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एकबार फिर खोला पूर्व सीएम हरीश रावत ने मोर्चा, ट्वीट कर कही अपने दिल की बात

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 देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने ट्विटर पर एक के बाद कई ट्वीट पोस्ट किए हैं। इससे कांग्रेस में हलचल मचना लाजिमी है। दरअसल, पूर्व सीएम ने एक बार फिर से सीएम पद को लेकर खुलकर बात की है। उन्होंने दोहराया कि जिसे भी सीएम मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर लिया जाएगा, मैं उसके पीछे खड़ा रहूंगा। रावत ये तक लिख गए कि पार्टी के अधिकारिक पोस्टरों में उनका नाम और चेहरा स्थान नहीं ले पाया, लेकिन इस पर भी उन्होंने कभी कोई सवाल खड़ा नहीं किया।

पूर्व सीएम हरीश रावत वैसे तो हमेशा ही इंटरनेट मीडिया पर सक्रिय रहते हैं, लेकिन इस बार वे सीएम पद का चेहरा घोषित करने की मांग को लेकर एक के बाद एक कर कई पोस्ट कर रहे हैं। बुधवार को भी उन्होंने कई ट्वीट किए। इसमें वे सामूहिक नेतृत्व की खुलकर मुखालफत करते नजर आए। पूर्व सीएम रावत ये तक कह गए कि पार्टी के अधिकारिक पोस्टरों में उनका नाम और चेहरे को स्थान नहीं मिल पाया, लेकिन उसपर भी उन्होंने कोई सवाल खड़ा नहीं किया।

एक नजर पूर्व सीएम के ट्वीट पर 

मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित होने को लेकर संकोच कैसा? यदि मेरे सम्मान में यह संकोच है तो मैंने स्वयं अपनी तरफ से यह विनती कर ली है कि जिसे भी मुख्यमंत्री का #चेहरा घोषित कर दिया जायेगा मैं, उसके पीछे खड़ा हूंगा। रणनीति के दृष्टिकोण से भी आवश्यक है कि हम भाजपा द्वारा राज्यों में जीत के लिये अपनाये जा रहे फार्मूले का कोई स्थानीय तोड़ निकालें। स्थानीय तोड़ यही हो सकता है कि BJP का चेहरा बनाम कांग्रेस का चेहरा, चुनाव में लोगों के सामने रखा जाय ताकि लोग स्थानीय सवालों के तुलनात्मक आधार पर निर्णय करें।

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वे आगे लिखते हैं, मेरा मानना है कि ऐसा करने से चुनाव में हम अच्छा कर पाएंगे फिर सामूहिकता की अचानक याद क्यों? जो व्यक्ति किसी भी निर्णय में, इतना बड़ा संगठनात्मक ढांचा है पार्टी का, उस ढांचे में कुछ लोगों की संस्तुति करने के लिए भी मुझे AICC का दरवाजा खटखटाना पड़ता है, उस समय सामूहिकता का पालन नहीं हुआ है और मैंने उस पर कभी आवाज नहीं उठाई है।

पार्टी के अधिकारिक पोस्टरों में मेरा नाम और चेहरा स्थान नहीं पा पाया, मैंने उस पर भी कभी कोई सवाल खड़ा नहीं किया! यहां तक की मुझे कभी-कभी मंचों पर स्थान मिलने को लेकर संदेह रहता है तो मैं अपने साथ अपना मोड़ा लेकर के चलता हूं, ताकि पार्टी के सामने कोई असमंजस न आये तो आज भी मैंने केवल असमंजस को हटाया है, तो ये दनादन क्यों?

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