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राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान: प्रदेश को मिलेंगे 135 करोड़, क्षेत्र पंचायत सदस्यों के लिए तय किया जाएगा मानदेय

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देहरादून : सिक्किम की भांति उत्तराखंड में भी अब ग्राम पंचायतों में पंचायत भवन पहाड़ी शैली में बनेंगे। इसके साथ ही विकास योजनाओं के मद्देनजर पंचायत प्रतिनिधियों व ग्रामीणों से संवाद व सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए सभी 95 ब्लाक मुख्यालय सेटेलाइट स्टूडियो से जुड़ेंगे। इन समेत पंचायतों के सशक्तीकरण को अन्य कई कदम भी उठाए जाएंगे।

200 नए पंचायत भवन बनेंगे

इसके लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (आरजीएसए) के अंतर्गत राज्य को 135 करोड़ रुपये की सौगात दी है। पंचायतीराज मंत्री सतपाल महाराज ने रविवार को यहां एक होटल में पत्रकारों से बातचीत में यह जानकारी साझा की। कैबिनेट मंत्री महाराज ने कहा कि पंचायतों में सतत विकास लक्ष्य के लिए निर्धारित गरीबीमुक्त एवं सुदृढ़ आजीविका युक्त गांव, स्वस्थ गांव, उन्नत गांव जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर आरजीएसए में स्वीकृत धनराशि खर्च की जाएगी।

इसके अंतर्गत 200 नए पंचायत भवन बनेंगे, जिन्हें पहाड़ी शैली में बनाया जाएगा। राज्य स्तरीय, जिला स्तरीय और ब्लाक स्तरीय पंचायत रिसोर्स सेंटर के लिए संकाय उपलब्ध कराने का प्रविधान किया गया है। इसी कड़ी में देहरादून में सेटेलाइट स्टूडियो की स्थापना की जाएगी, जिससे सभी ब्लाक मुख्यालय जुड़ेंगे। प्रत्येक जिला पंचायत में एक पार्किंग, 500 ग्राम पंचायतों में कंप्यूटरीकरण और 100 पंचायत भवनों में अतिरिक्त कक्ष निर्माण के कार्य भी होंगे।

उन्होंने बताया कि आरजीएसए में प्लास्टिक कचरे के निस्तारण के लिए सभी 95 विकासखंडों को एक-एक कांपेक्टर मशीन और हर जिले में दो-दो वैक्यूम आधारित सफाई मशीन उपलब्ध कराई जाएंगी। पंचायतों से एकत्रित प्लास्टिक कचरे का उपयोग हरिद्वार स्थित रिसाइक्लिंग प्लांट में विभिन्न उत्पाद बनाने में किया जाएगा।कचरे के एकत्रीकरण का कार्य ग्राम पंचायतों में स्वयं सहायता समूहों को दिया जाएगा।

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खेती-किसानी की देंगे जानकारी

कैबिनेट मंत्री के अनुसार जल्द ही गांवों में किसानों को मोबाइल पर खेती-किसानी की जानकारी देने की व्यवस्था की जाएगी। इसमें मौसम के पूर्वानुमान समेत खेती से जुड़ी जानकारियां मिलने से खेती की राह आसान होगी।

पंचायतों की आय के स्रोत बढ़ाने पर जोर

महाराज ने कहा कि पंचायतों की आय के स्रोत बढ़ाने पर भी विशेष जोर रहेगा। इसके लिए पंचायतों को वन पंचायत की भूमि का उपयोग कर वहां मौनपालन, मशरूम उत्पादन जैसे व्यवसायों से संबंधित प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके साथ ही पंचायतों को स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने को प्रेरित किया जाएगा। मुख्य मार्गों से लगी पंचायतों को निर्देश दिए गए हैं कि वे कुछ खेतों को लेकर वहां लीज पर पार्किंग की सुविधा दे सकती हैं। ये उन पंचायतों के लिए आवश्यक है, जो पर्यटन गतिविधियों से जुड़ी हैं। साथ ही सीमांत क्षेत्रों में पर्यटन गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

सरकारी गेस्ट हाउस में ठहर सकेंगे पंचायत प्रतिनिधि

पंचायतीराज मंत्री ने कहा कि सभी सरकारी गेस्ट हाउस को जिला पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और ब्लाक प्रमुखों को ठहरने के लिए सरकारी शुल्क पर अनुमन्य किया जाएगा। सचिवालय में आने को इनके लिए पास भी जारी किए जाएंगे।

जिपं अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, ब्लाक प्रमुख, ज्येष्ठ व कनिष्ठ उपप्रमुखों के मानदेय में बढ़ोतरी के अलावा क्षेत्र पंचायत सदस्यों के लिए मानदेय की व्यवस्था के संबंध वित्त विभाग से वार्ता की जाएगी। उन्होंने बताया कि राज्य वित्त में 10 प्रतिशत प्रशासनिक व्यय को प्रमुखों के कार्यालय, सौ लीटर पेट्रोल-डीजल समेत अन्य खर्चों के लिए गाइडलाइन जारी की जाएगी। इस अवसर पर पंचायतीराज निदेशक बंशीधर तिवारी भी उपस्थित थे।

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