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ईरान भेजे जा रहे ड्रग्स में तुम्हारा नाम… धमकाकर इंजीनियर को किया डिजिटल अरेस्ट, ठगे 10 लाख

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नोएडा। जिले में एक बार फिर डिजिटल अरेस्ट कर ठगी का मामला सामने आया है। ग्रेटर नोएडा में रहने वाले एक इंजीनियर को तीन घंटे डिजिटल अरेस्ट कर 9.95 लाख रुपये ठग लिए। कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए पीड़ित ने करीब 10 बार में साइबर अपराधियों के विभिन्न बैंक खातों में धनराशि ट्रांसफर कर दी। साइबर अपराध थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

खुद को कोरियर कंपनी का कर्मचारी बताया

ग्रेटर नोएडा के सौम्यकांत प्रस्टी ने दर्ज कराई एफआइआर में बताया कि वह एक नामी कंपनी में इंजीनियर हैं। 7 जून की सुबह करीब 11 बजकर 52 मिनट पर उनके पास अनजान नंबर से कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को नामी कोरियर कंपनी फेडेक्स का कर्मचारी बताया।

उसने कहा कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल ईरान भेजे जाने वाले एक पार्सल में हुआ है। पार्सल में ड्रग्स समेत अन्य प्रकार का प्रतिबंधित सामान है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की शिकायत पर उनके शिपमेंट को रोक दिया गया है। इसके बाद कॉल को एनसीबी और मुंबई साइबर सेल के कथित अधिकारियों के पास ट्रांसफर किया गया।

जालसाजों ने पुलिसकर्मी बनकर पीड़ित को ठगा

जालसाजों ने पुलिसकर्मी बनकर पीड़ित को करीब तीन घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रखा। इस दौरान किसी से बात नहीं करने दी। पीड़ित से ठगों ने बैंक और क्रेडिट कार्ड संबंधी जानकारी हासिल कर एक प्राइवेट बैंक से दस लाख रुपये का इंस्टेंट लोन करा लिया।

लोन की रकम से ही पैसे ट्रांसफर किए गए। नौ बार में एक-एक लाख रुपये, जबकि एक बार में 95 हजार रुपये ट्रांसफर हुए। इस दौरान ठगों ने अपनी आइडी भी भेजी ताकि शिकायतकर्ता काे विश्वास हो जाए कि वह एनसीबी और मुंबई साइबर सेल के अधिकारी हैं।

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जब शिकायतकर्ता ने अपनी ईमेल आइडी चेक की तो उसे पता चला कि उसके क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल कर दस लाख रुपये का लोन कराया गया है। पैसे वापस मांगने पर ठगों ने पीड़ित से संपर्क तोड़ दिया। बाद में जानकारी हुई कि ठगों ने जो आइडी भेजी थी वह फर्जी थी।

साइबर अपराध थाना प्रभारी निरीक्षक उमेश कुमार नैथानी का कहना है कि मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है। उन खातों की जांच करनी शुरू कर दी है जिन खातों में ठगी की रकम ट्रांसफर हुई है। जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।

पुलिस या कोई भी केंद्रीय जांच एजेंसी नहीं करती डिजिटल अरेस्ट

साइबर सेल के एसीपी विवेक रंजन राय का कहना है कि किसी भी राज्य की पुलिस या केंद्रीय जांच एजेंसियां कभी भी डिजिटल अरेस्ट नहीं करती हैं। जब भी कोई व्यक्ति खुद को पुलिस अधिकारी बताकर बात करे और कार्रवाई से बचने के लिए फोन कॉल करके खाते में धनराशि मांगता है तो समझ जाएं कि वह साइबर अपराधी हैं। धनराशि ट्रांसफर करने से पहले परिवार के किसी सदस्य, दोस्त या फिर नजदीकी पुलिस स्टेशन के अधिकारी से संपर्क जरूर करें। इस तरह की ठगी से बचने के लिए यही एकमात्र उपाय है।

ये सावधानी बरतें

  • किसी भी कंपनी का कस्टमर केयर नंबर उसकी आधिकारिक वेबसाइट से लें।
  • जिन वेबसाइट पर लालरंग का निशान दिखाई दे, उनका एक्सेस करने से बचें।
  • यूट्यूब पर जारी किए गए वीडियो में दिए मोबाइल-फोन नंबर पर कॉल न करें।
  • वीडियो और वेब पेज को लाइक करने पर मोटी कमाई होने के झांसे में न आएं।
  • सरकारी विभाग के नाम से अगर कोई कॉल आए तो भुगतान नहीं करें।
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