Home Breaking News तब ‘रावण’ और ‘सीता’ लड़े थे चुनाव लेकिन ‘राम’ रह गए थे बेटिकट, अब खत्म हुआ अरुण गोविल का ‘राजनीतिक वनवास’
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तब ‘रावण’ और ‘सीता’ लड़े थे चुनाव लेकिन ‘राम’ रह गए थे बेटिकट, अब खत्म हुआ अरुण गोविल का ‘राजनीतिक वनवास’

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नई दिल्ली। रामनंद सागर के धारावाहिक रामायण में रावण, सीता और हनुमान की भूमिका निभाने वाले कलाकार दशकों पहले राजनीति के मैदान में उतरे थे।

रावण का किरदार निभाने वाले अरविंद त्रिवेदी हों या सीता की भूमिका में अपार लोकप्रियता हासिल करने वाली दीपिका चिखलिया या फिर अपने उच्च कोटि के अभिनय से एक अलग छाप छोड़ने वाले हनुमान यानी दारा सिंह हों- सभी को भाजपा ने ही राजनीति के मैदान में उतारा था, लेकिन अरुण गोविल ने उस समय चुनाव नहीं लड़ा था। अरुण गोविल को भाजपा ने आगामी चुनाव में मेरठ से उम्मीदवार बनाया है।

रावण और सीता ने 1991 में ही दर्ज की थी जीत

कहा जाता है कि रामायण की लोकप्रियता के कारण राजनीतिक दलों ने भांप लिया था कि इनके किरदार वोट झटकने में बहुत कारगर होंगे। हुआ भी यही। भाजपा ने जब 1991 में अरविंद त्रिवेदी और दीपिका चिखलिया को गुजरात की लोकसभा सीटों क्रमशः साबरकांठा और वडोदरा से चुनाव मैदान में उतारा तो दोनों अपेक्षा पर खरे उतरे।

अरविंद त्रिवेदी और दीपिका चिखलिया 1991 में अपनी- अपनी सीटों पर जीतकर पहली बार लोकसभा पहुंचे। वहीं, 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने दारा सिंह को राज्यसभा सदस्य बनाया था। हनुमान का किरदार निभाने वाले दारा सिंह ने हिंदी सिनेमा में अहम योगदान दिया है।

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