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उत्‍तराखंड : बाहरी संवर्ग के नए सदस्यों को लेकर सचिवालय में घमासान

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देहरादून: सचिवालय संघ में बाहरी संवर्ग के कार्मिकों को सदस्य के रूप में शामिल करने पर विरोध के सुर उठने लगे हैं। संघ के उपाध्यक्ष संदीप मोहन चमोला और पूर्व महासचिव प्रदीप पपनै ने इसे संघ के संविधान विरुद्ध बताया है। उन्होंने अपर मुख्य सचिव सचिवालय प्रशासन को संघ द्वारा भेजे गए बाहरी संवर्गों के कार्मिकों को सदस्य बनाए जाने संबंधी प्रस्ताव को अस्वीकार करने का अनुरोध किया है। वहीं संघ के महासचिव राकेश जोशी ने अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर आरोपों को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि आमसभा में ही इस संबंध में निर्णय लिया गया था। संघ के उपाध्यक्ष व पूर्व महासचिव इस संबंध में सचिवालय प्रशासन को गुमराह कर रहे हैं।

सचिवालय संघ के चुनाव निकट आते ही अब संघ के भीतर ही आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो चुका है। संघ ने कुछ समय पहले संघ के ढांचे में बदलाव लाने का निर्णय लिया था। इसके तहत सचिवालय में सचिवालय संबंधी महत्वपूर्ण कार्य करने वाले राज्य योजना आयोग, बजट निदेशालय, वित्त आयोग, अनुसूचित जाति जनजाति नियोजन प्रकोष्ठ तथा राज्य संपत्ति विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को संघ का सदस्य बनाने का निर्णय लिया था। यह भी तय हुआ कि ये सदस्य इस बार चुनाव तो नहीं लड़ पाएंगे लेकिन वोट देने के पात्र होंगे। इसकी सूचना सचिवालय प्रशासन को भी भेजी गई।

अब संघ के उपाध्यक्ष व पूर्व महासचिव ने इस पर सवाल उठाए हैं। संघ के उपाध्यक्ष संदीप चमोला की ओर से अपर मुख्य सचिव सचिवालय प्रशासन को भेजे पत्र में कहा गया है कि सचिवालय सेवा से इतर कर्मचारियों को संघ में शामिल किया जाना संघ के संविधान के विरुद्ध है। संविधान में कोई भी परिवर्तन आमसभा के माध्यम से किया जाता है। इस निर्णय में आमसभा का अनुमोदन प्राप्त नहीं किया गया है। ऐसे में संघ द्वारा सचिवालय सेवा से इतर कर्मचारियों को संघ में शामिल करने के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए केवल सचिवालय सेवा के कार्मिकों को मतदाता सूची में शामिल कर चुनाव कराए जाएं।

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उधर, सचिवालय संघ के महासचिव राकेश जोशी का कहना है कि अन्य सवंर्ग के सदस्यों को शामिल करने का प्रस्ताव आमसभा में ही पारित हुआ है। कार्यकारिणी की बैठक में केवल इसका अनुमोदन किया गया है।  28 अगस्त, 31 अगस्त और एक सितंबर को सचिवालय के विभिन्न कार्मिकों से बैठक कर इस संबंध में अनुमति प्राप्त की गई। बावजूद इसके उपाध्यक्ष और महासचिव संघ की बैठक में बुलाए जाने के बाद भी बैठक में अपनी बात रखने की बजाए सीधे सचिवालय प्रशासन से पत्राचार कर आम सदस्यों को गुमराह कर रहे हैं। महासचिव ने यह भी कहा कि सचिवालय संघ का कार्यसंचालन संघ करता है। ऐसे में सचिवालय प्रशासन का इसमें हस्तक्षेप सही नहीं है। संघ इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करने के लिए सात दिसंबर को एक आमसभा का भी आयोजन कर रहा है। इस सभा को कराने की अनुमति भी संघ को दी जाए ताकि यह गतिरोध दूर हो सके।

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