेतुका है।

प्रेस में बदनाम करने से पहले कुछ जांच की होती

आगे कहा कि यह सुझाव कि कोई व्यक्ति स्टाफ क्वार्टर के पास एक खुले, इजी-एक्सेसबल और आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले स्टोररूम में या आउट हाउस में नकदी स्टोर कर सकता है, अविश्वसनीय है। यह एक ऐसा कमरा है, जो मेरे रहने के क्षेत्र से पूरी तरह से अलग है। एक चारदीवारी मेरे रहने वाले हिस्से को उस आउट हाउस से अलग करती है। मैं केवल यही कहना चाहता हूं कि मीडिया ने मुझ पर आरोप लगाने और प्रेस में बदनाम करने से पहले कुछ जांच की होती।

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