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अहसानफरामोश निकला श्रीलंका! चीन के ‘जासूसी’ जहाज को भारत के नाक के नीचे आने की दी मंजूरी

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कोलंबो। कंगाल हो चुके श्रीलंका को भारत हर संभव मदद दे रहा है, इसके बाद भी श्रीलंका ने भारत के पीठ में खंजर घोंपने का काम किया है। श्रीलंका ने हंबनटोटा पोर्ट  पर चीन की सैन्य जहाज को जाने की अनुमति दे दी है। द्वीपीय राष्ट्र की सेना के प्रवक्ता ने रविवार को यह जानकारी दी।

भारत ने कहा है कि वह अपनी सुरक्षा और आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित करने वाली किसी भी विकास को करीब से निगरानी करेगा।

दक्षिणी समुद्र में स्थित हंबनटोटा बंदरगाह रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है। यह बंदरगाह श्रीलंका की राजनीति पर कई सालों से काबिज राजपक्षे परिवार के गृहनगर में स्थित है। इसको चीनी कर्ज के साथ बड़े पैमाने पर विकसित किया गया है।

हंबनटोटा बंदरगाह पर चीनी अंतरिक्ष यान ट्रैकिंग जहाज युआन वांग 5 के जाने के बारे श्रीलंका सेना के प्रवक्ता कर्नल नलिन हेराथ ने कहा कि श्रीलंका नियमित रूप से कई देशों के सैन्य और वाणिज्यिक जहाज को अपने हिस्से के समुद्री जल में प्रवेश करने की अनुमति देता है। हेराथ ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि हमने चीनी पोत को हंबनटोटा पोर्ट पर जाने की अनुमति दे दी है।

हंबनटोटा पोर्ट पर युआन वांग 5 को 11 से 17 अगस्त के बीच पहुंचने का अनुमान है। यह अगस्त और सितंबर बीच हिंद महासागर क्षेत्र के उत्तर पश्चिमी भाग में सेटेलाईट कंट्रोल और रिसर्च ट्रैकिंग का संचालन करेगा।

भारत ने कहा है कि वह अपनी सुरक्षा और आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित करने वाले किसी भी डेवलपमेंट पर करीबी से निगरानी करेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा है कि हमें हंबनटोटा पोर्ट पर अगस्त में जाने वाले चीनी पोत के बारे में जानकारी है। उन्होंने गुरुवार को कहा कि सरकार भारत की सुरक्षा और आर्थिक गतिविधियों को प्रभाव करने वाली किसी भी गतिविधियों पर बारीकी से निगरानी करती है और इसकी सुरक्षा के लिए सभी प्रयास करती है।

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श्रीलंका की मुख्य तमिल अल्पसंख्यक पार्टी (टीएनए) ने रविवार को कहा है कि हिंद महासागर में चीन की सैन्य उपस्थिति भारत के लिए एक रक्षा संकट है। कोलंबो को यहां पर चीनी सैन्य उपस्थिति पर जोर नहीं देनी चाहिए।

श्रीलंका 1948 के बाद सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है और भारत द्वीपीय देश को मदद देने में सबसे आगे रहा है। श्रीलंका के राष्ट्रपति देश को आर्थिक संकट से बाहर निकालने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। भारत ने पिछले सप्ताह कहा था कि वह पड़ोसी देश को सहायता देना जारी रखेगा।

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