Home Breaking News आर्थिक तंगी से जूझ रहा था परिवार, नहीं मिला सहारा तो 2 बेटियों समेत पिता ने लगाई फांसी
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आर्थिक तंगी से जूझ रहा था परिवार, नहीं मिला सहारा तो 2 बेटियों समेत पिता ने लगाई फांसी

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गोरखपुर। गोरखपुर के घोषीपुरवा मोहल्ले में मंगलवार की सुबह जितेंद्र श्रीवास्तव व उनकी दो नाबालिग पुत्रियों का शव कमरे में फंदे से लटका मिला। कैंसर पीड़ित पत्नी की मृत्यु होने के सदमे और आर्थिक तंगी की वजह से परिवार के लोग परेशान थे। फोरेंसिक टीम के साथ पहुंचे पुलिस के अधिकारी घटना से जुड़े सभी पहलुओं की पड़ताल कर रहे हैं। कमरे की तलाशी लेने पर एक पन्ने का नोट, डायरी व दो मोबाइल फोन मिला। जिसे कब्जे में लेकर पुलिस जांच कर रही है।

यह है मामला

मूल रूप से सिवान (बिहार) जिले के गुठनी निवासी 64 वर्षीय ओमप्रकाश श्रीवास्तव शहर के घोषीपुरवा में मकान बनवाकर 15 साल से परिवार के साथ रहते हैं। उनके दोनों बेटों के बीच बंटवारा हो चुका है। सिलाई करने वाले बड़े बेटे जितेंद्र श्रीवास्तव के साथ ओमप्रकाश रहते थे। कैंसर से पीड़ित जितेंद्र की पत्नी सिम्मी की फरवरी 2020 में मृत्यु हो गई। उपचार में ज्यादा धन खर्च होने की वजह से परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था।

जीविका चलाने के लिए जितेंद्र सिलाई का काम करते थे और उनके पिता गार्ड की नौकरी करते हैं। सोमवार की रात में भोजन करने के बाद ओमप्रकाश ड्यूटी पर चले गए।

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मौके पर पहुंची फोरेंसिक टीम

मंगलवार की सुबह लौटे तो मुख्य दरवाजा खुला था।अंदर जाकर उन्होंने देखा तो एक कमरे में बेटा जितेंद और दूसरे कमरे में एक ही पंखे से पौत्री 16 वर्षीय मान्या उर्फ रिया और 14 वर्षीय मानवी उर्फ जिया का शव दुपट्टे के फंदे से लटक रहा था। चीखते हुए बाहर निकले ओमप्रकाश ने घटना की जानकारी पड़ोसियों के साथ ही शाहपुर थाना पुलिस को दी।फोरेंसिक टीम के साथ पहुंचे एसएसपी डा. गौरव ग्रोवर, एसपी सिटी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने स्वजन से घटना की जानकारी ली। एसएसपी ने बताया कि घटना से जुड़े सभी पहलुओं की जांच चल रही है। प्रथम दृष्टया पिता व दोनों नाबालिग पुत्रियों के खुदकुशी करने की बात सामने आयी है।

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हादसे में कट गया था पैर

वर्ष 1999 में गोरखपुर आते समय सिवान के मैरवा रेलवे स्टेशन पर जितेंद्र का दायां पैर कट गया। जिसके बाद वह कृत्रिम पैर के सहारे घर पर ही कपड़े की सिलाई करते थे। अच्छी सिलाई करने की वजह से लोग कपड़ा लेकर उनके घर ही आते थे।

पैब्लो व लीली को खोल देना

जितेन्द्र उनकी दोनों बेटियां घर मे चार साल पहले दो तोता को पाला था। उनका नाम पैब्लो व लीली रखा था। पुलिस जब पहुंची तो तोता का पिंजरा कपड़े से ढका था। मान्या व मानवी के बिस्तर पर एक पर्ची मिला जिस पर लिखा था पैब्लो व लीली को छोड़ देना। पौत्रियों की इच्छा को पूरी करते हुए ओमप्रकाश ने पिंजरे से दोनों तोता को आजाद कर दिया।

दोनों बेटियां पढ़ाई में थी होनहार

आवास विकास कालोनी स्थित सेंट्रल एकेडमी में मान्या कक्षा नौ व मानवी कक्षा सात में पढ़ती थी। प्रधानाध्यापिका निवेदिता कौशिक ने बताया कि दोनों बहनें बहुत ही मेधावी थीं। बाल दिवस पर सोमवार को स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया था। मंगलवार को श्रद्धांजलि सभा के बाद स्कूल में अवकाश कर दिया गया। शोक में बुधवार को भी स्कूल बंद रहेगा।

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