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‘जब डायनासोर के अवशेषों का हो सकता है डीएनए टेस्ट तो नेताजी की राख का क्यों नहीं’

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नई दिल्ली। महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 18 अगस्त को पुण्यतिथि मनाई जाती है और इस बीच जापान के एक मंदिर में रखी राख को भारत वापस लाकर उसका डीएनए टेस्ट कराने की मांग ने जोर पकड़ा है जिसे नेताजी की बताया जाता है। यह आवाज उठाने वालों में नेताजी के पौत्र चंद्र कुमार बोस शामिल हो गए हैं जिनका कहना है कि अगर डायनासोर के कंकाल का टेस्ट हो सकता है तो भारत सरकार को कौन सी बात इससे रोक रही है कि इस राख के डीएनए का मिलान नेताजी के रिश्तेदारों से कर लिया जाए? चंद्र कुमार बोस ने आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में एक भावनात्मक अपील की। उन्होंने कहा, “नेताजी की इकलौती बेटी अनीता बोस ने उनकी राख का परीक्षण कराने और उसे देश में लाने की मांग करते हुए एक पत्र लिखा था जिस पर डॉ. द्वारकानाथ बोस और अर्धेंदु बोस ने भी हस्ताक्षर किए थे। वे बोस परिवार में सबसे वरिष्ठ हैं। लेकिन, हमें उस पत्र का कोई जवाब नहीं मिला। मैंने कई बार प्रधानमंत्री कार्यालय में इस बारे में पूछा, उन्होंने स्वीकार किया कि उन्हें यह पत्र मिला है लेकिन अब तक उन्होंने इसका जवाब नहीं दिया।”
इस बारे में उनकी क्या उम्मीदें हैं, इस पर उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री एक आदेश जारी करेंगे ताकि रेंको-जी मंदिर में रखी राख का डीएनए परीक्षण किया जा सके। बोस परिवार के ब्लड सैंपल का एनॉलिसिस न्यायमूर्ति मुखर्जी आयोग के पास उपलब्ध है, जो कि इस मामले की जांच कर रहा था। अब भी नमूने मांगे जाएंगे तो हम देने के लिए तैयार हैं। अब विज्ञान बहुत तरक्की कर चुका है। आज जबकि डायरनासोर के कंकाल का भी डीएनए टेस्ट हो रहा है तो यदि नेताजी की राख में कोई डीएनए उपलब्ध है, तो हमें इसे जांचना चाहिए और उसका बोस परिवार के रक्त के नमूनों के साथ मिलान करना चाहिए, ताकि हमें पता चले कि क्या हुआ था।”
संबंधित फाइलों को लेकर उन्होंने कहा, “जापान में पांच फाइलें थीं जिन्हें क्लासीफाइड किया गया था। 2016 में केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज के प्रयास से दो फाइलें प्रकाशित हुईं थीं जो अब एक वेबसाइट पर हैं। मैंने उन्हें देखा है लेकिन वे महत्वपूर्ण नहीं हैं। यदि शेष तीन फाइलें मिलें तो हम संभावित जानकारी या तस्वीरों के माध्यम से कुछ जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।”
मामले की जांच को लेकर उन्होंने आगे कहा कि “भारत सरकार को इसके लिए प्रयास करना चाहिए। नेताजी जिन्होंने देश की आजादी के लिए आजाद हिंद फौज बनाई, यदि जापान में रखी राख उनकी ही है तो उसे देश में पूरे सम्मान के साथ वापस लाना चाहिए।”

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