Home Breaking News पाकिस्तान ने की थी सऊदी अरब-UAE को बदनाम करने की कोशिश, खुलासे के बाद हड़कंप
Breaking Newsअंतर्राष्ट्रीय

पाकिस्तान ने की थी सऊदी अरब-UAE को बदनाम करने की कोशिश, खुलासे के बाद हड़कंप

Share
Share

तेल अवीव। असम में हुई हिंसा का इस्तेमाल करते हुए भारत के खिलाफ एक दुष्प्रचार अभियान शुरू किया गया था। एक रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है। इसमें कहा गया है कि ऐसा प्रतीत हो रहा था कि इस दुष्प्रचार अभियान का लक्ष्य भारत था, जबकि सच्चाई यह है कि इस अभियान के निशाने पर सऊदी अरब और यूएई थे। इतालवी राजनीतिक सलाहकार और भू-राजनीतिक विशेषज्ञ सर्जियो रेस्टेली ने टाइम्स आफ इजरायल के एक आर्टिकल में ये बातें कही हैं। उनके मुताबिक, भारत की मदद करने पर विशेष रूप से क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अल सऊद को लक्षय बनाते हुए दुष्प्रचार अभियान चलाए गए थे। इन अभियानों के पीछे पाकिस्तान है। रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब, यूएई और भारत के खिलाफ चलाए जा रहे इन दुष्प्रचारों में पाकिस्तान, कतर और तुर्की की भूमिका है।

पिछले महीने भारतीय उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान करते हुए एक ट्विटर ट्रेंड देखा गया था। लेखक ने कहा कि यह अभियान ऐसे समय में आया है जब इस्लामी दुनिया में एक बड़ा विवर्तनिक बदलाव हो रहा है। कतर में स्थित एक कट्टरपंथी राजनीतिक-धार्मिक संगठन, मुस्लिम ब्रदरहुड के वर्चस्व वाले कतर, तुर्की और पाकिस्तान का एक गठजोड़ कट्टरपंथी इस्लामवादियों के लिए नया केंद्र बन रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि तालिबान ने अपनी अंतरिम सरकार के उद्घाटन समारोह के लिए कतर, तुर्की और पाकिस्तान को ही क्यों आमंत्रित किया, जबकि अपने पिछले दोस्तों और समर्थकों सऊदी अरब एवं यूएई को अनदेखा कर दिया।

रेस्टेली ने डिस इंफो लैब की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि गलत सूचनाओं को लेकर जारी युद्ध का वास्तविक लक्ष्य सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात हैं। लेखक ने कहा, ‘यह अकेला ऐसा अभियान नहीं है। कतर-तुर्की-पाकिस्तान गठबंधन पिछले कुछ समय से सऊदी अरब और यूएई को निशाना बना रहे हैं।’

See also  CM राहत कोष से आशा कार्यकर्त्ताओं को मिलेगी प्रोत्साहन राशि, विवाह समारोह में अब अधिकतम 25 को ही अनुमति

लेखक के अनुसार, मुख्य उद्देश्य तुर्की के नेता एर्दोगन के लिए उम्मा के सही नेता के रूप में मार्ग प्रशस्त करने के लिए क्राउन प्रिंस को बदनाम करना है। इसके अलावा, डिस इंफो की रिपोर्ट बताती है कि इस आर्थिक बहिष्कार के लिए अकेले भारत को लक्षित नहीं किया गया था।

रिपोर्ट में आगे दावा किया गया है कि इस अभियान ने फ्रांस को भी निशाना बनाया है जिसमें फ्रांसीसी सामानों का बहिष्कार करने का आह्वान किया गया था। रेस्टेली ने कहा, ‘यह 2018 में शुरू किया गया था, और तब से मुस्लिम ब्रदरहुड के लिए इस तरह के दुष्प्रचार अभियान को धीरे-धीरे गति देने के उद्देश्य से शुरू करना एक वार्षिक कार्यक्रम बन गया।’

उन्होंने कहा कि इनमें से कई अकाउंट पाकिस्तान और तुर्की के मुस्लिम ब्रदरहुड इंफ्लूएंसर्स द्वारा चलाए जा रहे हैं। उनके अनुसार, पाकिस्तान ने अब आतंकवाद को विदेश नीति के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोग करने की अपनी रणनीति को साइबर दुनिया में स्थानांतरित कर दिया है।

उन्होंने कहा, ‘प्राक्सी युद्धों से सूचना युद्ध की ओर बढ़ना इसकी वर्तमान रणनीति प्रतीत होती है। हालांकि खिलाड़ी वही रहते हैं, आतंकवादी और कट्टरपंथी इस्लामवादी। उन्होंने आगे तर्क दिया कि भारत, इजरायल, यूएई और सऊदी अरब जैसे देशों को अब दुष्प्रचार का मुकाबला करने और अपनी अर्थव्यवस्थाओं की रक्षा करने के लिए क्षमता विकसित करने की आवश्यकता है।

Share
Related Articles
Breaking Newsव्यापार

Flipkart का IPO से पहला बड़ा कदम, सिंगापुर से ‘घर वापसी’ की तैयारी, जानिए क्यों किया जा रहा है ऐसा

नई दिल्ली: ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस फ्लिपकार्ट को कथित तौर पर कंपनी के बेस या...

Breaking Newsखेल

‘थप्पड़ कांड’ से गरमाया माहौल, सीधे जमीन पर गिरा खिलाड़ी, VIDEO वायरल

IPL में हरभजन सिंह और एस. श्रीसंत के बीच का ‘थप्पड़ कांड’...