Home Breaking News SEBI के नए चीफ होंगे तुहिन पांडे, बुच की जगह संभालेंगे जिम्मेदारी; इतनी मिलेगी सैलरी
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SEBI के नए चीफ होंगे तुहिन पांडे, बुच की जगह संभालेंगे जिम्मेदारी; इतनी मिलेगी सैलरी

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नई दिल्ली: भारत सरकार ने वित्त सचिव तुहिन कांत पांडे को पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) का 11वां अध्यक्ष नियुक्त किया है. बता दें, तुहिन ओडिशा कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी हैं, जो माधवी पुरी बुच का स्थान लेंगे. माधबी का तीन वर्ष का कार्यकाल आज शुक्रवार (28 फरवरी) को समाप्त हो रहा है.

गुरुवार देर शाम जारी एक सरकारी आदेश के अनुसार, मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने वित्त सचिव और राजस्व विभाग के सचिव तुहिन कांत पांडेय की सेबी अध्यक्ष के पद पर नियुक्ति को मंजूरी दी. आदेश में कहा गया है कि पांडे की नियुक्ति उनके कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से तीन वर्ष की अवधि के लिए की गई है.

पांडे ऐसे समय में सेबी के प्रमुख का पद संभाल रहे हैं, जब विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की निकासी के बाद बाजार में मंदी का दबाव देखने को मिल रहा है. जनवरी से अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है. 1987 बैच के आईएएस अधिकारी वित्त मंत्रालय में राजस्व विभाग को संभालने वाले सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं. पांडे निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम) में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले सचिव थे. डीआईपीएएम वित्त मंत्रालय का एक विभाग है जो सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में सरकारी इक्विटी का प्रबंधन करता है, साथ ही सार्वजनिक उद्यम विभाग (डीपीई) भी इसका प्रबंधन करता है.

उन्होंने 9 जनवरी को राजस्व विभाग का कार्यभार संभाला, जब उनके पूर्ववर्ती संजय मल्होत्रा ​​भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर बन गए. पांडे ने 2025-26 के बजट को तैयार करने में अहम भूमिका निभाई, जिसमें मध्यम वर्ग को कुल 1 लाख करोड़ रुपये की कर राहत दी गई. वे नए आयकर विधेयक के मसौदे को तैयार करने में भी शामिल थे, जो 64 साल पुराने आयकर अधिनियम, 1961 की जगह लेगा.

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निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम) में अपने पांच साल से अधिक के कार्यकाल (24 अक्टूबर, 2019 से 8 जनवरी, 2025) में, पांडे ने सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (पीएसई) नीति को लागू करते हुए सीपीएसई के विनिवेश को आगे बढ़ाया, जिसका उद्देश्य अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में पीएसई में सरकार की उपस्थिति को कम करना था. वहीं, एयर इंडिया के निजीकरण में पांडे की अहम भूमिका रही थी. 8 अक्टूबर, 2021 को सरकार ने टाटा समूह को एयर इंडिया के लिए विजेता बोलीदाता घोषित किया. समूह ने 18,000 करोड़ रुपये की बोलियां लगाई थीं. 27 जनवरी, 2022 को टाटा समूह ने एयर इंडिया का स्वामित्व ले लिया.

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