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स्वाति मालीवाल की बढ़ी मुश्किलें,महिला आयोग की नियुक्ति में गड़बड़ी के मामले में कोर्ट ने तय किए आरोप

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नई दिल्ली। दिल्ली महिला आयोग (DCW) में नियुक्तियों में अनियमितताओं के मामले में बृहस्पतिवार को राउज एवेन्यू कोर्ट ने आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के साथ सदस्य प्रोमिला गुप्ता, सारिका चौधरी और फरहीन मलिक के खिलाफ आरोप तय कर दिए। विशेष न्यायाधीश दिग विनय सिंह के कोर्ट ने कहा कि चारों पर आरोप तय करने के लिए इस मामले में प्रथम दृष्टया पर्याप्त सामग्री है। इस मामले में चारों ने खुद को बेकसूर बताते हुए ट्रायल की मांग की है।

भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) के मुताबिक, 11 अगस्त 2016 को उनको पूर्व विधायक बरखा शुक्ला सिंह की शिकायत प्राप्त हुई थी। उसमें आरोप लगाया था कि दिल्ली महिला आयोग में नियमों को दरकिनार कर आम आदमी पार्टी (आप) से जुड़े लोगों को नियुक्त किया गया। उसमें आयोग में नियुक्त हुए तीन लोगों के नाम बताए गए थे, जो आप से जुड़े थे।

85 लोगों को दी गई सूची

शिकायत के साथ आप से जुड़े 85 लोगों की सूची भी दी गई, जिनकी नियुक्ति आयोग में होने का दावा किया गया था। इस पर प्रारंभिक जांच के बाद एसीबी ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्राथमिकी पंजीकृत की थी, उसमें लोक सेवक द्वारा विश्वास का आपराधिक हनन और साजिश का आरोप भी लगाया गया था।

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स्वाति के साथ बाकी तीन महिलाओं को मिली जिम्मेदारी

आगे की जांच में एसीबी ने पाया कि 27 जुलाई 2015 को स्वाति मालीवाल को दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष नियुक्त करने के साथ प्रोमिला गुप्ता, सारिका चौधरी और फरहीन मलिक को सदस्य बनाया गया था। छह अगस्त 2015 से एक अगस्त 2016 के बीच इनके कार्यकाल में आयोग में 26 स्वीकृत पदों के सापेक्ष 87 लोगों की नियुक्ति की गई थीं।

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नियमों के खिलाफ की गई नियुक्तियां

एसीबी ने यह दावा भी किया था कि ये नियुक्तियां चयन प्रक्रिया और नियमों के विरुद्ध की गई थीं। इसमें सामान्य वित्त नियम (जीएफआर) का उल्लंघन भी हुआ। अप्रैल 2016 में सदस्य सचिव की नियुक्ति उप राज्यपाल की अनुमति के बिना की गई थी। एसीबी ने पाया कि बजट अनुमान से 676 लाख रुपये किस्तों में जारी करने के बजाय एकमुश्त आयोग को जारी कर दिया गया था।

स्वाति मालीवाल सहित चार को बनाया आरोपित

इस मामले के आरोपपत्र में स्वामी मालीवाल व उनके साथ नियुक्त हुए तीन सदस्यों को आरोपित बनाते हुए दावा किया गया कि आयोग ने स्टाफ की संख्या बढ़ाने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग से अनुमति नहीं ली थी। जांच के दौरान आयोग की ओर से जवाब दिया गया था कि नियुक्तियों के लिए साक्षात्कार कराए गए थे, लेकिन इस संबंध में कोई रिकार्ड पेश नहीं किया गया। आरोपपत्र में यह भी दावा किया गया कि दो लोगों का वेतन नियमों का उल्लंघन कर कुछ ही समय में दोगुना कर दिया गया।

स्वाति मालीवाल व तीनों सदस्यों की ओर से उनके वकील ने पक्ष रखते हुए कहा गया कि इस मामले में कोई आरोप नहीं बनता। क्योंकि दिल्ली महिला आयोग स्वायत्त निकाय है। ऐसे में आयोग को अपनी प्रक्रिया अपनाने का अधिकार है। दोनों पक्षों के तथ्य देखने के बाद कोर्ट ने कहा कि सभी चार आरोपित व्यक्तियों के खिलाफ एक मजबूत संदेह उत्पन्न होता है। इसके इसके साथ ही कोर्ट ने आरोप तय करने का आदेश कर दिया।

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