मुंबई। आरबीआइ अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट और आगे इसमें और राहत मिलने की उम्मीद के बीच आठ जून को नीतिगत दर यानी रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रख सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह पूर्व में नीतिगत मोर्चे पर की गई कार्रवाई के प्रभावी रहने का संकेत होगा।
पिछली एमपीसी बैठक में ब्याज दर की वृद्धि पर लगी थी रोक
आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दासकी अगुआई वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक छह से आठ जून तक होनी है। मौद्रिक नीति की 43वीं बैठक के निर्णयों की घोषणा आठ जून यानी गुरुवार को होगी।
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अप्रैल में हुई पिछली एमपीसी बैठक में आरबीआइ ने ब्याज दर वृद्धि को रोक दिया था और रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर कायम रखा था। इससे पहले महंगाई पर लगाम लगाने के लिए मई, 2022 के बाद से लगातार वृद्धि करते हुए रेपो रेट में 2.5 प्रतिशत वृद्धि की गई थी।
मानसून की प्रगति पर आरबीआई की नजर
एमपीसी की बैठक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआइ) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति के अप्रैल में 18 महीनों के निचले स्तर 4.7 प्रतिशत पर आने के बाद हो रही है।
हाल ही में आरबीआइ गवर्नर ने संकेत दिए थे कि मई में यह आंकड़ा अप्रैल से भी नीचे जा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि आरबीआई की मानसून की प्रगति पर भी नजर है और अल नीनो खरीफ की फसल पर दुष्प्रभाव डाल सकता है, जिससे कीमतों पर भी प्रभाव पड़ सकता है।
जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ
बैंक आफ इंडिया के प्रबंध निदेशक रजनीश कर्नाटक ने बताया,जहां तक बैंकरों की बात है, मैं सिर्फ यही कहूंगा कि रिजर्व बैंक रेपो रेट पहले ही 2.5 प्रतिशत बढ़ चुका है। बैंकिंग के मामले में बाजार से अपेक्षाएं हैं कि हम रेपो दर में वृद्धि की बिल्कुल उम्मीद नहीं कर रहे हैं, क्योंकि यह पहले ही काफी बढ़ चुकी है और मुद्रास्फीति नीचे आई है।
रजनीश कर्नाटक ने कहा,अगर आप थोक और खुदरा मुद्रास्फीति को देखेंगे, तो यह अब कम हुई है। मुझे लगता है कि आरबीआइ अब विराम लगाएगा और रेपो दर में वृद्धि नहीं होगी।”
उनका समर्थन करते हुए बैंक आफ महाराष्ट्र के कार्यकारी निदेशक आशीष पांडेय ने कहा कि आरबीआइ दर बदलने से पहले अपनी इंतजार करो और देखो की नीति पर कायम रहेगा।