वाशिंगटन। अमेरिका में राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन उम्मीदवार विवेक रामास्वामी ने आज अमेरिका के मुश्किल स्थिति में होने की बात कही है। उन्होंने कहा कि अमेरिका तीन चीजों नस्ल, लिंग और जलवायु के चलते मुश्किल में है। विवेक ने इसी के साथ कहा कि 2024 में देश के राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने पर वे एफबीआई के साथ-साथ शिक्षा विभाग को भी खत्म करने का काम करेंगे। बता दें कि रिपब्लिकन पार्टी के नेता रामास्वामी ने पिछले हफ्ते ही 2024 का अमेरिकी राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने की घोषणा की है।
‘चीन से मिलेगी आजादी’
रामास्वामी ने रिपब्लिकन नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि वे सबसे पहले अमेरिकी कंपनियों को चीन के साथ व्यापार करने पर प्रतिबंध लगाने का भी काम करेंगे। उन्होंने कहा कि आज अमेरिका में चीन की कंपनियों का व्यापार बढ़ रहा है और इसे रोकने की जरूरत है। रिपब्लिकन उम्मीदवार ने कहा कि यदि थॉमस जेफरसन आज जीवित होते, तो वह अमेरिका की स्वतंत्रता की घोषणा की जगह चीन से स्वतंत्रता की बात कहते।
बता दें कि जेफरसन एक अमेरिकी राजनेता, राजनयिक, वकील, वास्तुकार, दार्शनिक और अमेरिका के संस्थापक नेताओं में से एक थे। उन्होंने 1801 से 1809 तक अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया और स्वतंत्रता के लिए आवाज उठाई।
अमेरिका राष्ट्रीय पहचान के संकट से जूझ रहा
रिपब्लिकन नेता ने कहा कि अमेरिका एक राष्ट्रीय पहचान संकट से जूझ रहा है। उन्होंने कहा कि मैं 37 साल का हूं और मेरी पीढ़ी के लोगों के पास जीवन का उद्देश्य ही नहीं है। रामास्वामी ने कहा कि पहले जब हम अमेरिकियों के पास उद्देश्य था तो एक विश्वास, देशभक्ति, कड़ी मेहनत, परिवार के लिए कुछ करने की भूख थी, जो अब खत्म हो गई है। बता दें कि रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से रामास्वामी, निक्की हेली और ट्रंप की तरह राष्ट्रपति उम्मीदवार हैं।
तीन सेक्युलर धर्मों ने पहुंचाया नुकसान
रामास्वामी ने कहा कि आज अमेरिका तीन धर्मनिरपेक्ष धर्मों से जूझ रहा है, जिसमें नस्ल, लिंग और जलवायु है। उन्होंने कहा कि पहला “नस्लीय धर्म” है जिसके तहत अमेरिका किसी की पहचान उसकी त्वचा के रंग से करते हैं।यदि कोई काला है तो वह नीचा है और कोई गोरा है तो वह स्वाभाविक रूप से विशेषाधिकार प्राप्त हैं। रामास्वामी ने लैंगिक भेदभाव और जलवायु परिवर्तन का भी मुद्दा उठाया।
रामास्वामी ने आगे कहा कि तीसरा जलवायु धर्म है जो हमें संयुक्त राज्य अमेरिका में कार्बन उत्सर्जन से हर कीमत पर लड़ने की बात सिखाता है, लेकिन हम उसी कार्बन उत्सर्जन को चीन जैसी जगहों से पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर कार्बन उत्सर्जन खत्म करना है तो हमें परमाणु ऊर्जा को अपनाना ही होगा।