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श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद: हाईकोर्ट में मुस्लिम पक्ष की अर्जी पर फैसला सुरक्षित, सिविल सूट की एक साथ सुनवाई का आदेश वापस लेने की मांग

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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बुधवार को मुस्लिम पक्ष की उस अर्जी पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें 11 जनवरी के उस आदेश को वापस लेने की मांग की गई थी. जिसमें न्यायालय ने मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से संबंधित सभी मुकदमों को एक साथ लाने का निर्देश दिया था. जब मामले की सुनवाई हुई, तो मुस्लिम पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता तस्लीमा अजीज अहमदी ने कहा कि मुकदमों को एक साथ लाने से सभी मुकदमों का विरोध करने का उनका अधिकार छिन जाएगा.

उन्होंने आगे कहा कि यह समय से पहले की बात है और मुद्दों को तय करने और साक्ष्य एकत्र करने से पहले मामलों को एक साथ नहीं लाया जाना चाहिए.

अहमदी ने यह भी कहा कि जब तक मुद्दे तय नहीं हो जाते, तब तक यह नहीं कहा जा सकता कि मुकदमे एक जैसे हैं.अर्जी का विरोध करते हुए हिंदू पक्ष के वकील हरि शंकर जैन ने कहा कि मुकदमों को एक साथ लाना न्यायालय का अधिकार क्षेत्र है और किसी भी पक्ष को इसे चुनौती देने का अधिकार नहीं है.

आपत्ति का एकमात्र उद्देश्य कार्यवाही में देरी करना

जैन ने यह भी कहा कि इस तरह की आपत्ति का एकमात्र उद्देश्य कार्यवाही में देरी करना है. उन्होंने कहा कि इस अदालत ने 1 अगस्त, 2024 के अपने आदेश में मुद्दे तय करने का निर्देश दिया था, लेकिन आज तक कोई मुद्दा तय नहीं हुआ है और अदालत केवल आवेदनों पर सुनवाई कर रही है.

हिंदू पक्ष के वकील ने यह भी कहा कि मुकदमों के एकीकरण का मतलब यह नहीं है कि सभी मामलों को लड़ने का अधिकार समाप्त हो जाएगा.न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन 18 मुकदमों की सुनवाई कर रहे हैं, जिन्हें एकीकृत किया गया है.

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मुस्लिम पक्ष की याचिका की थी खारिज

न्यायमूर्ति जैन ने 1 अगस्त को हिंदू उपासकों के मुकदमों की स्वीकार्यता को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि सभी मुकदमे स्वीकार्य हैं.

अदालत ने यह स्वीकार किया था कि ये मुकदमे वक्फ अधिनियम, सीमा अधिनियम और पूजा स्थल अधिनियम 1991 की ओर से वर्जित नहीं हैं. 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता के समय मौजूद किसी भी धार्मिक संरचना के रूपांतरण को प्रतिबंधित करता है.

शाही ईदगाह मस्जिद की संरचना को हटाने के बाद कब्जे के लिए हिंदू पक्ष द्वारा ये मुकदमे दायर किए गए हैं. यह विवाद मथुरा में मुगल बादशाह औरंगजेब के समय की शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसे भगवान कृष्ण के जन्मस्थान पर स्थित मंदिर को तोड़कर बनाया गया था.

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