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डा0 पूजा की मरीजों को सलाह- डिस्चार्ज अथवा होम आइसोलेशन के बाद घर पर सुबह शाम कम से कम १-२ सप्ताह तक पल्स आक्सीमीटर से चेक करें अपना ऑक्सीजन स्तर

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डा0 पूजा सिहं, चिकित्सक, जिम्स, ग्रेटर नोएडा

मार्च 2020 के बाद से संस्थान को शासन के निर्देशानुसार 250 बेडेड कोविड-19 अस्पताल घोषित किया गया तब से लेकर अभी तक संस्थान में 3000 से अधिक कोविड मरीजांे को भर्ती कर उपचार किया जा चुका है। जिसमें से लगभग 2850 मरीजों को सफल उपचार के बाद घर भेजा जा चुका है। परन्तु घर जाने के बाद अक्सर मरीज ऐसी गलतियाॅ कर बैठते हैं जिनसे उनके जान तक को खतरा पैदा हो सकता है। इस सम्बंध में संस्थान के आइसोलेशन वार्ड में कार्यरत डा0 पूजा सिंह द्वारा मरीजों के लिए सलाह है कि डिस्चार्ज अथवा होम आइसोलेशन के बाद घर पर सुबह शाम कम से कम १-२ सप्ताह तक पल्स आक्सीमीटर से अपना ऑक्सीजन स्तर चेक करें, यह सर्वविदित है कि कोविड संकमण के कुछ मरीजों के फेफड़ों पर कोरोना का प्रभाव लंबे समय तक रहता है, चूंकि ये फेफड़ों में हो रही क्षतिसूचकों में से एक है, ऐसे में घर पर ऑक्सीजन लेवल की मॉनिटरिंग और सही समय पर इलाज किसी अवांछित दुष्परिणाम से बचा सकती है। आक्सीजन का सामान्य स्तर 98-99 होता है, यदि यह 95 या उसके नीचे हो तो तुरंत अस्पताल प्रशासन अथवा कंट्रोल रूम से संपर्क करें। यह भी प्रकाश में आया है की डिस्चार्ज पेपर दिये गये निर्देशों को भी मरीज कई बार ध्यान से पढ़ते नहीं है अथवा नजरअंदाज कर देते हैं। जैसा कि एक केस पिछले सप्ताह जिम्स में सामने आया। जिम्स कंट्रोल रूम काउंसलर श्रीमती संजुला ने नगेटिव होकर डिस्चार्ज हो चुके एक मरीज से बात की तो मरीज ने बताया कि उसका पेट खराब है और उसे चिकित्सक से परामर्श चाहिए। काउंसलर ने कंट्रोल रूम में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर को अवगत कराया, टेली कंसल्टेशन के जरिए उचित परामर्श और इलाज बताने के उपरांत डॉक्टर ने उनसे उनकी ऑक्सीजन स्तर के बारे में और जानकारी माँगी तो उन्होंने बड़ी मासूमियत से बताया कि “डॉक्टर साहब रोज सुबह शाम चेक करते हैं, कल शाम 92 था और आज सुबह 91 है बस और थोड़ी कमजोरी सी रहती है”, डॉक्टर ने ये हैरान करने वाला जवाब सुनकर उन्हें यथास्थिति आराम से समझाई और बताया ये उनके लिए हानिकारक साबित हो सकता था, और किसी भी तरह से घबराए बिना उन्हें अस्पताल में आकर परामर्श लेने की सलाह दी। ऐसा भी जानकारी में सामने आया है कि कई मरीज आधी अधूरी जानकारियों के आधार पर घर पे अपना इलाज आरंभ कर देते हैं और कुछ परिजन तो घर पे ही ऑक्सीजन सिलिंडर से अपने मरीज को ऑक्सीजन सपोर्ट दे रहे हैं। मैं ऐसे लोगों को बताना चाहती हॅू कि चिकित्सा एक जटिल प्रक्रिया है और इसमें इसमें छेड़-छाड़ या असावधानी आपके लिए हितकर नहीं है, इसलिए तुरन्त ही चिकित्सक परामर्श लें और इस महामारी से लड़ने में सहयोग कर अपना व अपने प्रियजनों के प्राणों की रक्षा करें।

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