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एक्शन में योगी सरकार: यमुना एक्सप्रेस प्राधिकरण चेयरमैन अनिल सागर हटाए गए

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यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी में एक ही तरह के तीन मामलों में निर्णय लिए जाने का मामला हाई कोर्ट तक पहुंचने के बाद प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास अनिल कुमार सागर को प्रतीक्षारत कर दिया गया है। जिन मामलों में कार्रवाई करते हुए अनिल कुमार सागर को हटाया गया है, उसमें सोमवार को हाई कोर्ट में दोबारा सुनवाई होनी है। प्रमुख सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास और आईटी ऐंड इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ-साथ अनिल कुमार सागर के पास यमुना अथॉरिटी के अध्यक्ष पद का भी चार्ज था।

मामला एक तरह का, तो निर्णय अलग-अलग कैसे

यमुना एक्सप्रेस अथॉरिटी का चेयरमैन और प्रमुख सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास का चार्ज होने के नाते अनिल कुमार सागर के पास यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी के मामलों का रिव्यू करने का अधिकार था। यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी की बर्ड सेंचुरी में एनजीटी के आदेश के आधार पर बिल्डरों को कुछ लाभ दिया जाना था। मगर आरोप है कि अथॉरिटी से कुछ बिल्डर्स को तो लाभ मिला तो कुछ को नहीं दिया गया। इसके बाद एक बिल्डर ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। आरोप है कि एक ही तरह के मामलों में अलग-अलग तरह के निर्णय दिए गए। कुछ बिल्डर के कई प्रॉजेक्ट रद्द कर दिए।

अलग-अलग अथॉरिटी की रिव्यू याचिका सुनेंगे तीन अधिकारी

औद्योगिक विकास विभाग ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी की रिव्यू याचिका सुनने के लिए अधिकारियों की नियुक्ति कर दी है। ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण और सीडा के मामलों की रिव्यू याचिका सुनने के लिए अभिषेक प्रकाश को अधिकारी नियुक्त कर दिया गया है। वहीं नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण और गीडा के मामलों की रिव्यू याचिका पर सुनवाई के लिए विशेष सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास राम्या आर को अधिकृत किया गया है। यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी और यूपीसीडा के मामलों की रिव्यू याचिका की सुनवाई के लिए विशेष सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास पीयूष वर्मा को अधिकृत किया गया है। इसके आदेश अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग ने जारी कर दिया है।

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अभी तक प्रमुख सचिव के पास था अधिकार

अभी तक औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में रिव्यू याचिका सुनने का अधिकार प्रमुख सचिव रैंक के अधिकारी के पास था। शनिवार को प्रमुख सचिव अनिल कुमार सागर को हटाए जाने के बाद अब रिव्यू याचिका सुनने के लिए तीन अलग-अलग अधिकारियों को नियुक्त कर दिया गया है।

दो अधिकारी पहले ही हटाए जा चुके हैं

इससे पहले भी दो अलग-अलग मामलों में कोर्ट की फटकार के बाद दो सीनियर आईएएस अफसरों को हटाकर वेटिंग पर डाल दिया गया था। 1990 बैच के आईएएस अफसर राजेश कुमार सिंह को कारागार के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद हटाया गया था। वहीं, 1989 बैच के आईएएस अफसर मनोज सिंह को भी राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की ओर से गंगा नदी के प्रदूषण को लेकर जताई गई नाराजगी और तीन स्लॉटर हाउस को गलत तरीके से दी गई एनओसी के मद्देनजर अपर मुख्य सचिव वन एवं पर्यावरण के पद से हटाकर वेटिंग पर डाल दिया गया था।

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