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श्रीलंका में क्‍या मिल गया रावण का महल? रहस्‍यमय किले की हुई खोज, भव्‍यता देख दुनियाभर के लोग हैरान

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श्रीलंका में एक विशालकाय चट्टान के ऊपर पुराने शहर की खोज ने पुरातत्वविदों और इतिहासकारों को हैरान कर दिया है. श्रीलंका के बीच में मौजूद सिगरिया शहर का खंडहर यहां आने वाले लोगों को आश्चर्यचकित कर देता है. खंडहर में मौजूद अवशेष देखने पर लगता है कि यह कोई विशाल नगर रहा होगा, जो किसी राजा की राजधानी रही होगी.

यह नगर एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है, जिसकी निर्माण तकनीक पुरातत्वविदों को आज भी अचंभित कर देती है. यह उस समय की शानदार इंजीनियरिंग का नमूना है. कुछ लोगों का मानना है कि यहां पर एक महत्वपूर्ण बौद्ध मठ था, लेकिन यहां पर मिली वस्तुओं के आधार पर कुछ लोगों का कहना है कि हिंदू धर्म ग्रन्थ रामायण में वर्णित लंका के राजा रावण का यह महल था.

180 मीटर की ऊंचाई पर है शहर

सिगरिया नगर आज श्रीलंका के सबसे प्रसिद्ध स्मारकों में से एक है, जो दुनिया के आश्चर्यों में गिना जाता है. सिगरिया को शेर की चट्टान के रूप में भी जाना जाता है, जिसकी ऊंचाई 180 मीटर बताई जाती है. यह इतना ऊंचा है कि जंगल के बाहर से ही चट्टान दिखने लगता है. लिखित अभिलेख के मुताबिक यह राजा कश्यप की राजधानी हुआ करती थी. कुछ लोग यह भी मानते हैं कि राजा कश्यप इस जगह को अपने ऐशगाह के रूप में तैयार कराया था. फिलहाल, यह स्मारक यूनेस्को की धरोहरों में शामिल है.

सिगरिया में लिफ्ट होने की कही जाती है बात

कई इतिहासकार ऐसे भी हैं, जो सिगरिया को रामायण में बताए गए लंकापति रावण से जोड़कर देखते हैं. कहा जाता है कि आज से करीब 5 हजार साल पहले इस पहाड़ के ऊपर रावण का राजमहल था, जिसे कुबेर ने बनवाया था. कहा जाता है कि इस महल में जाने के लिए 1000 सीड़ियों का प्रयोग किया जाता था. साथ ही महल के शीर्ष पर जाने के लिए लिफ्ट का प्रयोग किया जाता था. पांच हजार साल पहले लिफ्ट की कल्पना करना ही रोमांच पैदा करने वाली बात है.

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सिगरिया में हैं कई गुफायें

इस चट्टानी पहाड़ के नीचे देखने पर कई गुफायें नजर आती हैं, मान्यता है कि रावण ने सीता का अपहरण करने के बाद इन्हीं गुफाओं में से किसी एक में रखा था. गुफाओं के अंदर कई चित्र बने हैं, कहा जाता है कि यह चित्र रावण की कई पत्नियों के हैं. अगर पौराणिक कथाओं को छोड़ दें तो सिगरिया को एक समय बौद्ध मठ भी माना जाता था. ऐसा माना जाता है कि 14वीं शताब्दी तक यहां बौद्ध भिक्षु रहा करते थे, हलांकि इस तथ्य का कोई सबूत नहीं है.

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