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ट्रायल शुरू KGMU में, चढ़ाया गया तीन कोरोना मरीजों को प्लाज्मा

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लखनऊ। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में कोरोना के तीन मरीजों को प्लाज्मा चढ़ाया गया। यह प्लाज्मा कोविड-19 की जंग जीत चुके मरीजों ने दान किया है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) की गाइडलाइन से पहली बार संस्थान में प्लाज्मा थेरेपी शुरू की गई है। हालांकि, दो माह पहले एक मरीज में चढ़ाए गए प्लाज्मा को ट्रायल में शामिल करने से इन्कार कर दिया गया था।

दरअसल, केजीएमयू में पहली बार उरई निवासी डॉक्टर को प्लाज्मा चढ़ाया गया था। तब, 26 अप्रैल को चढ़ाया गया प्लाज्मा आइसीएमआर ने खुद के ट्रायल में शामिल करने से इन्कार कर दिया। इसके बाद किसी मरीज को प्लाज्मा नहीं चढ़ाया गया। इस बीच संस्थान प्रशासन ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) की गाइड लाइन को पूरा किया। इसके बाद मई में कई मरीजों का डेटा भेजा, मगर प्लाज्मा थेरेपी में उनका चयन नहीं हुआ। जून में सात मरीजों में प्लाज्मा थेरेपी के लिए अनुमति मांगी गई। मरीज के परिवारजन की सहमति ली गई। इसमें से आइसीएमआर ने चार मरीजों को कंट्रोल आर्म के जरिए इलाज की हरी झंडी दी। मतलब सामान्य मरीजों की तरह इन चार मरीजों का इलाज किया जाएगा। वहीं, तीन मरीजों का इंटरवेंशन आर्म के लिए चयन किया गया। मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र आतम के मुताबिक, सप्ताह भर के भीतर तीनों मरीजों को बारी-बारी से प्लाज्मा चढ़ाया गया। कोरोना से पीडि़त इन मरीजों में बेहतर सुधार आया है।

तीनों को अलग-अगल ग्रुप का प्लाज्मा

केजीएमयू में अब तक कोरोना को हरा चुके दस लोगों ने प्लाज्मा दान किया है। ऐसे में भर्ती मरीजों का नाम चयन होने पर सभी ग्रुप का प्लाज्मा उपलब्ध मिला। इसमें एक 58 वर्षीय मरीज को ओ पॉजिटिव, 62 वर्षीय मरीज को बी पॉजिटिव व तीसरे मरीज को ए पॉजिटिव ग्रुप का प्लाज्मा चढ़ाया गया है। इसमें एक मरीज लखनऊ का है। शेष दो अन्य जनपदों के हैं। आइसीएमआर ने मरीजों के नाम उजागर करने पर रोक लगा रखी है।

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रेड टैप पोर्टल से कंफर्म हुए मरीज

ट्रायल के नियमों के मुताबिक, अब डॉक्टर खुद ही मरीज में प्लाज्मा चढ़ाने का फैसला नहीं ले सकते हैं। उसे मरीजों का ब्योरा आइसीएमआर को भेजना होगा। आइसीएमआर ने मरीजों के इलाज को दो गु्रपों में बांटा है। यह कंट्रोल आर्म और इंटरवेंशन आर्म हैं। इसके लिए रेड टैप पोर्टल बनाया है। चिकित्सा संस्थानों को भर्ती मरीज का चयन करना होगा। मरीज का नाम के बजाय पोर्टल पर पेशेंट आइडी कोड भेजा जाएगा। कंप्यूटर पर रेंडम मरीज का कोड आवंटित होगा। यह कोड यदि कंट्रोल आर्म की श्रेणी में आवंटित हुआ तो मरीज को प्लाज्मा थेरेपी नहीं दी जाएगी। उसका सामान्य तरह से इलाज चलेगा। वहीं पेंशेंट आइडी कोड इंटरवेंशन आर्म श्रेणी में आया तो उसे प्लाज्मा थेरेपी की डोज दी जाएगी।

दूसरी बीमारी से घिरे मरीज रहेंगे बाहर

गाइडलाइन के अनुसार प्लाज्मा थेरेपी सिर्फ कोविड-19 के मरीजों पर ही चढ़ेगी। पहले से डायबिटीज, गुर्दा, हृदय, कैंसर जैसी बीमारी से घिरे मरीजों पर नहीं चढ़ेगी। साथ ही इसमें कोविड के मॉडरेट केस ही लिए जाएंगे। प्लाज्मा थेरेपी के लिए चयनित मरीजों का पल्स ऑक्सीमीटर 93 से नीचे आ गया हो। साथ ही ऑर्टी रियल ब्लड गैस का स्तर 200 से तीन सौ के बीच का हो। वहीं मरीज की 28 दिन तक मॉनीटरिंग करनी होगी। दो से तीन दिन पर रिपोर्ट आइसीएमआर को भेजनी होगी।

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