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UP ATS को धर्मांतरण के लिए 150 करोड़ रुपए की विदेशी फंडिंग के सबूत मिले, मौलाना उमर गौतम के पास भेजी गई थी रकम

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर मतांतरण की परत दर परत खुलने के दौरान ही इसमें विदेशों से भी बड़ी मात्रा में धन मिलने का मामला सामने आया है। उत्तर प्रदेश में मतांतरण के मामले में 16 लोगों को गिरफ्तार करने वाली एटीएस की चार्ज शीट में मतांतरण के लिए विदेशों से फंडिंग का पता चला है।

उत्तर प्रदेश में महानगर के साथ ही छोटे शहर व कस्बों में बड़े पैमाने पर मतांतरण की जांच कर रही उत्तर प्रदेश एटीएस को इस खेल में मतांतरण के सिंडिकेट के खातों की पड़ताल में खाड़ी देशों के साथ अमेरिका व ग्रेट ब्रिटेन से भी फंडिंग का पता चला है।

उत्तर प्रदेश एटीएस ने कोर्ट में जो चार्जशीट दाखिल की है, उसमें दर्शाया गया है कि इनके खातों में विदेशी संस्थाओं से करीब 150 करोड़ की फंडिंग हुई है। उमर गौतम की संस्था को ब्रिटेन के अल फला ट्रस्ट से 57 करोड़ रुपया मिला है। मतांतरण के इस खेल को बढ़ाने के लिए इनको दुबई के साथ खाड़ी के अन्य देशों से फंड मिल रहा था।

उत्तर प्रदेश में मतांतरण के बड़े मामले में एटीएस की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, कई चौंकाने वाले मामले तथ लोग सामने आ रहे हैं। एटीएस ने इस मामले में करीब 150 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग के साक्ष्य जुटाए हैं। यह रकम उमर गौतम, कलीम सिद्दीकी और सलाहुद्दीन के पास भेजी गई थी। बीते पांच वर्ष से उमर गौतम की संस्था इस्लामिक दावा सेंटर और फातिमा चैरिटेबल ट्रस्ट को 30 करोड़ से ज्यादा रुपये विदेशी संस्थाओं से मिले। उसने इसका 60 फीसदी ही मतांतरण पर खर्च किया था।

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इसके साथ ही एसटीएफ की गिरफ्त में आए वडोदरा के निवासी रसलाहुद्दीन की संस्था अमेरिकन फेडरेशन ऑफ मुस्लिम ऑफ इंडियन ओरिजिन को पांच वर्ष में 28 करोड़ रुपये मिले, जो उसने उमर गौतम को दिए थे। इसके साथ 22 करोड़ रुपये कलीम की संस्था अल हसन एजुकेशनल सोसायटी को भेजे गए। यह विदेशी फंड दुबई, तुर्की व अमेरिकी संस्थाओं ने भेजा था।

चार्जशीट के मुताबिक पता चला कि उमर गौतम व जहांगीर आलम ने अपने गिरोह के राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ मिलकर एक सिंडिकेट भी बनाया था। इसका उद्देश्य धर्म बदलने वाले लोगों को उनके मूल धर्म के प्रति विद्वेष पैदा करना था। जिससे देश की अखंडता व एकता को बढ़ाने वाले बंधुता पर प्रतिकूल असर पड़ा है। उमर गौतम के सिंडिकेट को महाराष्ट्र में संचालित करने के आरोपी भूप्रिय बिंदो, कौसर आलम, फराज शाह व प्रसाद कावरे की मुख्य भूमिका है। चार्जशीट में कहा गया कि आरोपियों को धर्मांतरण के लिए विदेशों से मौलाना कलीम सिद्दीकी के जामिया इमाम वलीउल्लाह ट्रस्ट और हवाला के जरिए करोड़ों रुपये की फंडिंग की गई है। आरोपी पूछताछ में इस धन के बारे में कोई ब्योरा नहीं दे सके हैं।

उत्तर प्रदेश एटीएस ने इस खेल को बेनकाब करने के लिए अब तक 16 लोगों को गिरफ्तार किया है। अभी भी जांच जारी है। गिरफ्तार 16 में से दस के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल की जा चुकी है। एटीएस ने सबसे पहले 21 जून को मौलाना उमर गौतम को गिरफ्तार किया था। इसके बाद जब उससे सख्ती से पूछताछ की गई तो सलाहुद्दीन जैनुद्दीन शेख का नाम सामने आने पर 30 जून को उसे भी पकड़ लिया गया। इसके बाद 21 सितंबर को मौलाना कलीम सिद्दीकी को भी गिरफ्तार कर लिया गया। इन सभी ने विदेशी संस्थाओं के साथ मिलकर एक सिंडिकेट बनाया था जो कि हिंदुओं और अन्य धर्म के लोगों धर्मांतरण के लिए धार्मिक विद्वेष और मूल धर्म की बुराइयों से संबंधित किताबें भी छापा करते थे। मौलाना कलीम सिद्दीकी का नाम बड़े इस्लामिक स्कॉलर्स में गिना जाता है। उसकी गिरफतारी के बाद काफी हंगामा भी मचा था, लेकिन उसके खिलाफ काफी सुबूत मिलने पर सन्नाटा पसर गया।

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