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पश्चिम बंगाल सरकार ने SC से कहा- ‘द केरला स्टोरी’ में तथ्यों से छेड़छाड़ की गई

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नई दिल्ली। बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि फिल्म द केरल स्टोरी मनगढ़ंत तथ्यों पर आधारित है और इसमें अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया है जो सांप्रदायिक भावनाओं को आहत कर सकती है और समुदायों के बीच वैमनस्य पैदा कर सकती है। इससे राज्य में व्यवस्था संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

बंगाल सरकार ने दाखिल किया हलफनामा

शीर्ष अदालत के समक्ष हलफनामा दाखिल करते हुए ममता बनर्जी सरकार ने कहा कि फिल्म सांप्रदायिक वैमनस्य और कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा कर सकती है जैसा कि विभिन्न खुफिया सूचनाओं से पता चला है। फिल्म पर प्रतिबंध लगाने के अपने फैसले का बचाव करते हुए बंगाल सरकार ने कहा कि फिल्म की स्क्रीनिंग से चरमपंथी समूहों के बीच संघर्ष और शांति भंग होने की संभावना है। हलफनामे में यह भी कहा गया है कि यह सरकार का नीतिगत फैसला है।

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तमिलनाडु ने कहा, नहीं लगाया प्रतिबंध

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि उसने फिल्म द केरल स्टोरी पर अप्रत्यक्ष प्रतिबंध का कोई आदेश जारी नहीं किया है। प्रदेश सरकार का कहना है कि थियेटर्स और मल्टीप्लेक्स को आवश्यक सुरक्षा उपलब्ध कराए जाने के बावजूद उनके मालिकों ने फिल्म कलाकारों के खराब प्रदर्शन और लोगों से अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिलने के कारण सात मई से फिल्म का प्रदर्शन रोकने का फैसला किया।

19 मल्टीप्लेक्स में रिलीज की गई थी फिल्म

प्रदेश सरकार ने इसकी वजह फिल्म में जाने-माने कलाकारों के अभाव भी बताया है। फिल्म निर्माताओं की ओर से अप्रत्यक्ष प्रतिबंध का आरोप लगाने वाली याचिका पर अपना जवाब दाखिल करते हुए प्रदेश सरकार ने कहा कि आपत्तियों और विरोध प्रदर्शनों के बावजूद यह फिल्म पांच मई को पूरे तमिलनाडु में 19 मल्टीप्लेक्स में रिलीज की गई थी।

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सरकार ने अनुच्छेद-32 के तहत याचिका दायर करने पर उठाया सवाल

सरकार ने कहा, रिलीज के बाद फिल्म की जबरदस्त आलोचना हुई थी और मुस्लिम संगठनों ने आरोप लगाया कि फिल्म सामान्य जन के बीच मुस्लिमों के प्रति घृणा और इस्लामोफोबिया का प्रसार करती है। उनका यह भी कहना था कि फिल्म का निर्माण ही मुस्लिमों के विरुद्ध अन्य धर्मों के लोगों का ध्रुवीकरण करने के लिए किया गया है। सरकार ने संविधान के अनुच्छेद-32 के तहत याचिका दायर करने पर भी सवाल उठाया। इस अनुच्छेद के तहत मौलिक अधिकारों से वंचित कोई भी व्यक्ति न्याय की मांग कर सकता है।

थियेटर्स की सुरक्षा में पुलिसकर्मियों को तैनात किया

एडिशनल एडवोकेट जनरल अमित आनंद तिवारी के जरिये दाखिल हलफनामे के जरिये सरकार ने कहा कि उसने अलर्ट जारी करके और फिल्म का प्रदर्शन करने वाले थियेटर्स की सुरक्षा में पुलिसकर्मियों को तैनात करके संविधान के अनुच्छेद-19(1)(ए) के तहत याचिकाकर्ताओं के भाषण एवं अभिव्यक्ति के अधिकार को सार्थक तरीके से प्रभावी किया है। जबकि याचिका में कहा गया है कि प्रदेश सरकार ने फिल्म पर अप्रत्यक्ष प्रतिबंध लगाया है, जो पूरी तरह गलत और आधारहीन है। प्रदेश सरकार इसका पुरजोर खंडन करती है।

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