Home Breaking News पांडवों ने गंगा किनारे किया था दीपदान, त्रेता युग में शुरू हुआ था तिगरी गंगा मेला
Breaking Newsउत्तरप्रदेशराज्‍य

पांडवों ने गंगा किनारे किया था दीपदान, त्रेता युग में शुरू हुआ था तिगरी गंगा मेला

Share
Share

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अमरोहा और हापुड़ जिले के बीच बहने वाली तिगरी गढ़ गंगा के दोनों तरफ लगने वाले ऐतिहासिक राजकीय मेले का सोमवार को शुभारंभ हो गया है. मेला स्थल पर इस बार लगभग 40 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है. मेले में पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हुए हैं. सुरक्षा के लिहाज से भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात किया गया है. मेला स्थल पर पहुंचने वाले श्रद्धालु लगभग एक सप्ताह तक कैम्प लगाकर रहते है और मां गंगा की रेती पर तरह-तरह की अठखेलियां करते है.

त्रेतायुग से मां गंगा की रेतीली जमीन पर लगने वाले इस मेले को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अर्धकुंभ के नाम से जाना जाता है. मेले की पहचान त्रेतायुग के श्रवण कुमार और महाभारत काल के दौरान पांडवों से जुड़ी है. त्रेतायुग में जब श्रवण कुमार अपने नेत्रहीन माता-पिता को कांधे पर लादकर तीर्थ यात्रा करने के लिए निकले थे, तब श्रवण कुमार इस जगह गंगा किनारे कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को रुके थे और करीब चार रात यहां ठहरे थे.

कब से चली आ रही दीपदान की प्रथा?

इस दौरान श्रवण कुमार के माता-पिता के सेवाभाव को देखने के लिए यहां हजारों की संख्या में लोग जमा हुए थे. उसी दौर से यहां मेला लगना शुरु हो गया था. मेले का इतिहास महाभारत काल से भी जुड़ा हुआ है. महाभारत काल के दौरान कौरवों और पांडवों के बीच हुए युद्ध में मारे गए सैनिकों की आत्मा की शांति के लिए भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों से यही दीपदान कराया था. उसी समय से दीप दान की प्रथा चली आ रही है.

See also  यमुना Express-Way पर आगे चल रहे वाहन से बस टकराने से हुई कंडक्टर की मौत, छह यात्री भी घायल

पांडवों को गढ़ लेकर आए थे श्रीकृष्ण

जब किसी के परिवार में कोई भी व्यक्ति गुजर जाता है, तो उसके लिए दीपदान किया जाता है. धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि महाभारत युद्ध में मारे गए असंख्य सगे-संबंधी और वीर योद्धाओं को लेकर पांडवों का मन व्याकुल हो उठा था. उनमें राजपाठ के प्रति अलगाव की स्थिति उत्पन्न हो गई थी. यह देख भगवान श्रीकृष्ण को चिंता होने लगी, तब भगवान श्रीकृष्ण कार्तिक माह में पांडवों कों गढ़ लेकर आए और कई दिन तक गंगा किनारे पड़ाव डालकर स्नान सहित पांडवों से विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान संपन्न कराए थे, तभी से इस मेले का बहुत बड़ा महत्व है.

Share
Related Articles
Breaking Newsअपराधएनसीआरग्रेटर नोएडा

नोएडा में पूरी पुलिस चौकी लाइन हाजिर, जानें किस चक्कर में नप गई ‘खाकी’?

ग्रेटर नोएडा। दनकौर क्षेत्र में खनन की सूचना पर पहुंची प्राधिकरण की टीम...

Breaking Newsअंतर्राष्ट्रीय

कांगो में बड़ा हादसा, आग लगने के बाद पलटी नाव, 143 लोगों की मौत, दर्जनों लापता

किंशासा: अफ्रीकी देश डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में एक भयावह अग्निकांड में 143...