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लखनऊ के इस मर्डर केस ने क्यों ब्यूरोक्रेसी की उड़ा रखी है नींद, SSP से लेकर DM तक पहुंची जांच की आंच

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लखनऊ। लखनऊ के बहुचर्चित श्रवण साहू हत्याकांड की जांच में सीबीआइ ने तत्कालीन जिलाधिकारी गौरी शंकर प्रियदर्शी व सीओ एलआइयू एके सिंह को भी लापरवाही का दोषी माना है। सूत्रों का कहना है कि सीबीआइ ने शासन से लखनऊ की तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी के अलावा तत्कालीन डीएम व सीओ एलआइयू के विरुद्ध भी विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की है। तत्कालीन सीओ एलआइयू एके सिंह सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

सीबीआइ की जांच में श्रवण साहू को जान का खतरा होने के बावजूद सुरक्षा उपलब्ध कराने में लापरवाही सामने आई है। श्रवण साहू ने अपनी सुरक्षा को लेकर तत्कालीन डीएम से भी गुहार लगाई थी, पर उन्होंने उसका संज्ञान नहीं लिया था। पूर्व में सीबीआइ ने तत्कालीन जिलाधिकारी प्रियदर्शी के भी बयान दर्ज किये थे।

ध्यान रहे, एक फरवरी, 2017 को लखनऊ के सआदतगंज क्षेत्र में व्यवसायी श्रवण साहू की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआइ लखनऊ की स्पेशल क्राइम ब्रांच श्रवण साहू हत्याकांड की जांच कर रही है। सीबीआइ हत्याकांड में आरोपितों के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल कर चुकी है।

दरअसल, व्यवसायी श्रवण साहू अपने बेटे के हत्यारों के खिलाफ अदालत में पैरवी कर रहे थे। श्रवण के बेटे आयुष साहू की हत्या 16 अक्टूबर 2013 में कर दी गई थी, जिसके वह इकलौते गवाह थे। श्रवण साहू को जान का खतरा होने के बावजूद उन्हें सुरक्षा उपलब्ध कराने में लखनऊ के सभी उच्च अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है।

श्रवण ने तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी और डीएम जीएस प्रियदर्शी से भी सुरक्षा की गुहार लगाई थी। इसे उन्होंने दरकिनार कर दिया था। बाद में एक फरवरी 2017 को बदमाशों ने श्रवण साहू की उनकी दुकान में घुसकर गोली मारकर हत्या कर दी थी।

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आयुष की हत्या के बाद लखनऊ पुलिस ने उसके पिता श्रवण साहू को ही आरोपी बताकर फर्जी मुकदमा दर्ज कर लिया था। इसके बाद तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी ने एक दारोगा और दो सिपाहियों को बर्खास्त के साथ ही छह पुलिस कर्मियों को सस्पेंड कर दिया था।

बाद में श्रवण साहू ने मंजिल सैनी से मिलकर खुद की जान का खतरा बताते हुए सुरक्षा की गुहार लगाई थी जिस पर कोई सुनवाई नहीं हुई थी। वहीं, श्रवण साहू ने डीएम से भी सुरक्षा की गुहार लगाते हुए प्रार्थना पत्र दिया था लेकिन जिलाधिकारी कार्यालय में भी फाइल लटकी ही रही थी।

20 फरवरी 2017 को हाई कोर्ट ने आयुष और श्रवण हत्याकांड की जांच सीबीआइ को सौंप दी थी। यहीं नहीं, पुलिस की भूमिका की भी सीबीआइ को जांच करने के निर्देश दिए थे और फिर सीबीआइ ने श्रवण हत्याकांड मामले में 11 मई 2017 को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी थी।

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