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नए साल से पहले यूपी में चली तबादला एक्सप्रेस, देर रात 15 जिलों के पुलिस अधिकारियों का ट्रांसफर

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लखनऊ। शासन ने नौ जिलों के पुलिस अधीक्षकों सहित 15 आईपीएस अफसरों के तबादले किए हैं। डॉ. अजय पाल को जौनपुर से प्रयागराज का प्रभारी अतिरिक्त पुलिस आयुक्त के रूप में तैनात किया गया है। इसी प्रकार अंबेडकर नगर के पुलिस अधीक्षक डॉ. कौस्तुभ को जौनपुर का पुलिस अधीक्षक, लखनऊ के पुलिस आयुक्त केशव कुमार को अंबेडकरनगर का पुलिस अधीक्षक, कासगंज की पुलिस अधीक्षक अपर्णा रजत कौशिक को अमेठी का पुलिस अधीक्षक बनाया गया है।

कानपुर नगर की पुलिस उपायुक्त अंकिता शर्मा को कासगंज का पुलिस अधीक्षक, बलिया के पुलिस अधीक्षक विक्रान्त वीर को देवरिया का पुलिस अधीक्षक, लखनऊ के पुलिस उपायुक्त डॉ.ओमवीर सिंह व राम नयन सिंह को क्रमशः बलिया व बहराइच का पुलिस अधीक्षक, बाराबंकी के पुुलिस अधीक्षक चिरन्जीव नाथ सिन्हा को हाथरस का पुलिस अधीक्षक, सिद्धार्थ नगर की पुलिस अधीक्षक प्राची सिंह को 32 वीं वाहिनी पीएसी लखनऊ का सेनानायक भेजा गया है।

IPS वृंदा शुक्ला का तबादला

देवरिया के पुलिस अधीक्षक संकल्प शर्मा को लखनऊ का पुलिस उपायुक्त, बहराइच की पुलिस अधीक्षक वृन्दा शुक्ला को महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन लखनऊ का पुलिस अधीक्षक व हाथरस के पुलिस अधीक्षक निपुन अग्रवाल को लखनऊ का पुलिस अयुक्त तथा प्रतिनियुक्त से वापस लौटे डॉ. अभिषेक महाजन को सिद्धार्थ नगर के पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात किया गया है।

जनवरी से कलेक्ट्रेट, विकास भवन और पुलिस आफिस होंगे पेपरलेस

लिपिकों की मेज और साहबों के अर्दली की पीठ पर फाइलों के गट्ठर का नजारा अब इतिहास हो जाएगा। शासन की ओर से अब ई-आफिस प्रणाली को जनपद स्तर पर भी लागू करने का निर्णय लिया गया। शुरुआत में कलेक्ट्रेट, विकास भवन व पुलिस आफिस को जनवरी से पेपर-लेस करने की योजना है।

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राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र की ओर से इसके लिए फिलहाल कलेक्ट्रेट में नेटवर्किंग का काम पूरा करा दिया गया है। यहां पर करीब तीस प्रतिशत काम ई-आफिस प्रणाली पर होना शुरू भी हो गया है। पुलिस आफिस में ई-प्रणाली लागू करने की व्यवस्था सीधे पुलिस मुख्यालय स्तर पर की जा रही है। विकास भवन में भी ई-आफिस प्रणाली के लिए इंटरनेट की लीज लाइन व नेटवर्किंग आदि का काम अगले सप्ताह से शुरू होने जा रहा है।

कलेक्ट्रेट, विकास भवन और पुलिस आफिस को जनवरी से पेपरलेस बनाने की तैयारी कर ली गई है। इस पहल से जहां फाइलों के निस्तारण की गति और पारदर्शिता बढ़ेगी, वहीं पर्यावरण संरक्षण को भी प्रोत्साहन मिलेगा। इससे कलेक्ट्रेट, विकास भवन और पुलिस आफिस की परंपरागत कार्यप्रणाली में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। लिपिकों की मेज और अर्दलियों की पीठ पर फाइलों के गट्ठर अब नजर नहीं आएंगे। यह सुशासन की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

ई-आफिस प्रणाली के तहत सभी फाइलें डिजिटल रूप में तैयार और संप्रेषित होंगी। अधिकारी और कर्मचारी अपने कंप्यूटर सिस्टम पर लागिन कर फाइलों को देख कर निस्तारण करेंगे और डिजिटल हस्ताक्षर कर आगे बढ़ाएंगे। हर स्तर पर फाइल के अग्रसारण का समय अपने आप कंप्यूटर में दर्ज होता रहेगा। इससे फाइलों के लंबित रहने की समस्या समाप्त होगी और कार्यप्रणाली में तेजी आएगी। इससे अधीनस्थ अधिकारी व कर्मचारी प्रसन्न दिख रहे हैं। फाइलों पर हस्ताक्षर कराने को कर्मचारियों को अधिकारियों के सामने लाइन नहीं लगानी पड़ेगी। वहीं फाइलों के लंबित रहने की जिम्मेदारी भी अब उन पर नहीं आएगी।

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नेटवर्किंग का काम लगभग पूराराष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) की देखरेख में कलेक्ट्रेट में नेटवर्किंग का काम पूरा हो चुका है। सूचना विज्ञान अधिकारी अनुराग जैन ने बताया कि कलेक्ट्रेट में करीब 30 प्रतिशत कार्य ई-आफिस प्रणाली पर शुरू भी हो चुका है। पुलिस आफिस और विकास भवन में भी इस प्रणाली को लागू करने के लिए आवश्यक कार्य अगले सप्ताह से शुरू होंगे।

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