Home Breaking News कबाड़ से जुगाड़ पर होगा काम: नोएडा में जगह-जगह बनाए जाएंगे सेल्फी पॉइंट, एक्सप्रेस-वे पर दिया डेमो
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कबाड़ से जुगाड़ पर होगा काम: नोएडा में जगह-जगह बनाए जाएंगे सेल्फी पॉइंट, एक्सप्रेस-वे पर दिया डेमो

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नोएडा में कंपनियों और सरकारी संस्थाओं से निकलने वाला कबाड़ अब नोएडा की सुंदरता को बढ़ाएगा। इस योजना को कबाड़ से जुगाड़ का नाम दिया गया है। इसके पहले चरण में एक बाजार, एक सेक्टर और एक ग्रीन बेल्ट में कबाड़ से म्यूरल्स (भित्तिचित्र) बनाने का प्लान है। इनको सेल्फी प्वाइंट का रूप दिया जाएगा। इसके साथ ही धीरे-धीरे नोएडा में कई स्थानों पर कबाड़ से म्यूरल्स तैयार कर सेल्फी प्वाइंट बनाए जाएंगे। योजना का प्रस्तुतीकरण नोएडा की सीईओ रितु माहेश्वरी के समक्ष भी किया गया है।

बता दें कि, इस योजना के तहत नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे पर सेक्टर-128 और सेक्टर-132 पर ग्रेनो से नोएडा आते समय सर्विस लेन के पास एक सेल्फी प्वाइंट बनाया भी गया है। यह पूरी तरह से कबाड़ से निर्मित है। इसको बनाने के लिए टायर और बाल्टी और अन्य सामान का प्रयोग किया गया। इसी तरह सेक्टर-132 में भी सेल्फी प्वाइंट बनाया जा रहा है।

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प्लास्टिक वेस्ट का उचित प्रयोग करने में सफल है प्राधिकऱण

मिली जानकारी के अनुसार, प्लास्टिक वेस्ट का किस तरह उचित उपयोग किया जा सकता है इसकी मिसाल नोएडा प्राधिकरण ने प्रस्तुत की है। प्राधिकरण ने विश्व में सबसे बड़ा गांधी जी का चरखा प्लास्टिक वेस्ट से बनाया है। इस चरखे को बनाने में 1250 किलोग्राम प्लास्टिक वेस्ट का उपयोग किया गया था। जिसका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया था।

प्लास्टिक वेस्ट का प्रयोग हो रहा सेल्फी प्वाइंट बनाने में

See also  नेफोमा ने ग्रेटर नोएडा वेस्ट में स्ट्रीट डॉग शेल्टर व फीडिंग पॉइंट बनाने के लिए प्राधिकरण के सीईओ से की मांग ।

नोएडा में प्लास्टिक वेस्ट का प्रयोग कर पहले भी बौद्ध स्तूप, बनारस के घाट, ताजमहल भी बनाया गया है। जिसे ग्रीन बेल्ट और ग्रीन लूप में रखा गया है। ये सभी सेल्फी प्वाइंट बन चुके हैं। इसे लखनऊ, आगरा की ओर जाने वाले लोग एक्सप्रेसवे पर इनकी सुंदरता को देख सकते हैं। बता दें कि, कबाड़ से जुगाड़ की तर्ज पर ही नोएडा में बनाए जाने वाले 4डी जू पार्क में 500 टन कबाड़ का उपयोग किया जाएगा। इस पार्क का नाम प्राधिकरण की ओर से वेस्ट टू वंडर रखा गया है। यहां इससे कई तरह की कलाकृतियां बनाने का काम होगा। साथ यहां बनाए जाने वाले जंगली जानवरों में वेस्ट का उचित प्रयोग होगा। हालांकि ये सभी तकनीक में 4डी तरीके से ऑपरेट होंगे।

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