नई दिल्ली। शरीर के अन्य हिस्सों की तरह ब्रेन को भी आराम की जरूरत होती है। जब मस्तिष्क पर उसकी कार्य क्षमता से ज्यादा दबाव पड़ता है, तो यह उसके भार को वहन नहीं कर पाता। जब इसके न्यूरोट्रांसमीटर्स समस्याओं का हल ढूंढते हुए थक जाते हैं, तो सिरदर्द और चिड़चिड़ापन जैसे लक्षणों के रूप में व्यक्ति का तनाव प्रकट होता है। तनाव की वजह भले ही मनोवैज्ञानिक हो, लेकिन व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। ब्रेन हमारे शरीर में मास्टर कंप्यूटर की तरह काम करता है। जब व्यक्ति किसी वजह से तनावग्रस्त होता है, तो इससे उसे कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याएं परेशान करने लगती हैं, जो इस प्रकार हैं।
1. अनिद्रा
तनाव का पहला असर व्यक्ति की नींद पर पड़ता है। जब इससे लड़ने के लिए ब्रेन में मौजूद सिंपैथेटिक नर्व ट्रांसमीटर्स ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं, तो इससे व्यक्ति को अनिद्रा की समस्या होती है।
2. सर्दी-जुकाम और बुखार
जो लोग अकसर परेशान रहते हैं, उनके ब्रेन के न्यूरोट्रांसमीटर्स तनाव से लड़कर दुर्बल हो जाते हैं। इससे शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ जाता है। यही वजह है कि तनवा होने पर सर्दी-जुकाम और बुखार जैसी समस्याएं बार-बार परेशान करती हैं।
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3. हाई ब्लड प्रेशर
तनाव में शरीर की ब्लड वेसेल्स सिकुड़ जाती हैं और दिल की धड़कन बढ़ जाती है। ऐसे में रक्त प्रवाह का तेज होना स्वाभाविक है, जिससे व्यक्ति का ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। अगर सही समय पर इसे नियंत्रित न किया जाए तो यही समस्या हृदय रोग का कारण बन जाती है।
4. डायबिटीज
तनाव के कारण शुगर को ग्लूकोज में परिवर्तित करने वाले हॉर्मोन इंसुलिन के सिक्रीशन में रूकावट आती है इससे ब्लड में शुगर का लेवल बढ़ जाता है।
5. श्वसन तंत्र संबंधी समस्याएं
तनाव की स्थिति में सांसों की गति तेज हो जाती है। इससे व्यक्ति में एस्थमा जैसे लक्षण नजर आते हैं। अगर किसी को पहले से ही यह बीमारी हो तो तनाव इसे और बढ़ा देता है।
6. माइग्रेन
जब स्थितियां प्रतिकूल होती हैं, तो ब्रेन को एडजस्टमेंट के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, जिससे व्यक्ति को स्ट्रेस होता है। तनाव से लड़ने के लिए ब्रेन से कुछ खास तरह के केमिकल्स का सिक्रीशन होता है, जिससे उसकी नर्व्स सिकुड़ जाती हैं। इससे व्यक्ति को अस्थायी लेकिन तेज सिरदर्द या माइग्रेन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
7. स्पॉण्डिलाइटिस
जब व्यक्ति बहुत ज्यादा तनावग्रस्त होता है, तो उसकी गर्दन और कंधे की मांसपेशियां अकड़ जाती हैं। इससे तेज दर्द होता है। गंभीर स्थिति में नॉजिया और वोमिटिंग जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
8. पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं
जब व्यक्ति ज्यादा टेंशन में होता है, तो प्रतिक्रिया स्वरूप आंतों से हाइड्रोक्लोरिक एसिड का सिक्रीशन असंतुलित ढंग से होने लगता है। ऐसी स्थिति में लोगों को आइबीएस (इरीटेटिंग बाउल सिंड्रोम) की समस्या हो जाती है। पेटदर्द, बदहजमी, लूज मोशन या कब्ज जैसी परेशानियों के रुप में इसके लक्षण नजर आते हैं। एसिड की अधिकता से लूज मोशन और कमी की वजह से कब्ज की प्रॉब्लम हो सकती है।
9. ओबेसिटी
तनाव की स्थिति में अकसर लोग बार-बार फ्रिज खोलकर चॉकलेट, पेस्ट्री और कार्बोनेटेड ड्रिंक्स जैसी नुकसानदेह चीज़ों का सेवन करने लगते हैं, जिससे उनका वजन बढ़ जाता है।
10. त्वचा संबंधी समस्याएं
तनाव की वजह से व्यक्ति की त्वचा भी प्रभावित होती है। अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ मियामी के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक शोध के अनुसार जब कोई व्यक्ति ज्यादा चिंतित होता है, तो उसके शरीर में स्ट्रेस हॉर्मोन कार्टिसोल का सिक्रीशन बढ़ जाता है, जिससे व्यक्ति को त्वचा में जलन की समस्या हो सकती है। इससे बचाव के लिए यह हॉर्मोन त्वचा की फैट ग्लैंड्स को एंटी-इंफ्लेमेट्री ऑयल के सिक्रीशन का निर्देश देता है। इसी वजह से तनाव की स्थिति में लोगों को एक्ने और स्किन एलर्जी जैसी समस्याएं होती हैं।
डिमेंशिया
स्ट्रेस की वजह से जब व्यक्ति की नींद पूरी नहीं होती, तो उसके ब्रेन में स्मृतियों का संग्रह नहीं हो पाता, जिससे रोजमर्रा के कामकाज में वह जरूरी बातें भी भूलने लगता है।
प्रजनन तंत्र पर प्रभाव
तनाव की वजह से व्यक्ति के शरीर में हॉर्मोन संबंधी असंतुलन पैदा होता है। इससे स्त्रियों को पीरियड्स में अनियमितता पुरुषों में प्रीमैच्योर इजैक्युलेशन के अलावा रोमांस के प्रति अनिच्छा जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें किसी पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।