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हम भारतीय कंपनियों से रूसी तेल खरीदने को नहीं कहते…. संसद में क्यों बोले विदेश मंत्री जयशंकर

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नई दिल्ली। रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि इस बारे में वह कोई भी फैसला भारतीय जनता के हितों को सर्वोपरि स्थान देते हुए करेगा। बुधवार को राज्यसभा में भारत की विदेश नीति पर वक्तव्य देते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चाहे इंधन खरीदने की बात हो, फर्टिलाइजर खरीदने की बात हो इसमें भारतीय आवाम को सबसे पहली प्राथमिकता मानते हुए हितों को ध्यान में रखते हुए करेगी।

अपने देश की जनता पर नहीं पड़ने देंगे दूसरे देशों की गलतियों की खामियाजा

जयशंकर के मुताबिक, ‘यह हमारा कर्तव्य है कि हम किसी दूसरे देशों की गलतियों की खामियाजा खाद्य, ईंधन या उर्वरक कीमतों को लेकर अपने देश की जनता पर नहीं पड़ने दें।’ इसके साथ ही विदेश मंत्री ने चीन के साथ रिश्तों को असमान्य बताते हुए दो टूक कहा कि, हमारा मत स्पष्ट है कि चीन को मनमाने तरीके से वास्तविक सीमा रेखा (एलएसी) को नहीं बदल सकता।

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बाजार पर निर्भर करता है बहुत कुछ

रूस से उत्पादित होने वाले कच्चे तेल की कीमत पर जी-सात देशों की तरफ से अधिकतम सीमा तय करने के बारे में जयशंकर ने कहा, ‘इसका भारत पर क्या असर होगा, यह अभी साफ नहीं है। सरकार पूरी नजर रखे हुए है। भारत की मुख्य चिंता इससे ऊर्जा की उपलब्धता व इसकी कीमतों को लेकर है। सरकार अपनी कंपनियों को रूस से तेल खरीदने के लिए नहीं कहती है बल्कि उन्हें जहां से भी सबसे सस्ती कीमत पर तेल मिले वहां से खरीदने को कहती है। अब यह बहुत कुछ बाजार पर निर्भर करता है। हम सिर्फ एक देश से तेल नहीं खरीदते बल्कि कई देशों से खरीदते हैं। लेकिन समझदारी इसी में है कि जहां से सबसे अच्छी कीमत मिले वहां से खरीदा जाए।’

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चीन से रिश्ते समान्य नहीं

विदेश मंत्री का यह बयान तब आया है जब ताजे आंकड़े बता रहे हैं कि नवंबर, 2022 में लगातार दूसरे महीने भारत रूस से सबसे ज्यादा तेल खरीदने वाला देश बना हुआ है। अमेरिका व यूरोपीय देश लगातार भारत पर दबाव बनाये हुए हैं कि वह रूस से तेल खरीदना कम करे। चीन को लेकर विदेश मंत्री ने कहा किया कि अभी भारत के रिश्ते उसके साथ सामान्य नहीं कहे जा सकते। उन्होंने कहा कि कूटनीतिक तौर पर चीन को यह स्पष्ट किया जा चुका है कि वह एलएसी को मनमाने तरीके से नहीं बदल सकता, इसे स्वीकार नहीं कया जा सकता। तब तक वो ऐसा करते हैं या शक्ति का प्रयोग करते हैं जो हमारे साथ की सीमा के लिए गंभीर चिंता पैदा करते हैं तब हमारे रिश्ते को सामान्य नहीं कहा जा सकता।

दोनो देशों की सेनाओं के बीच जारी है बातचीत

विदेश मंत्री ने आगे कहा कि पिछले कुछ वर्षों से हमारे रिश्ते सामान्य नहीं है। सीमा के हालात को लेकर दोनो देशों की सेनाओं के बीच बातचीत जारी है। चीन के साथ रिश्तों को ज्यादा संवेदनशील बताते हुए इससे आगे कुछ नहीं कहा। भारत की अगुवाई में हो रहे जी-20 देशों की सालाना बैठक के बारे में जयशंकर ने कहा कि यह मौका होगा कि जब भारत अपनी विकास, लोकतंत्र और विविधता (थ्री डी) पर अपनी उपलब्धियों को दिखाए। हर भारतवासी के संयुक्त प्रयासों से ही इस आयोजन को सफल बनाया जा सकता है।

विश्व के मुद्दों को सर्वसम्मति से समाधान निकालने की कोशिश

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उन्होंने कहा कि भारत की कोशिश होगी कि विश्व के समक्ष जो मौजूदा समस्याएं हैं उनका सर्वसम्मति से समाधान निकाला जा सके। अभी तक विदेश मंत्रालय की गतिविधियों को एक खास वर्ग के हितों से संबंधित रखने की सोच को खारिज करते हुए जयशंकर ने कहा कि विदेश मंत्रालय हर भारतीय के रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित करता है। चाहे भारतीय उत्पादों को वैश्विक बाजार उपलब्ध कराने को हो या भारतीय युवाओं को विदेशी कार्यस्थल रोजगार देने की बात हो या तकनीक या विदेशी निवेश लाने की बात हो, विदेश मंत्रालय की कोशिश दिखती है।

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