महराजगंज/गोरखपुर। माफिया सुधीर सिंह ने श्यामदेउरवा थाने में दर्ज 20 वर्ष पुराने मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट महराजगंज के न्यायालय में आत्मसमर्पण किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया। जिले के टाप-10 व प्रदेश के 61 माफिया की सूची में शामिल सुधीर के विरुद्ध गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद गोरखपुर पुलिस सरगर्मी से तलाश रही थी।
माफिया के खिलाफ दर्ज हैं 38 मुकदमे
गीडा के कालेसर गांव निवासी सुधीर सिंह के विरुद्ध गोरखपुर, लखनऊ व महराजगंज जिले के अलग-अलग थानों में 36 मुकदमे दर्ज हैं। वर्ष 2003 में महराजगंज के श्यामदेउरवा थाने में हुई लूट के एक मुकदमे में उसके विरुद्ध अप्रैल, 2008 में ही गैर जमानती वारंट जारी हुआ था। गुरुवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सौरभ श्रीवास्तव के न्यायालय में सुधीर ने आत्मसमर्पण कर दिया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया। इस मुकदमे में सुनवाई की अगली तिथि आठ जून तय है।
कचहरी से लेकर जेल तक साथ रहा काफिला
कचहरी से लेकर जिला कारागार तक माफिया की गाड़ी के साथ उसके समर्थकों का काफिला साथ रहा। दोपहर में तीन गाड़ियों के साथ सुधीर कचहरी पहुंचा। अधिवक्ता के साथ न्यायालय में हाजिर होने के बाद साथी लाकअप के आसपास मंडराते रहे। जेल जाते समय भी पुलिस वैन के पीछे जेल तक गए।
डॉन अबु सलेम का फरार भतीजा दबोचा गया, यूपी पुलिस को लंबे वक्त से दे रहा था चकमा
क्या कहते हैं अधिकारी
एसपी महराजगंज डॉ. कौश्तुभ ने बताया कि आपरेशन शिकंजा के तहत पुराने मुकदमों में पैरवी कर पुलिस आरोपितों को सजा दिलाने का अभियान चला रही है। श्यामदेउरवा थाने में दर्ज 20 वर्ष पुराने मुकदमे में माफिया सुधीर सिंह ने न्यायालय में आत्मसमर्पण किया है। वहां से उसे जेल भेज दिया गया है।
अजीत व सुधीर के सरेंडर से फिर खुली पुलिस निगरानी की पोल
ढाई वर्ष पहले जारी हुए गैर जमानती वारंट के मामले में माफिया अजीत शाही ने हाजिर होकर गोरखपुर पुलिस की पोल खोल दी थी। प्रदेश के माफिया की सूची में शामिल सुधीर सिंह ने लूट के मुकदमे में वर्ष 2008 में जारी हुए गैर जमानती वारंट में समर्पण कर व्यवस्था की पोल खोल दी। माफिया सुधीर सिंह पर शाहपुर थाना क्षेत्र में वर्ष 2004 में हुई लूट की घटना में 24 अप्रैल 2023 को गैर जमानती वारंट जारी हुआ था। वारंट जारी होने के बाद से ही क्राइम ब्रांच और शाहपुर थाने की पुलिस उनकी तलाश में छापा मार रही है, लेकिन सफलता नहीं मिली। समर्थकों व शिकंजा कसने पर माफिया ने चकमा देकर पुराने मुकदमे में आत्मसमर्पण कर दिया।