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सिंगापुर एयर शो में Tejas ने जीता लोगों का दिल, हवा में करतब दिखाकर किया रोमांचित

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नई दिल्‍ली। सिंगापुर एयर शो 2020 का शुभारंभ हो चुका है। इस एयर शो का आयोजन 15 फरवरी से शुरू होकर 18 फरवरी तक चलेगा। सिंगापुर एयर शो एक द्विवार्षिक कार्यक्रम है, जो ग्लोबल एविएशन इंडस्ट्री को अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। भारतीय रक्षा मंत्रालय ने कहा कि भारतीय वायुसेना स्वदेशी तेजस एमके-आई एसी को दुनिया भर के प्रतिभागियों के साथ पेश करेगी। तेजस विमान अपने लो-लेवल के एरोबेटिक्स के प्रदर्शन के साथ दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देगा, जो इसकी बेहतर संचालन विशेषताओं और गतिशीलता को प्रदर्शित करेगा। आइए जानते हैं तेजस विमान की अन्‍य खूबियां।

1983 में बनना शुरू हुआ था ये विमान

1- हल्के लड़ाकू विमान तेजस को बंगलुरू स्थित हिन्दुस्तान एरोनाटिक लिमिटेड ने तैयार किया है। भारतीय वायुसेना तेजस विमानों की एक फ्लीट को पहली ही अपने बेड़े में शामिल कर चुकी है। तेजस को डीआरडीओ की ऐरोनाटिकल डिवेलपमेंट एजेंसी ने डिजाइन किया है। तेजस लड़ाकू विमानों को बनाने का काम 1983 में शुरू किया गया था। हालांकि, इस विमान का काम काफी समय तक लटका रहा। 10 साल बाद 1993 में दोबारा इस विमान को बनाने का काम एचएएल ने शुरू किया।

2- तेजस लड़ाकू जहाजों की सबसे बड़ी खूबी इसका हल्का होना है। इस विमान का ढांचा कार्बन फाइबर से बना हुआ है। इसीलिए इसका विमान इसी के तरह के किसी दूसरी विमान से कम है। हल्का होने के बावजूद भी यह अन्य विमानों के मुकाबले काफी मजबूत है। यह विमान अचूक निशाना लगाने और हथियार गिराने में सक्षम है। इस विमान को हवा से हवा और हवा से जमीन दोनो तरह से हमला करने के लिए डिजाइन किया गया है।

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3- तेजस को इस हिसाब से डिजाइन किया गया है ताकि यह मिग 21 विमानों की जगह ले सके। तेजस पाकिस्तान के जेएच- 17 विमानों से बहुत हल्का है। ऐसे में इसकी मारक क्षमता बढ़ जाती है। एक तेजस विमानों को बनाने में लगभग 300 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। तेजस का वजन 12 टन है। इसकी लंबाई लगभग 13.2 मीटर है। इसकी अधिकतम रफ्तार 1350 किमी प्रति घंटा है। एलसीए में आर 73 एयर टू एयर मिसाइल, लेजर गाइडेड मिसाइल और मेक इन इंडिया के तहत बनी अस्त्र मिसाइल लगती है। तेजस मल्टी रोल विमान है। कुल 80 तेजस विमान वायुसेना में शामिल होंगे।

4- यह तेजस बीवीआर मिसाइल से लैस होंगे यानि बियोंड विजयुल रेंज मिसाइल, जो आंखों की नजरों से 40-50 किलोमीटर दूर भी टारगेट को एंगेज यानि मार गिरा सकती है। यह जो 83 मार्क वन-ए फाटइर जेट पुराने सौदे वाले मार्क वन से ज्यादा एडवांस हैं। इन्हें एयर टू एयर रिफ्यूलिंग की तकनीक से लैस किया गया है। ये दोनों तकनीक मार्क-वन तेजस के आईओसी’ वर्जन में नहीं हैं। यानि शुरुआत के 18 मार्क वन तेजस में नहीं है।

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