नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के एंथ्रोपोलाजी विभाग ने एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। विभाग के शोधार्थियों ने उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के उमरा गांव में 2700 साल पुराने मानव बस्ती के प्रमाण ढूंढ़ निकाले हैं। शोधार्थियों को यहां मिट्टी के बर्तन, हड्डियों के अवशेष, जबड़े, टेराकोटा आदि मिला है। जिस जगह पुरातात्विक अवशेष मिले वहां पूर्वांचल एक्सप्रेस बनाने के लिए मिट्टी खोदी जा रही थी। डीयू ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को पत्र लिखकर उमरा गांव में खोदाई स्थल को संरक्षित करने की गुजारिश की है। शोधार्थी कार्बन रेटिंग में जुट गए हैं।
एंथ्रोपोलाजी विभाग के प्रोफेसर मनोज कुमार सिंह ने बताया कि लखनऊ-बलिया हाइवे प्रोजेक्ट के लिए उमरा गांव में मिट्टी की खोदाई हो रही है। दो मार्च को लखनऊ के एक छात्र कार्तिक मणि त्रिपाठी ने उन्हें ईमेल किया। ईमेल में खोदाई के दौरान मिले कुछ अवशेषों की तस्वीरें थी। प्रोफेसर मनोज कुमार ने दो शोधार्थियों को सुदेशना बिश्वास व रविन्द्र को मौके पर भेजा। बकौल सुदेशना गांव में चारो तरफ अवशेष बिखरे हुए हैं।
सैकड़ों साल पुरानी ईंटे दिखी। हैरानी की बात थी कि इन ईंटों से गांव वालों ने अपने घर भी बनाए हैं। दीवारों पर मिट्टी के बर्तन के टूकड़े आसानी से देखे जा सकते हैं। खोदाई वाली जगह पर तो चित्रकारी की हुई मिट्टी के बर्तन मिले। मिट्टी के बर्तनों पर चित्रकारी समेत अन्य साक्ष्यों के आधार पर शोधार्थी इसे 2700 साल पुराना मान रहे हैं। अनुमान है कि यहां मानव आबादी रहती होगी। प्रो मनोज ने कहा कि साइट को नुकसान ना हो इसके लिए पुरातत्व विभाग को पत्र लिखा है कि इसे संरक्षित किया जाए। यदि ठीक से खोजा गया तो यह एक बड़ी सभ्यता की खोज हो सकती है।
अहम बातें
-मिट्टी के बर्तनों पर घोड़े व अन्य जानवरों की आकृतियां बनी है।
-बड़े आकार के बर्तनों के टुकड़े। अनाज रखने या भोजन बनाने की जगह का अनुमान।
-गेहूं एवं सरसों के जले हुए दाने।
-लकड़ी के सामानों के अवशेष मिले हैं।
-जगह जगह हड्डियों के टुकड़े।
-जबड़े मिले हैं।
-एक जगह अधिक हड्डियां मिली। अंत्येष्टि स्थल का अनुमान।
-शोधार्थियों का कहना- सिल्ट रूट संभव।
-कार्बन रेटिंग की प्रक्रिया शुरू।