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रोगी कल्याण समिति का 16 लाख रुपये लेकर वार्ड बॉय भाग गया, जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित

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 उन्नाव। जिला अस्पताल सीएमएस कार्यालय में कार्यरत का एक कर्मचारी 18 मार्च से लापता है। परिजनों ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई है। पुलिस उसकी तलाश में लगी है।

इस बीच लापता कर्मचारी द्वारा पर्चा, ईसीजी, प्लास्टर, ऑपरेशन और मेडिकल फीस का लगभग 16 लाख रुपये बैंक में न जमा करने का राजफाश होने पर अस्पताल प्रशासन के होश उड़ गए। सीएमएस ने तीन सदस्यीय समिति गठित कर विभागीय जांच शुरू करा दी है। जांच के बाद लापता कर्मचारी पर गबन का मुकदमा दर्ज कराने की तैयारी चल रही है।

यह है पूरा मामला

सदर क्षेत्र के जुराखन खेड़ा निकट साईंमंदिर निवासी जिला पुरुष अस्पताल में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी विनय यादव 18 मार्च को अपने घर से अस्पताल ड्यूटी पर जाने को कहकर निकला था। उसके बाद घर नहीं लौटा। तब मां फूलकेश ने 19 मार्च को सदर कोतवाली में विनय की गुमशुदगी दर्ज कराई थी। उसके बाद से पुलिस और परिजन विनय की तलाश कर रहे हैं।

मार्च माह में क्लोजिंग का समय आने पर सीएमएस डाॅ. आरए मिर्जा ने बैंक से अस्पताल के उस खाते का डिटेल मंगवाया, जिसमें पर्चा, ईसीजी, प्लास्टर, ऑपरेशन और मेडिकल फीस से आने वाला पैसा जमा कराया जाता है, तो पता चला कि बैंक खाते में कई माह से पैसा ही नहीं जमा किया गया है।

चिकित्सा अधीक्षक डाॅ. संजीव कुमार ने बताया कि पर्चा काउंटर पर रसीद कटने के बाद पैसा विनय के पास जमा होता था, वही बैंक में जमा करने जाता था। सरकारी पैसा बैंक खाते में न जमा होने का राजफाश होने पर अस्पताल प्रशासन में खलबली मच गई।

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सीएमएस ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित कर दी है। जांच समिति को तीन दिन में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि लगभग 16 लाख रुपये बैंक खाते में नहीं जमा किया गया है।

लापता कर्मी विनय के बहनोई विनोद कुमार ने कहा कि वह चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी था, तो उसे पैसा जमा करने की जिम्मेदारी कैसे दी जा सकती है। हो सकता है कि अस्पताल प्रशासन गबन का दोष उसपर मढ़ रहा हो। सिर्फ आरोप से कुछ नहीं होता, अस्पताल प्रशासन ने पैसा जमा करने की जिम्मेदारी दे रखी थी, इस तरह की जानकारी उसने कभी घर वालों को नहीं दी।

बैंक की फर्जी मुहर लगी होने की संभावना

सीएमएस कार्यालय कर्मियों का कहना है कि बैंक जमा खर्च की फाइल में बैंक की रिसीविंग रसीद लगी हैं, जबकि, अकाउंट में पैसा नहीं जमा है। इससे माना जा रहा है बैंक रिसीविंग पर्ची फर्जी मुहर लगाकर विभागीय अधिकारियों को गुमराह करने का भी काम किया गया है।

जांच समिति ने बैंक से मांगा तिथिवार जमा का डिटेल

तीन सदस्यीय जांच समिति में चिकित्साधीक्षक डा. संजीव कुमार, डा. मनोज सिंह और डॉ. विवेक गुप्ता शामिल हैं। हालांकि, सीएमएस ने उनके नाम बताने से साफ मना कर दिया।

जांच समिति के सदस्यों ने बैंक से अकाउंट में जमा धन की पूरी डिटेल मांगी है। जांच टीम के सदस्यों में नाम न छापने के अनुरोध पर एक ने बताया कि बैंक डिटेल और पर्चा काउंटर के डेली जमा रजिस्टर से मिलान करके पता किया जाएगा कितना धन अकाउंट में नहीं जमा किया गया है।

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सीएमएस बोले- जांच के बाद ही कुछ बता पाना संभव

सीएमएस डाॅ. आरए मिर्जा ने कहा कि पर्चा, ईसीजी, प्लास्टर, ऑपरेशन और मेडिकल फीस का जो पैसा आता है उसे जमा करने की जिम्मेदारी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी विनय की थी। जमा खर्च की फाइल में बैंक में जमा की रिसीविंग पर्चियां मिली हैं, लेकिन अकाउंट में पैसा नहीं है।

इससे माना जा रहा है कि रिसीविंग पर्चियों पर बैंक की फर्जी मुहर लगाई गई है। बैंक से डिटेल के साथ ही पर्चा काउंटर से जमा किए गए धन का डिटेल मांगा गया है जब तक जांच पूरी न हो जाए कुछ बता पाना संभव नहीं हैं। अभी यह कह सकता हूं बैंक अकाउंट में पैसा न जमा कर गोलमाल किया गया है।

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