नई दिल्ली: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) चैटबॉट ChatGPT का इस्तेमाल अब काफी होने लगा है। काफी यूजर्स इस चैटबॉट पर अपने सवाल पूछते हैं और जानकारी लेने के दौरान ‘प्लीज’ और ‘थैंक यू’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। ये शब्द चैटजीपीटी की कंपनी ओपनएआई (OpenAI) के लिए आफत बन गए हैं।
OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन ने हाल ही में एक बात बताई। उन्होंने कहा कि ‘प्लीज’ और ‘थैंक यू’ जैसे छोटे-मोटे शब्द भी कंपनी के लिए बिजली का खर्चा बढ़ा रहे हैं। सैम ने यह बात सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक यूजर के सवाल के जवाब में कही थी। उन्होंने बताया कि इन छोटे शब्दों के कारण करोड़ों डॉलर की बिजली खर्च होती है।
क्या लिखा है पोस्ट में?
कुछ दिनों पहले tomie नाम के एक यूजर ने एक्स पर एक पोस्ट लिखी थी। इसमें यूजर ने पूछा था कि ChatGPT से बात करते समय लोग जो प्यार से ‘प्लीज’ और ‘थैंक यू’ बोलते हैं, उससे कितनी बिजली खर्च होती है?
इस पर सैम ने जवाब दिया कि कंपनी इसके लिए करोड़ों डॉलर खर्च कर रही है, लेकिन उन्हें इससे कोई परेशानी नहीं है। उनका ये मजाकिया जवाब बताता है कि AI सिस्टम हर शब्द को प्रोसेस करने में कितना खर्चा करता है।
शब्दों का बिजली से क्या कनेक्शन?
अब बात करते हैं कि ‘प्लीज’ और ‘थैंक यू’ बोलने से क्या होता है। देखने में तो ये छोटे शब्द लगते हैं, लेकिन इनसे कंप्यूटर पर काम का बोझ बढ़ जाता है। हर एक शब्द को प्रोसेस करने के लिए ज्यादा पावर चाहिए होती है। इससे ChatGPT को चलाने वाले डेटा सेंटर्स पर ज्यादा दबाव पड़ता है।
इन सेंटर्स में बहुत सारे कंप्यूटर होते हैं जो बहुत गर्मी पैदा करते हैं। इसलिए, उन्हें ठंडा रखने के लिए खास सिस्टम लगाने पड़ते हैं। इन सब चीजों से बिजली का इस्तेमाल बढ़ जाता है। बता दें कि जैसे-जैसे लोग AI से ज्यादा बात कर रहे हैं, वैसे-वैसे AI का एनर्जी इस्तेमाल भी बढ़ता जा रहा है।
कितने जरूरी हैं ये शब्द?
कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि एआई चैटबॉट से प्यार से बात करने के फायदे भी हैं। माइक्रोसॉफ्ट के डिजाइन मैनेजर कर्टिस बीवर्स ने कहा कि जब आप AI से इज्जत से बात करते हैं तो वह भी आपको अच्छे जवाब देता है। माइक्रोसॉफ्ट वर्कलैब के एक नोट में भी यह बात लिखी थी कि AI अक्सर यूजर्स के सवालों के तरीके को कॉपी करता है। मतलब, अगर आप अच्छे से बात करेंगे तो वह भी अच्छे से जवाब देगा।
तेजी से बढ़ रहे यूजर्स
चैटजीपीटी के यूजर्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है। कुछ दिनों पहले सैम ने बताया था कि हर हफ्ते करीब 80 करोड़ लोग ChatGPT का इस्तेमाल करते हैं। यह दुनिया की आबादी का लगभग 10% है। घिबली स्टाइल इमेज बनाने जैसे वायरल फीचर्स की वजह से भी इसका इस्तेमाल बहुत बढ़ गया है। इससे OpenAI पर काम का दबाव बढ़ गया है।