Home Breaking News बागी हुए सचिन के तेवर, शीर्ष भाजपा नेतृत्‍व के संपर्क में पायलट
Breaking Newsराजनीतिराजस्थानराज्‍यराष्ट्रीय

बागी हुए सचिन के तेवर, शीर्ष भाजपा नेतृत्‍व के संपर्क में पायलट

Share
Share

नई दिल्ली। उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के कड़े बगावती तेवरों ने राजस्थान में कांग्रेस की सरकार को गंभीर खतरे में डाल दिया है। कांग्रेस हाईकमान के संकट समाधान का मसला हाथ में लेने के बाद भी सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से आर-पार की जंग का खुला ऐलान करते हुए दावा किया कि 30 से अधिक विधायक उनके साथ हैं। साथ ही पायलट ने कई निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल होने की बात कह गहलोत सरकार के अल्पमत में होने का भी दावा कर दिया। कांग्रेस के इस अंदरूनी घमासान के बीच सचिन पायलट भाजपा से सीधे संपर्क में हैं और राजस्थान में मध्यप्रदेश की कहानी दोहराए जाने की संभावनाएं तेज होने लगी हैं।

विधायक दल की बैठक में नहीं होंगे शामिल

गहलोत सरकार का तख्ता पलटने तक का कदम उठाने से नहीं हिचकने का संदेश देते हुए सचिन पायलट ने एक बयान जारी कर यह भी साफ कर दिया कि सोमवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल होने वे जयपुर नहीं जाएंगे। पायलट इस समय अपने कुछ समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली में हैं। पायलट के वाट्स एप मीडिया ग्रुप में उनके हवाले से यह बात कही गई। वैसे दिल्ली में मौजूद रहते हुए भी रविवार को कांग्रेस नेताओं से बातचीत बंद कर पायलट ने अपनी नाराजगी की गंभीरता का संदेश दे दिया था।

पार्टी हाईकमान ने तीन नेताओं को जयपुर भेजा

सचिन पायलट की पत्‍‌नी सारा पायलट के ट्वीट से भी उनकी नाराजगी के गहरे तेवरों का साफ इशारा मिल रहा है। सारा ने रविवार को पायलट की तस्वीर के साथ ट्वीट में लिखा ‘बड़े-बड़े जादूगरों के पसीने छूट जाते हैं,  जब हम दिल्ली का रुख करते हैं।’ वैसे राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट की खुली लड़ाई के चलते प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर मंडराते खतरों को देखते हुए पार्टी हाईकमान ने संकट समाधान की कमान अपने हाथ में लेते तीन वरिष्ठ नेताओं रणदीप सुरजेवाला अजय माकन और प्रभारी महासचिव अविनाश पांडेय को बतौर पर्यवेक्षक जयपुर भेज दिया है।

See also  लखनऊ एयरपोर्ट पर पकड़ा गया 40 लाख का सोना! दुबई से प्राइवेट पार्ट में सोना छुपाकर ला रहा था युवक, गिरफ्तार

पार्टी नेतृत्व की भी चिंता बढ़ी 

अंदरूनी उठापटक से कांग्रेस में बने इस हालात के बीच सचिन पायलट से भाजपा नेताओं के संपर्को की चर्चाओं ने पार्टी नेतृत्व की चिंता और बढ़ा दी है। वहीं पायलट की नाराजगी से खुद को बेपरवाह दिखाने की कोशिश में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार रात विधायक दल की बैठक बुलाने की घोषणा कर इस जंग में अपनी ताकत दिखाने का दांव चला। हालांकि मध्यप्रदेश में कमलनाथ और दिग्विजय के अति आत्मविश्वास से लगे झटके को देखते हुए कांग्रेस नेतृत्व गहलोत के आत्मविश्वास को थामते हुए बैठक को सोमवार सुबह 10.30 बजे तक मुल्तवी करा दिया। ताकि केंद्रीय पार्टी के तीनों केंद्रीय पर्यवेक्षक भी इस संकट पर विधायकों की रायशुमारी में शामिल हो सकें।

संकट के समाधान का रास्ता निकालने में जुटा हाईकमान 

पार्टी सूत्रों ने बताया कि संकट समाधान का रास्ता निकालने के लिए हाईकमान इस प्रयास में जुटा है। विधायक दल की इस बैठक में पायलट के शामिल होने की संभावना भी कांग्रेस नेता जता रहे हैं जिसे पायलट के हवाले से खारिज कर दिया गया। पर्यवेक्षकों को भेजने की जरूरत और गंभीरता सोनिया गांधी और राहुल गांधी को तब हुई, जब सचिन पायलट 19 विधायकों संग दिल्ली पहुंच गए और फिर पार्टी नेताओं से संवाद बंद कर दिया।

हालांकि इससे एक दिन पहले खुद सचिन ने वरिष्ठ नेता अहमद पटेल के जरिये कांग्रेस नेतृत्व तक सूबे की सियासत से उनके पांव उखाड़ने के लिए गहलोत के प्रयासों की जानकारी दे दी थी। पायलट का कहना था कि अधिकारियों के जरिये गहलोत ने ऐसा तंत्र बना दिया है कि उन्हें कोई काम नहीं करने दिया जा रहा। राज्यसभा चुनाव के दौरान विधायकों की खरीद फरोख्त के आरोपों के मामले में भी गहलोत उन्हें निशाना बना रहे हैं।

See also  जिस भालू ने अमेरिकी टूरिस्ट पर हमला किया उसको मोंटाना के अधिकारियों ने मारी गोली

सोनिया या राहुल गांधी से पायलट की कोई बात नहीं हुई

एसओजी का पूछताछ का नोटिस भिजवाना उनकी इसी घेरेबंदी का हिस्सा है। हालांकि पायलट की बीते दो दिनों में सोनिया या राहुल गांधी से सीधे कोई बात नहीं हुई है। दावा यहां तक किया जा रहा कि हाईकमान ने पायलट से सीधे संवाद करने में रुचि नहीं दिखाई। गहलोत-पायलट की इस जंग में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद भी बड़ा मुद्दा है।

पायलट करीब छह साल से अध्यक्ष हैं और गहलोत किसी दूसरे चेहरे को यह पद देने की वकालत कर रहे हैं। जबकि सूत्रों का कहना है कि पायलट का साफ कहना है कि सरकार की बागडोर गहलोत के हाथ में है तो संगठन की कमान वे नहीं छोड़ेंगे और इसके लिए चाहे डिप्टी सीएम पद ही क्यों न छोड़ना पड़े। गहलोत से आर-पार की जंग के अपने इरादे का हाईकमान को भी पायलट ने संदेश दे दिया था।

पायलट ने कांग्रेस नेताओं से कोई बातचीत नहीं की

सूत्रों के अनुसार गहलोत पर दबाव बनाने में देरी की आशंका को देखते हुए नाराज पायलट ने रविवार को कांग्रेस के नेताओं से कोई बातचीत ही नहीं की और उनका फोन तक रिसीव नहीं किया। राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी महासचिव अविनाश पांडेय ने खुद इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि पायलट से उनकी दो दिन से बातचीत नहीं हो पायी है। विधायक दल की बैठक को लेकर उनसे संपर्क करने का प्रयास किया गया। लेकिन बात नहीं हो पायी और उनके लिए संदेश छोड़ा गया है।

हालांकि पांडेय ने एसओजी की नोटिस के मुद्दे पर कहा कि जांच में सहयोग के लिए डिप्टी सीएम ही नहीं सीएम और दूसरे लोगों को नोटिस आया है, इसमें चिंता करने जैसी कोई बात नहीं। पांडेय ने भाजपा पर विधायकों को अस्थिर करने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर स्थिर है और उस पर कोई खतरा नहीं है।

See also  ग्रामीणों ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर किया प्रदर्शन, सौंपा ज्ञापन

भाजपा सत्ता में बदलाव के लिए पूरी तरह तैयार

हालांकि देर शाम पार्टी के उच्च सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी के करीबी केसी वेणुगोपाल, रणदीप सुरजेवाला और अजय माकन जैसे पार्टी नेता सचिन पायलट से संपर्क के प्रयासों में जुटे हैं। हालांकि गहलोत सरकार के अल्पमत में होने के पायलट के हवाले से आए बयान के बाद इन कोशिशों के अभी परवान नहीं चढ़ने का स्पष्ट संकेत है। सचिन पायलट का यह बगावती तेवर नहीं बदला तो मध्यप्रदेश की तरह राजस्थान में भी भाजपा सत्ता में बदलाव के लिए पूरी तैयार बैठी है। पायलट के अब भाजपा नेताओं से संपर्क में होने की बात कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता अनौपचारिक बातचीत में स्वीकार भी कर रहे हैं।

राजस्‍थान में भी एमपी की कहानी दोहराने की संभावना बढ़ी  

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने तो साफ कहा कि पायलट के तेवरों को देखते हुए इनके बगावत की राह से लौटने की गुंजाइश धीरे-धीरे कम होती जा रही है। वैसे पार्टी सूत्रों ने बताया कि हाईकमान भी एसओजी के नोटिस प्रकरण को लेकर गहलोत के कदमों से सहमत नहीं है। इसीलिए हाईकमान ने पायलट को भरोसा देने का संदेश देने के लिए राहुल के करीबी नेताओं को बतौर पर्यवेक्षक जयपुर भेजने का फैसला किया। अविनाश पांडेय चाहे सरकार पर खतरा नहीं होने का दावा करें मगर 16 कांग्रेस और 3 निर्दलीय विधायकों के पायलट के समर्थन में मानेसर के एक होटल में आने की घटना से साफ है कि सचिन पायलट वर्चस्व की इस जंग में आर-पार की लड़ाई की तैयारी में हैं।

Share
Related Articles
Breaking Newsव्यापार

Flipkart का IPO से पहला बड़ा कदम, सिंगापुर से ‘घर वापसी’ की तैयारी, जानिए क्यों किया जा रहा है ऐसा

नई दिल्ली: ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस फ्लिपकार्ट को कथित तौर पर कंपनी के बेस या...

Breaking Newsखेल

‘थप्पड़ कांड’ से गरमाया माहौल, सीधे जमीन पर गिरा खिलाड़ी, VIDEO वायरल

IPL में हरभजन सिंह और एस. श्रीसंत के बीच का ‘थप्पड़ कांड’...