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कानपुर बिकरू कांड: चौबेपुर थाने के एसओ और चौकी इंचार्ज ने विकास दुबे को दी थी दबिश की सूचना, दोनों बर्खास्त

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कानपुर। बिकरू कांड में 22 माह बाद पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। गैंगस्टर विकास दुबे की मदद करने के आरोप में जेल में बंद तत्कालीन थानाध्यक्ष विनय तिवारी और हलका प्रभारी केके शर्मा को बर्खास्त किया गया है। लंबी विभागीय कार्रवाई में दोनों को दोषी माना गया है और अफसरों ने कार्रवाई की है। जांच अधिकारी ने पुलिस कर्मियों की बर्खास्तगी की कार्रवाई की जानकारी शासन को भेज दी है।

जानिए क्या है मामला : चौबेपुर के गांव बिकरू में 2 जुलाई 2020 को विकास दुबे के घर दबिश डालने गई पुलिस टीम पर उसके गुर्गों ने हमला कर दिया था। हमले में बिल्हौर के तत्कालीन क्षेत्राधिकारी देवेंद्र मिश्रा सहित आठ पुलिस कर्मी बलिदान हो गए थे। बाद में पुलिस टीम ने सात दिन के अंदर विकास दुबे समेत उसके छह साथियों को एनकाउंटर में मार दिया था। मामले की जब जांच में चौबेपुर के तत्कालीन थानाध्यक्ष विनय कुमार तिवारी और हलका इंचार्ज केके शर्मा को विकास दुबे का मददगार पाया गया था। उनपर आरोप है कि पुलिस की दबिश की जानकारी विकास दुबे को पहले से दे दी थी।

एसओ और हलका प्रभारी की हुई थी गिरफ्तारी : हलका इंचार्ज केके शर्मा का विकास दुबे के लगातार संपर्क में रहने और पुलिसकर्मियों से संबंध समेत कई जानकारियां सामने आई थीं। दोनों पुलिस कर्मियों को निलंबित करते हुए गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया था। दोनों की अलग से विभागीय जांच शुरू कराई गई थी।

जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी : प्रकरण में दोषी पाये जाने पर दोनों पुलिस कर्मियों की बर्खास्तगी की कार्रवाई विशेष जांच दल की रिपोर्ट के बाद हुई। जांच अधिकारी अपर पुलिस आयुक्त आनंद कुलकर्णी ने बताया कि  प्रकरण में जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी है, जिसमें दोनों पुलिसकर्मियों को बर्खास्त करने का फैसला लिया गया है । यह फैसला अप्रैल के महीने में लिया गया था । इन दोनों पुलिसकर्मियों को छोड़कर अन्य दोषी पुलिसकर्मियों के दंड का फैसला पूर्व में हो चुका था। उनके द्वारा बयान न दिए जाने की वजह से देरी हो रही थी।

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एसआईटी की जांच में दोषी थे चार दर्जन से अधिक पुलिस कर्मी :  बिकरू कांड को लेकर गठित एसआईटी ने जांच के बाद चार दर्जन से अधिक पुलिसकर्मियों को दोषी बताया था। इसमें से कानपुर के पूर्व डीआईजी अनंत देव समेत चार आईपीएस, 11 राजपत्रित पुलिस अधिकारी समेत करीब 52 पुलिसकर्मियों का नाम था।  सभी पुलिस कर्मियों के खिलाफ एसआईटी ने वृहद दंड और लघु दंड के तहत कार्रवाई करने की संस्तुति की थी।

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