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नोएडा प्राधिकरण का सबसे बड़ा घोटालेबाज अफसर क्या कभी पकड़ा जाएगा?

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नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) का सबसे बड़ा घोटालेबाज अफसर क्या कभी पकड़ा जाएगा? नोएडा से लेकर उत्तर प्रदेश की राजधानी तक सबको पता है कि पूर्व IAS अधिकारी सरदार मोहिन्दर सिंह उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा घोटालेबाज अफसर है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) नोएडा के पूर्व CEO मोहिन्दर सिंह की घेराबंदी कर रहा है। ED की तमाम घेराबंदी के बावजूद सरदार मोहिन्दर सिंह मजे से घूम रहा है। अब सवाल पूछा जा रहा है कि क्या सरदार मोहिन्दर सिंह कभी पकड़ा जाएगा ?

उठ रहे हैं सवाल

सब जानते हैं कि सरकारी मशीनरी जब किसी को गिरफ्तार करना चाहती है तो तुरंत पकड़ लेती है। नोएडा प्राधिकरण के पूर्व ECO सरदार मोहिन्दर सिंह के कार्यकाल में नोएडा में 52 हजार करोड़ रूपए के घोटाले हुए हैं। CAG की रिपोर्ट में नोएडा में हुए तमाम घोटाले सामने आ चुके हैं। इतने बड़े घोटाले प्रमाणित हो जाने के बाद भी सबसे बड़े घोटालेबाज अफसर सरदार मोहिन्दर सिंह की गिरफ्तारी आज तक नहीं हुई है। यही कारण है कि तमाम लोग ED की कार्यवाही पर भी सवाल उठा रहे हैं। नोएडा प्राधिकरण हो, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण या फिर उत्तर प्रदेश में हुआ स्मारक घोटाला हो सरदार मोहिंदर सिंह अपने कार्यकाल में हर घोटाले में शामिल रहा है। सरदार मोहिन्दर सिंह के घोटालों के तमाम सबूत ED के पास मौजूद हें। सबूतों के बावजूद ED द्वारा सरदार मोहिन्दर सिंह की गिरफ्तारी ना करना अनेक सवालों को जन्म दे रहा है।

सबसे भ्रष्ट अफसर रहा है सरदार मोहिन्दर सिंह

आपको बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल में नोएडा प्राधिकरण का सर्वेसर्वा सरदार मोहिंदर सिंह फरार है। पूर्व IAS अधिकारी सरदार मोहिंदर सिंह ना केवल नोएडा का सबसे बड़ा घोटालेबाज है बल्कि सरदार मोहिंदर सिंह उत्तर प्रदेश का सबसे भ्रष्ट IAS  अफसर रहा है। मंगलवार को ED ने सरदार मोहिंदर सिंह को तीसरी बार सम्मन भेजकर ED के लखनऊ दफ्तर में तलब किया है। कानून के जानकरों का मत है कि सरदार मोहिंदर सिंह को कहीं ना कहीं से संरक्षण प्राप्त हो रहा है। इसी कारण से सबसे बड़ा भ्रष्ट अफसर सरदार मोहिंदर सिंह ED से बिल्कुल भी नहीं डर रहा है। ED ने नोएडा के थ्री सी बिल्डर के घोटाले में मोहिंदर सिंह को बार-बार सम्मन भेजे हैं। हाल ही में ED ने उत्तर प्रदेश में हुए 1400 करोड़ रूपए के घोटाले में मोहिंदर सिंह तथा उसके भ्रष्ट साथी अफसरों को सम्मन भेजकर अपने कार्यालय में तलब किया है।

सरदार मोहिन्दर सिंह का लेखा-जोखा

आपको बता दें कि नोएडा प्राधिकरण का भूतपूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO), उत्तर प्रदेश का रिटायर्ड IAS अधिकारी, नोएडा प्राधिकरण, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण तथा यीडा का पूर्व चेयरमैन, उत्तर प्रदेश का सबसे भ्रष्ट अफसर यें सभी पहचान एक ही व्यक्ति की है। इस व्यक्ति का नाम है सरदार मोहिंदर सिंह। सरदार मोहिंदर सिंह पर भ्रष्टाचार के जरिए अरबों रूपए की पाप की कमाई करने के आरोप हैं। एक समय सरदार मोहिंदर सिंह ने नोएडा प्राधिकरण को भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया था। सरदार मोहिंदर सिंह ने किस कदर घोटाले किए हैं इसकी एक बानगी (उदाहरण) हम यहां प्रकाशित कर रहे हैं। आपको बता दें कि नोएडा प्राधिकरण से सैकड़ों करोड़ रूपए की भूमि आवंटित कराने वाले एक दर्जन बिल्डर कंगाल हो गए हैं। नोएडा में सक्रिय इन बिल्डरों ने अपनी-अपनी नोएडा की कंपनियों को दिवालिया घोषित कर दिया है। दिवालिया होने वाले बिल्डरों के ऊपर नोएडा प्राधिकरण के नौ हजार करोड़ से भी अधिक रूपए बकाया है। दिवालिया हो जाने के कारण इन बिल्डरों से अब रिकवरी की उम्मीद ना के बराकर रह गयी है। रिकवरी ना होने का अर्थ है कि नोएडा प्राधिकरण का पूरा बकाया डूब गया है।

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नोएडा प्राधिकरण के इस बकाये की रकम 9 हजार करोड़ रूपए से भी अधिक की है। नोएडा प्राधिकरण का सबसे बड़ा बकाया आम्रपाली बिल्डर पर है। दिवालिया हो चुके आम्रपाली बिल्डर पर नोएडा प्राधिकरण के 4500 करोड़ रूपए बकाया है। इस कड़ी में दूसरा नाम सुपरटेक बिल्डर का है। सुपरटेक बिल्डर पर नोएडा प्राधिकरण के 3062 करोड़ रूपए बकाया है। इसी प्रकार लॉजिक्स बिल्डर पर नोएडा प्राधिकरण के 1 हजार 113 करोड़ रूपए बकाया है। इसी कड़ी में थ्रीसी बिल्डर पर नोएडा प्राधिकरण के 600 करोड़ रूपए बकाया है। यहां बताए गए सभी बिल्डर दिवालिया घोषित हो चुके हैं। इस कारण नोएडा प्राधिकरण के 9 हजार करोड़ रूपए डूब गए हैं। नोएडा प्राधिकरण की भारी-भरकम धनराशि डूबने का यह पूरा घोटाला सरदार मोहिंदर सिंह के कारण हुआ है। दरअसल सरदार मोहिंदर सिंह उत्तर प्रदेश के रिटायर्ड  IAS अधिकारी हैं। इस  IAS अधिकारी मोहिंदर सिंह को सबसे बड़ा भ्रष्ट अधिकारी माना जाता है। सरदार मोहिंदर सिंह तत्कालीन मुख्यमंत्री सुश्री मायावती की सरकार में सबसे फेवरेट अधिकारी था। सरदार मोहिंदर सिंह 14 दिसंबर 2010 से लेकर 20 मार्च 2012 तक नोएडा प्राधिकरण में ECO तथा चेयरमैन के पद पर तैनात रहा है। उसी तैनाती के दौरान मोहिंदर सिंह ने बिल्डरों को कौडिय़ों के भाव नोएडा प्राधिकरण की सारी जमीन बेच डाली थी।

10 प्रतिशत पर चलता था पूरा खेल

सरदार मोहिंदर सिंह नोएडा प्राधिकरण में 14 दिसंबर 2010 को तैनात हुए थे। नोएडा में आते ही मोहिंदर सिंह ने अपने राजनैतिक आका तैयार कर लिए थे। अपने राजनैतिक आकाओं को अरबों रूपयों की कमाई करवाने के मकसद से सरदार मोहिंदर सिंह ने एक “खेल” शुरू किया था। खेल यह था कि नोएडा प्राधिकरण की हजारों करोड़ मूल्य रूपये की जमीन मात्र 10 प्रतिशत धनराशि जमा कराकर कोई भी बिल्डर आवंटित करा सकता था। शर्त यह थी कि जमीन की कीमत का 25 प्रतिशत (सैकड़ों करोड़) मोहिंदर सिंह तथा उसके राजनीतिक आकाओं को नगद भेंट करना होता था। इसी “खेल” के दौरान नोएडा प्राधिकरण के डिफाल्टर बिल्डर आम्रपाली, सुपरटेक, लॉजिक्स तथा थ्री-सी जैसे बिल्डरों को नोएडा प्राधिकरण की 10 हजार करोड रूपए से भी अधिक की जमीन आवंटित की गई थी। बिल्डरों ने इस आवंटन के बदले लाखों करोड़ रूपए की रिश्वत मोहिंदर सिंह तथा उसके आकाओं को दी थी। मोटी रिश्वत देने के कारण बिल्डरों ने नोएडा प्राधिकरण का बकाया चुकाने का प्रयास कभी किया ही नहीं। इस प्रकार नोएडा प्राधिकरण में हजारों करोड़ रूपए का “खेला” हो गया। सब जानते है कि नोएडा व ग्रेटर नोएडा को उत्तर प्रदेश की औद्योगिक राजधानी कहा जाता था। प्रदेश की तमाम सरकारें इस क्षेत्र को प्रदेश के शो विन्डो के तौर पर प्रचारित करती रही है। यह क्षेत्र देश में ही नहीं, दुनिया भर में सबसे तेजी से विकसित होने वाला क्षेत्र था। किन्तु पिछले एक दशक में यहां जिस प्रकार सरकारी जमीन को बिल्डरों के नाम पर कुछ धंधेबाजों में बांटा गया उसने इस पूरे क्षेत्र की छवि को बर्बाद कर दिया है। आज यह क्षेत्र पूरी तरह से डूब चुके है रियल एस्टेट कारोबार के रूप में चर्चित है। देश भर के लाखों नागरिक यहां बिल्डरों के नाम पर ठगी का धन्धा चलाने वालों का शिकार होकर आज अदालतों के चक्कर काट रहे हैं। आम्रपाली बिल्डर के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले से बिल्डरों की ठगी का शिकार हुए बायर्स को एक उम्मीद की किरण नजर आयी है कि शायद देर सवेर उन्हें घर मिल जाए। दरअसल नोएडा, ग्रेटर नोएडा क्षेत्र को बर्बाद करने वाली योजना सन् 2008 से शुरू हुयी थी। उस समय के अधिकारियों ने अपने राजनीतिक आकाओं के निर्देशों का हूबहू पालन करने का व्रत ले रखा था।

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अपने आकाओं को खुश रखने के लिए ये अफसर कुछ भी करने को तैयार रहते थे। इन अफसरों ने एक योजना बनायी जिसमें यह व्यवस्था की गयी कि आवंटन राशि का मात्र 10 प्रतिशत पैसा लेकर प्राधिकरणों की जमीन बिल्डरों को आवंटित कर दी जाए। इस प्रस्ताव को रातों रात प्राधिकरणों के बोर्डों से पास कराकर आकाओं के निर्देश पर शासन से भी पास कराने की औपचारिकता पूरी कर ली गयी। फिर शुरू हुआ आवंटन का खेल जिस किसी भी धन्धेबाज के पास काला धन था उसने अफसरों के आकाओं को करोड़ों की भेंट चढ़ाई और मन माफिक भूखंड हथिया लिया। देखते ही देखते नोएडा में बिल्डरों की भरमार हो गयी। चारो तरफ जोरदार प्रचार करके इन तथाकथित बिल्डरों ने अपना घर खरीदने के इच्छुक देश भर के नागरिकों से धन की उगाही शुरू कर दी। देखते ही देखते इन धन्धबाजों के पास हजारों करोड़ रूपये बुकिंग एमाउन्ट के रूप में आ गए। प्राधिकरणों को आवंटन राशि का 10 प्रतिशत पैसा देकर अनेक धन्धेबाज धन्ना सेठ बन गए। जिनकी हैसियत छोटी कार खरीदने की नहीं थी। उन्होंने बड़े-बड़े बंग्ले, महंगी महंगी विदेशी कार और ना जाने क्या क्या खरीद लिया। चन्द बिल्डर जो वास्तव में रीयल एस्टेट के जानकार थे उन्होंने तो ईमानदारी से घर बनाकर ग्राहकों को दे दिए।

बाकी सब धन्धेबाज या तो बिल्डिंगों के स्ट्रक्चर बनकर गायब हो गए या केवल जमीन पर ही सपने बेचकर भाग गए। धीरे-धीरे स्थिति यह हो गयी कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना क्षेत्र का पूरा रीयल एस्टेट का कारोबार चौपट हो गया। देश भर के लाखों बायर्स रात दिन सडक से लेकर संसद तक और संसद से लेकर उच्चत्तम न्यायालय तक न्याय की मांग करते घूम रहे हैं। इन धन्धेबाजों पर तीनों प्राधिकरणों की जमीनों के मूल्य का 28 हजार करोड़ रूपये बकाया है। जिसमें नोएडा प्राधिकरण का 16 हजार करोड़ रूपये, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का 8500 करोड़ व यमुना विकास प्राधिकरण का 3500 करोड़ रूपये शामिल है। जो हालात है  उन्हें देखकर तो कदापि नहीं लगता कि यह पैसा वसूल हो पाएगा। देश की सर्वोच्च अदालत भी जो मार्ग निकालने की कोशिश कर रही है। उसमें इन बिल्डरनुमा ठगों के जाल में फंसे निवेशकों को घर तो मिल सकते हैं। किन्तु प्राधिकरणों का पैसा मिल पाएगा, यह सम्भव नहीं लगता है।

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इसीलिए ढेर सारे सवाल उठ रहे हैं। जानकारों का दावा है कि रियल स्टेट को बढ़ावा देने के नाम पर नोएडा, ग्रेटरनोएडा व यमुना में जो घोटाला हुआ है। वह अब तक का देश का सबसे बड़ा आवंटन घोटाला है। इस घोटाले को अंजाम देने वाले अधिकतर अफसर सेवानिवृत्त (रिटायर) होकर मौज की जिन्दगी जी रहे है। नोएडा हो अथवा ग्रेटर नोएडा यहां से लेकर लखनऊ तक एक ही सवाल पूछा जा रहा है कि क्या कभी उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा घोटालेबाज अफसर मोहिंदर सिंह पकड़ा जाएगा ?

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